मज़दूरों पर हमले जारी, उत्तराखंड में फिर आया 12 घंटे काम का फरमान

सरकार ने कोरोना आपातकाल को बनाया बहाना
आपदा को ‘अवसर’ बनाते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक बार फिर उद्योगों में दैनिक 12 घंटे काम कराने की छूट वाली अधिसूचना जारी कर दी है। यह फरमान कोविड-19 के बहाने ‘आपातकाल’ स्थिति में लागू हो रहा है। इससे पूर्व सरकार फिक्स्ड टर्म रोजगार, 1000 दिनों के लिए श्रम क़ानूनों को स्थगित करने जैसे मज़दूर विरोधी फैसले ले चुकी है।
हालांकि यह कथित रूप से आवश्यक वस्तुओं, अविरल प्रक्रिया वाले उद्योगों तथा दवा निर्माताओं से संबंधित पंजीकृत कारखानों के लिए है। पिछले साल भी कोरना के बहाने 12-12 घंटे काम के फरमान वाली अधिसूचना जारी हुई थी।
इससे पूर्व तमाम विरोधों के बावजूद राज्य सरकार फिक्स्ड टर्म (नियत अवधि) रोजगार को हरी झंडी दे चुकी है। यही नहीं, राज्य की भाजपा सरकार नए उद्योगों के लिए 1000 दिनों के लिए श्रम क़ानूनों को स्थगित कर चुकी है।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार पुराने श्रम कानूनों को नेस्तनाबूद करके मज़दूर विरोधी जो चार श्रम संहिताएं ला रही हैं, उसमें फिक्स्ड टर्म और काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने का मुकम्मल प्रावधान कर दिया गया है।
लेकिन पूँजीपतियों के लिए जो जल्दबाजी मची है, उसमें राज्य सरकारें अपने को पूँजीपतियों का ज्यादा खैरख़्वाह बनने की होड़ में लगी हुई है। इसीलिए अधिसूचनाओं का सहारा लेकर गैरकानूनी ढंग से मज़दूर विरोधी ऐसे प्रावधान ला रही हैं।
अधिनियम की शक्तियों का गलत इस्तेमाल
यहाँ यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार अभी व पूर्व में भी कारखाना अधिनियम की जिस धारा पांच में प्रदत्त शक्तियों के तहत आपातकाल बताकर ऐसे प्रावधान थोप रही हैं, दरअसल वे प्रावधान इस प्रकार की अधिसूचना जारी करने की मनमानी छूट नहीं देता है।
पिछले साल गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड सहित तमाम राज्यों में ऐसे ही फरमान जारी हुए थे, जिसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती भी दी गई थी। इन सबके बावजूद उत्तराखंड सरकार ने अपना एक और मज़दूर विरोधी फरमान जारी कर दिया है, जो आवश्यक वस्तुओं, अविरल प्रक्रिया वाले उद्योगों तथा दवा कारखानों के लिए है।

क्या है इस अधिसूचना में
उत्तराखंड के श्रम सचिव डॉक्टर हरबंस सिंह चुघ की ओर से जारी अधिसूचना में लिखा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 (कोरोना वायरस) के दृष्टिगत संक्रमण अधिकता के कारण लागू आवश्यक वस्तुओं, अविरल प्रक्रिया वाले उद्योगों तथा दवा निर्माताओं से संबंधित पंजीकृत कारखानों को ओवरटाइम कार्य कराने हेतु कारखाना अधिनियम 1948 की धारा पांच में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पब्लिक इमरजेंसी के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कारखानों को उक्त अधिनियम की धारा 51, 54, 55 तथा 56 में निम्नवत शर्तों के अधीन शिथिलता प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
इसके तहत उपरोक्त वर्णित समस्त उद्योगों में उत्पादन इकाई हेतु 12-12 घंटे की पारियों में दैनिक कार्य कराया जा सकेगा जिसमें 4 घंटे प्रतिदिन ओवरटाइम के होंगे, जिसका नियमानुसार भुगतान होगा। सप्ताह में अधिकतम 6 कार्य दिवस और ओवरटाइम की सीमा प्रति सप्ताह 24 घंटे होगी।
अविरल प्रक्रिया वाले कारखानों में काम का विस्तार इस तरह से निर्धारित होगा कि प्रत्येक कर्मकार को 6 घंटे के पश्चात 30 मिनट का विश्राम अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। अतिकाल की शिथिलता का प्रयोग करने के निमित्त किसी भी नियोक्ता द्वारा छँटनी नहीं की जाएगी।
उपरोक्त अधिसूचना 25 मई 2021 को जारी हुई है और यह जारी होने की 60 दिनों तक के लिए प्रभावी होगी।