देशभर में आशा, आंगनवाड़ी, मिड दे मील स्कीम वर्कर्स रहे हड़ताल पर, मांगें कीं बुलंद

देशभर की आंगनवाड़ी, आशा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और मिड डे मील समेत अन्य स्कीम वर्कर्स ने शुक्रवार को काम का बहिष्कार करते की संख्या में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया।
स्थाईकरण आदि माँगों के साथ काले लेबर कोड, कृषि क़ानून व निजीकरण का विरोध, 27 सितंबर भारत बंद का समर्थन
अखिल भारतीय संयुक्त समिति के आह्वान पर विभिन्न माँगों के साथ एक दिवसीय हड़ताल के तहत पूरे देश में जिला मुख्यालयों, ब्लॉक मुख्यालयों व कार्यस्थलों पर आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा कर्मचारियों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किए गए। साथ 27 सितंबर भारत बंद का समर्थन किया।
इस दौरान कर्मियों ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया कि अगर आईसीडीएस, मिड डे मील व नेशनल हेल्थ मिशन जैसी परियोजनाओं का निजीकरण किया गया व आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा वर्कर को नियमित कर्मचारी घोषित न किया गया तो देशव्यापी आंदोलन और तेज होगा।
देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में स्कीम वर्कर सड़कों पर उतरे।
आशा कार्यकर्ताओं ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) के सामने प्रदर्शन किया, जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों ने परियोजना मुख्यालय में प्रदर्शन किया।

स्कीम वर्कर यूनियनों के संयुक्त मंच की तरफ से एआर सिंधु ने एक बयान में कहा कि आंगनबाडी, आशा और मिड डे मील वर्कर सहित लगभग एक करोड़ ‘स्कीम वर्कर’ अधिकांश लोगों को पोषण और स्वास्थ्य की बुनियादी सेवाएं दे रहे हैं, ये सभी एक दिन की हड़ताल पर गई हैं।
ज्ञात हो कि देशभर में तकरीबन एक करोड़ स्कीम वर्कर हैं। मुख्यतया तीन तरह के स्कीम वर्कर आज यूनियन के द्वारा संगठित हैं। आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील वर्कर। इनकी संख्या तकरीबन 65 से 70 लाख होगी। इन्हीं पर देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का आधार टिका हुआ है और इस कोरोना काल में इनकी भूमिका और अहम हो गई है।
इसलिए प्रधानमंत्री ने अभी अपने भाषणों में इन्हें कोरोना योद्धा बताया है लेकिन कर्मचारियों का कहना है वो सिर्फ भाषणों तक ही रहा है। क्योंकि आज भी इन्हें बिना किसी सुरक्षा के काम करने पर मजबूर किया जाता है। सबसे दुखद तो यह है कि इन्हें अपने काम का वेतन भी नहीं दिया जाता है। कई राज्यों में स्कीम वर्कर्स को 1500 से 3000 रुपये दिए जाते हैं।

प्रदर्शन की कुछ झलकियाँ
दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन हुए। दिल्ली आशा कामगार यूनियन संबंध के बैनर तले दिल्ली के मंडी हाउस में दिल्ली के अलग इलाको से आशा कर्मी आईं और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ जोरदार नारेबाज़ी की।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत आशा वर्कर्स, भोजन माता और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने आज शुक्रवार को सचिवालय कूच किया। गांधी पार्क से सचिवालय के कुछ पहले उन्हें पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोक दिया। इस पर महिलाओं ने सड़क पर ही धरना दिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ ही प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए गए।

हल्द्वानी। ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर यूनियन से जुड़ी आशाएं शुक्रवार को एक दिनी हड़ताल पर रहीं। आशाओं ने महिला अस्पताल के बाहर धरना देते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

रुद्रपुर में आशा वर्कर्स ने जिला अस्पताल में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और एक शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
बिहार के पश्चिम चम्पारण में ‘एटक’ एवं ‘सीटू’ के तत्वावधान में बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, बिहार राज्य विद्यालय रसोई संघ एवं बिहार राज्य आशा संघ के सभी स्कीम वर्कर हड़ताल पर रहे। बेतिया में बलिराम भवन से जुलूस निकाल कर पावर हाउस चौक पर प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया।

बिहार राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन पोलो मैदान से निकल आयुक्त कार्यालय, समाहरणालय, व्यवहार न्यायालय, लहेरियासराय टॉवर, लोहिया चौक होते हुए पुनः पोलो मैदान स्थित धरनास्थल पर पहुंचा।

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में पत्थर गिरजाघर सिविल लाइंस धरना स्थल पर दिन भर हड़ताल करते हुए सैकड़ों आशा, आंगनवाड़ी, रसोइयों ने धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से आई आशा, आंगनवाड़ी, रसोइयों ने भागीदारी की।

हिमाचल प्रदेश में सीटू से सम्बंधित हि.प्र. आंगनबाड़ी वर्करज़ एवं हेल्परज़ यूनियन व हि.प्र. मिड डे मील वर्करज़ यूनियन द्वारा जोरदार प्रदर्शन किए गए। संगठनों ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि अखिल भारतीय हड़ताल के आह्वान के तहत हिमाचल प्रदेश में दर्जनों जगह धरने-प्रदर्शन किए गये जिसमें प्रदेशभर में हज़ारों योजनाकर्मियों ने भाग लिया।

हरियाणा के विभिन्न जिलों की परियोजना कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की और उपायुक्त कार्यालय पर धरना दिया। फतेहाबाद में धरने में आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स, आशा वर्कर्स व मिड डे मील वर्कर्स ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया।

