भीमा कोरेगांव: बंदियों ने जेल से लिखा राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र

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सरकार की जनविरोधी नीतियों से असहमति के कारण हम 18 महीनों से जेल में

भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखा है. यह पत्र अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, शाेमा सेन, वर्नॉन गोंसाल्विस, सुरेन्द्र गाडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन और सुधीर ढावले ने लिखा है.

इस पत्र में राज्य मानवाधिकार आयुक्त को संबोधित कर लिखा गया हैः

“महोदय, आपको यह पत्र अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन यानी 10 दिसम्बर को मिलेगा. हमारा मानना है कि सरकार से हमारी घोर असहमति के चलते हमें भीमा कोरेगांव केस में फंसा कर जेल में बंद किया गया है. मानवाधिकार की बात करना और उनकी पैरवी करना ही हमारा अपराध बन गया है”.

दो पेज के इस पत्र में इन सभी ने लिखा है कि सरकार की जनविरोधी नीतियों से असहमति और मानवाधिकार की पैरवी के कारण हम 18 महीनों से जेल में बंद हैं.

पत्र में केस के सम्बन्ध में लिखते हुए लोकतंत्र में सत्ता द्वारा सरकारी तंत्र के दुरुपोयोग से असहमति की आवाज़ को दबाने और दमन की कहानी का जिक्र किया गया है.

पत्र में उस केस का जिक्र है जिसके आधार पर इन सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.  पत्र में यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन हम राजनीतिक बंदी के तौर पर अपने मानवाधिकारों का मांग करते हैं.

( मीडिया विजिल से साभार )

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