भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों की आखिर कार्यबहाली क्यों नहीं हो रही है?

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साढ़े चार साल से श्रमिक गैर कानूनी छँटनी और अवैध बंदी के खिलाफ संघर्षरत हैं। सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई के बीच प्रबंधन से वार्ताओं में सहमति बनने के बावजूद मामला अभी भी अधर में क्यों लटका हुआ है?

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के मज़दूर पिछले साढ़े चार साल से गैर कानूनी छँटनी, अवैध ले ऑफ और बर्खास्तगी के खिलाफ संघर्षरत हैं। इस दौरान औद्योगिक न्यायाधिकरण से लेकर उच्च न्यायालय नैनीताल तक उन्होंने जीते हासिल की और मामला सर्वोच्च अदालत में लंबित है।

हालांकि दोनों पक्ष समझौते से समाधान करने की स्थिति में है। वार्ताओं के दौर भी चले, ड्राफ्ट भी तैयार हुए, लेकिन पिछले 7 महीने से गतिरोध की स्थिति बरकरार है।

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अवैध छँटनी, ले-ऑफ के खिलाफ 52 माह का विकट संघर्ष

ज्ञात हो कि 27 दिसंबर 2018 को माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट्स कंपनी ने 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छंटनी कर दी थी, 47 श्रमिक अवैध ले-ऑफ के शिकार रहे जबकि यूनियन अध्यक्ष अवैध निलंबन और फिर बर्खास्तगी झेल रहे हैं।

इस दरमियान मज़दूरों की जमीनी और कानूनी लड़ाई लगातार जारी रही। बेहद कठिन संकटों के दौर से गुजर कर भी मज़दूर संघर्ष में डटे रहे। जहां आंधी-तूफान, बारिश, भयावह ठंड, गर्मी और कोविड महामारी के विकट संकटपूर्ण दौर में भी कंपनी गेट पर धरना चलता रहा, श्रम भवन में प्रदर्शन होते रहे।

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ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट से मिली जीत

मज़दूर औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी व उच्च न्यायालय नैनीताल से कानूनी लड़ाई जीत चुके हैं और छँटनी अवैध घोषित हो चुका है। अभी मामला सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में अंतिम सुनवाई के लिए लगा हुआ है। हालांकि कानूनी जटिलता के कारण सर्वोच्च अदालत में लगातार तारीखें पड़ रही है, जबकि केवल एक बहस में मामला निपट जाना है।

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वार्ताएं जारी, ड्राफ्ट भी तैयार, लेकिन नतीजा शून्य

इस बीच पिछले 2 साल से प्रबंधन के साथ मज़दूर प्रतिनिधियों की वार्ताएं भी चलती रही, समझौते और कार्यबहाली की स्थितियां बनती रही। 1 सितंबर 2022 को फैक्ट्री लेऑफ मज़दूरों के लिए खुल गई और 7 सितंबर को प्लांट में छँटनीग्रस्त मज़दूरों के साथ कंपनी मालिक की वार्ता भी हुई। समझौते पर सहमति भी बन गई, लेकिन अज्ञात कारणों से मामला लटका रहा।

उधर 27 अक्टूबर 2022 से कथित ट्रेनिंग के नाम पर राज्य से बाहर भिवाड़ी भेजने के बहाने ले-ऑफ श्रमिकों के लिए भी प्लांट बंद हो गया। उसके बाद से श्रम भवन रुद्रपुर में मज़दूरों का धरना जारी रहा। इस बीच द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय वार्ता चलती रही लेकिन नतीजा शून्य रहा।

हालांकि अभी भी प्रबंधन और श्रमिक प्रतिनिधियों के बीच वार्ता जारी है और प्रबंधन के कथन व व्यवहार से मज़दूरों को हर बार लगता है कि अब समझौता पूरा हो जाएगा और कार्य बहाली होगी। मज़दूरों का कहना है कि जैसे ही कोर्ट की तारीख आगे बढ़ जाति है, प्रबंधन ढीला पड़ जाता है।

कार्यबहाली की उम्मीद के बीच स्थितियाँ विकट

यह अजीबोगरीब स्थिति है कि सारी सहमति बनने के बावजूद मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है, जबकि समझौते का ड्राफ्ट लगभग तैयार है और कंपनी प्रबंधन स्पष्ट रूप से कहता है कि प्लांट चालू होगा।

अब देखना है कि इस रस्साकशी के बीच मज़दूरों की कार्यबहाली कब होती है, संघर्षरत मज़दूर इस विकट स्थिति से बाहर कब आते हैं? फिलहाल मजदूरों का संघर्ष जारी है और सुप्रीम कोर्ट में 3 मई की तारीख निर्धारित है। श्रमिक पक्ष से सुप्रीम कोर्ट में भी तैयारी पूरी है।

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