हरियाणा के पलवल में प्रदर्शन का दृश्य-

झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ संबद्ध जिला कमेटी ज्वाइंट प्लेटफार्म आफिस स्कीम वर्कर फेडरेशन के आह्वान पर सेविका-सहायिका जामताड़ा के स्थानीय गांधी मैदान से जुलूस के साथ अनुमंडल कार्यालय पहुंची। यहां जुलूस धरना प्रदर्शन में परिवर्तित हो गया।

महाराष्ट्र के अमवारती में प्रदर्शन करते स्कीम वर्कर्स-

आशा, आंगनवाड़ी, रसोइया की मुख्य मांगें
1. उन सभी योजना कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर अधिसूचित करें जिन्हें कोविड ड्यूटी में नियुक्त किया गया था। फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता देते हुए सभी के लिए तत्काल मुफ्त और सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करें। एक निश्चित समय सीमा के भीतर सार्वभौमिक मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाएं और वितरण को सरकारी विनियमन के तहत लाएं।
2. सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा स्कीम वर्कर्स सहित महामारी-प्रबंधन कार्य में लगे लोगों के लिए सुरक्षात्मक उपकरण आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करें। सभी फ्रंटलाइन श्रमिकों के बार-बार, निरंतर और फ्री कोविड-19 टेस्ट किए जाएं। कोविड से संक्रमित फ्रंटलाइन वर्कर्स को अस्पताल में भर्ती करने को प्राथमिकता दी जाए।
3. स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जीडीपी का 6 प्रतिशत आवंटित करें। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करें ताकि अस्पताल में पर्याप्त बिस्तर, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को सुनिश्चित किया जा सके ताकि कोविड संक्रमण बढ़ने पर आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके; आवश्यक स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए; सुनिश्चित करें कि गैर-कोविड रोगियों को सरकारी अस्पतालों में प्रभावी उपचार मिले।
4. सभी फ्रंटलाइन श्रमिकों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दो जिसमें ड्यूटी पर होने वाली सभी मौतों को कवर किया जाए, साथ ही मृत्यु होने वाले वर्कर के आश्रितों को पेंशन/ नौकरी दी जाए। पूरे परिवार के लिए कोविड-19 के उपचार का भी कवरेज दिया जाए।
5. कोविड-19 ड्यूटी में लगे सभी कांट्रैक्ट व स्कीम वर्कर्स के लिए प्रति माह 10,000 रू का अतिरिक्त कोविड जोखिम भत्ता भुगतान किया जाए। स्कीम वर्कर्स के वेतन और भत्ते आदि के सभी लंबित बकायों का भुगतान तुरंत किया जाए।
6. ड्यूटी पर रहते हुए संक्रमित हुए सभी लोगों के लिए न्यूनतम दस लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
7. मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को वापस लिया जाए। स्कीम वर्कर्स को ‘वर्कर’ की श्रेणी में लाया जाए। जब तक स्कीम वर्कर्स का नियमितिकरण लंबित है तब तक सुनिश्चित करें कि सभी स्कीम वर्कर्स का ई श्रम पोर्टल में पंजीकरण किया जाए।
8. केंद्र प्रायोजित योजनाओं जैसे आईसीडीएस, एनएचएम व मिड डे मील स्कीम के बजट आवंटन में बढ़ोत्तरी कर इन्हें स्थायी बनाओ। आईसीडीएस और मिड डे मील स्कीम के सभी लाभार्थियों के लिए अच्छी गुणवत्ता के साथ पर्याप्त अतिरिक्त राशन तुरंत प्रदान किया जाए। इन योजनाओं में प्रवासियों को शामिल किए जाए।
9. 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार स्कीम वर्कर्स को मजदूर के रूप में मान्यता दो, सभी स्कीम वर्कर्स को 21,000 रू प्रतिमाह न्यूनतम वेतन दो, 10,000रू प्रतिमाह पेंशन तथा ईएसआई, पीएफ आदि प्रदान करो।
10. मौजूदा बीमा योजनाएं (ए) प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, (बी) प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और (सी) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बीमा योजना – सभी योजनाओं को सभी स्कीम वर्कर्स को कवर करते हुए सार्वभौमिक कवरेज के साथ ठीक से लागू किया जाए।
11. गर्मियों की छुट्टियों सहित वर्तमान में स्कूल बंद होने की स्थिति में मिड डे मील वर्कर्स को न्यूनतम वेतन दिया जाए। केंद्रीयकृत रसोईयां और ठेकाकरण न किया जाए।
12. कोरोना अवधि तक सभी को 10 किलो राशन प्रति व्यक्ति प्रति माह दिया जाए। महंगाई पर रोक लगाई जाए। छः महीने तक टैक्स के दायरे से बाहर सभी परिवारों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह और ज़रूरतमंदों के लिए मुफ्त राशन / भोजन की व्यवस्था की जाए। सभी के लिए नौकरियां और आय सुनिश्चित की जाएं।
13. स्वास्थ्य (अस्पतालों सहित), पोषण (आईसीडीएस और मिड डे मील स्कीम सहित) और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लो। एनडीएचएम और एनईपी 2020 का रद्द करो। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों और सेवाओं के निजीकरण पर रोक लागाओ।
14. जनविरोधी कृषि कानूनों को वापस लो जोकि योजनाओं के लिए हानिकारक हैं।
15. डिजिटाइजेशन के नाम पर लाभार्थियों को निशाना बनाना बंद करें। ’पोषण ट्रैकर’, ’पोषण वाटिका’ आदि के नाम पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बंद करें।
16. भोजन के अधिकार और शिक्षा के अधिकार की तरह सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अधिकार के लिए कानून बनाया जाए।
17. वित्त जुटाने के लिए, ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट’ जैसी परियोजनाओं पर रोक लगाई जाए। संसाधनों के लिए अति धनी वर्गों पर कर लगाया जाए।