बांगलादेश: छंटनी के खिलाफ आंदोलित गारमेंट श्रमिक; पुलिस-सेना की गोली से दो श्रमिक घायल

bangladesh_workrs_protest

बंगलादेश की राजधानी ढाका के कफरूल इलाके में छंटनी और बंदी के विरोध में उतरे रेडीमेड गारमेंट (आरएमजी) श्रमिकों की पुलिस और सेना के जवानों के साथ झड़प हो गई। यह झड़प मीरपुर-14 से शहर के कचूखेत इलाके तक फैल गई।

प्रदर्शन गुरुवार, 31 अक्टूबर की सुबह करीब 8:30 बजे शुरू हुआ, जब डायना गारमेंट्स सहित कई कारखानों के श्रमिक सड़कों पर उतर आए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सैकड़ों आरएमजी श्रमिकों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मीरपुर-14 के कचूखेत रोड इलाके में प्रदर्शन शुरू कर दिया।

बाद में उन्होंने मीरपुर-14 से छावनी तक यातायात अवरुद्ध कर दिया। मज़दूरों में आक्रोश तीखा था और वे अपनी कार्यबहाली आदि की माँग कर रहे थे। जबकि सरकार ने मज़दूरों से निपटने के लिए पुलिस और सेना को उतार दिया।

स्थिति तब बिगड़ गई, जब पुलिस ने मज़दूरों पर लाठीचार्ज किया। जवाब में आरएमजी श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, सेना व पुलिस के दो वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, जिसे अग्निशमन विभाग ने जल्द ही बुझा दिया।

पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी और आंसू गैस के गोले छोड़े। इससे कम से कम दो श्रमिकों को गोली लगी। 17 वर्षीय अल अमीन के दोनों कंधों में गोली लगी और 15 वर्षीय झूमा अख्तर के पैर में गोली लगी। घायल श्रमिकों को ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) ले जाया गया।

जहाँ अल अमीन की स्थिति नाजुक है। परिजनों के अनुसार अल अमीन सेंटेक्स फैशन गारमेंट्स में काम करता है। प्रदर्शन के बीच अचानक फैक्ट्री बंद हो जाने से वह वापस घर लौट रहा था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक कपड़ा फैक्ट्री के कर्मचारी छंटनी और फैक्ट्री बंद करने के विरोध में सुबह करीब साढ़े आठ बजे सड़कों पर उतर आए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में मीरपुर-14 और कचूखेत इलाकों की कई फैक्ट्रियों के कर्मचारी भी उनके साथ शामिल हो गए।

उल्लेखनीय है कि दुनिया के बाजारों के लिए सबसे उन्नत किस्म के रेडीमेड कपड़े तैयार करने वाले श्रमिक बेहद काम वेतन और कठिन शोषणकारी परिस्थितियों में काम करते हैं। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए रेडीमेड गरमेंट का बांग्लादेश हब है।

यहाँ के मज़दूर बेहतर वेतन और सुविधाओं के लिए कई बार जुझारू संघर्ष कर चुके हैं और हर बार दमन के शिकार बने हैं। पिछले साल अक्टूबर माह से दिसंबर के बीच कई प्रदर्शन हुए थे, और काफी मज़दूरों की गिरफ़्तारी हुई थी।

बांग्लादेश में दमनकारी सरकार के तख्तापलट के बावजूद मज़दूरों के हालात में कोई बदलाव नहीं हुए हैं और नई अंतरिम सरकार भी उन्हीं दमनकारी हथियारों का इस्तेमाल कर रही है।

बंदी और छंटनी से बेहाल मज़दूरों ने इसबर भी जब संघर्ष किया तो भी उन्हें दमन का शिकार बनना पड़ा।

भूली-बिसरी ख़बरे