यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ बीएचयू की छात्राएं आंदोलन की राह पर

बीएचयू कैंपस में छात्राओं के खिलाफ लगातार घटनाएं होती रही हैं, कुछ मामले ही सामने आते हैं और बहुत से दब जाते हैं। छात्र-छात्राएं इसके खिलाफ एकजुट होकर प्रशासन से अपनी सुरक्षा की माँग कर रहे हैं।
प्रदर्शन जारी : एक लंपट गिरफ्तार, अन्य की गिरफ़्तारी और सुरक्षा की माँग
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के त्रिवेणी हॉस्टल की एक लड़की के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार और मार-पीट की खबर ने छात्रों को फिर से सड़क पर उतरे को मज़बूर कर दिया है। छात्र इन घटनाओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी और असंवेदनशील रवैए से भी निराश हैं।
कैंपस में आए दिन छात्राओं के साथ हो रहे अभद्र व्यवहार और छेड़खानी के खिलाफ छात्रों ने शनिवार, 21 अगस्त को प्रदर्शन किया। साथ ही अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर कार्यवाहक कुलपति को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि आए दिन सड़क पर लंपट लड़के यूनिवर्सिटी की लड़कियों पर अश्लील टिप्णणियां करते हैं, उनसे छेड़खानी करते हैं लेकिन प्रशासन सुरक्षा देना तो दूर यौन हिंसा करने वाले लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं करता है। यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वो विश्विद्यालय में पढ़ने वाले हर विद्यार्थी की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन यहां प्रशासन अपराधियों को ही संरक्षण देता दिखाई देता है।

दरअसल हुआ क्या?
घटना बीएचयू के त्रिवेणी हॉस्टल की बीते सोमवार, 16 अगस्त के रात करीब 10 बजे की है। पीड़ित छात्रा के मुताबिक जब वह कैंपस के एलडी गेस्ट हाउस चबूतरे पर बैठ कर अपने दोस्त के साथ खाना खा रही थी। उसी दौरान नशे में धुत तीन युवकों ने भद्दे कमेंट्स और अपशब्दों की बौछार शुरू कर दी।
जब छात्रा और उसके साथी ने इसका विरोध किया तो उन लड़कों ने अश्लील हरकतें और मारपीट शुरू कर दी। इसके साथ ही धमकी दी कि वह कई मर्डर कर चुके हैं, जिससे शिकायत करना होगा कर लेना। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी मूकदर्शक बने रहें।
22 वर्षीया पीड़ित छात्रा ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (स्त्री का शीलभंग करना), 323 (जानबूझकर हानि पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमानित करना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई।
छात्रा ने इस मामले में जिस मुख्य आरोपी बजरंगी का नाम लिया है वो बीएचयू के ही संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग का छात्र उपकार दूबे है। उपकार कुशीनगर जिले के सोहरौना खड्डा का रहने वाला है और फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में है। हालांकि विश्वविद्यालय की छात्राएं इस गिरफ्तारी से बहुत अधिक संतुष्ट नहीं हैं और लगातार प्रशासन से सवाल कर रही हैं।

लंका पुलिस थाने के एसएचओ ने कहा, ‘मामले में मुख्य आरोपी को 19 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया था. आरोपी यूनिवर्सिटी में संस्कृत विभाग का छात्र है। हम अन्य लोगों की भी जांच कर रहे हैं और उन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लेंगे।‘
इस बीच छात्रों ने अन्य दो लोगों की भी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शनिवार को प्रदर्शन जारी रखा। छात्रों ने कहा, ‘पुलिस ने सिर्फ एक ही शख्स को गिरफ्तार किया है। अगर एक को गिरफ्तार किया है तो अन्य दो की भी पहचान की जानी चाहिए।‘
प्रशासन छात्राओं की सुरक्षा की गारंटी दे
भगत सिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि त्रिवेणी हॉस्टल की घटना केवल एक घटना है जो बीते कई दिनों में चर्चा में आई है। लेकिन कैंपस में लगातार ऐसी घटनाएं होती आ रही हैं कुछ मामले ही सामने आते हैं और बहुत से दब जाते हैं। छात्र-छात्राएं इन सभी घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं क्योंकि ये सुरक्षा सिर्फ और सिर्फ प्रशासन की ही जिम्मेदारी है।
छात्राओं का कहना है कि भले ही इस मामले में एक गिरफ्तारी हो गई हो लेकिन हमारा न्याय के लिए संघर्ष पूरा नहीं हुआ है। हमारा आंदोलन कैंपस में आए दिन हो रही सभी यौन हिंसा की घटनाओं को खत्म करने के लिए है। प्रशासन से महिलाओं के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने और अपने महिला अधिकार को सुनिश्चित करवाने के लिए है।
प्रदर्शन को दौरान छात्राओं ने कहा कि जब तक सरकार और प्रशासन कैंपस में पूरी सुरक्षा नहीं सुनिश्चित कर लेते तब तक उन्हें महिला सुरक्षा का झूठा स्वांग रचना छोड़ देना चाहिए। जिन पार्टियों के नेता अपने तमाम भाषणों में महिला सशक्तिकरण की बड़ी बातें करते हैं उसी के नेता और छात्र संगठन बलात्कार और छेड़खानी जैसे मामलों में शामिल होते हैं।
छात्राओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि विश्वविद्यालय ने सुरक्षा को देखते हुए आवश्यक कदम नहीं उठाया तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

2017 में भी हुआ था जबरदस्त आंदोलन
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में बीएचयू में यौन हिंसा के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन हुआ था। भारी दमन के बीच आंदोलन काफी व्यापक रूप ले लिया था और छात्राओं की सुरक्षा संबंधी मांगों पर उनके समर्थन में कई अन्य विश्वविद्यालय के छात्र भी उतार गए थे।
ये इस आंदोलन का ही परिणाम था कि विश्वविद्यालय का प्रॉक्टोरियल बोर्ड भंग हुआ था और चीफ प्रॉक्टर को इस्तीफा देना पड़ा। विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार महिला चीफ प्रॉक्टर तैनात की गईं। इसके साथ ही महिला छात्रावासों में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनी थी। इस संघर्ष के साथ विश्वविद्यालय की थोड़ी तस्वीर बदली थी।
अब वर्तमान माहौल के बाद शुरू हुए आंदोलन से भी विश्वविद्यालय में एक नया माहौल बनने की उम्मीद की जा सकती है।