चंद्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवस पर महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ साझा अभियान का ऐलान

” कुरुक्षेत्र में चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवस पर महंगाई, बेरोज़गारी और समाज में बढ़ रहे संकट के ख़िलाफ़ जन संघर्ष मंच और क्रांतिकारी नौजवान सभा ने किया साझा अभियान का आग़ाज़ “
23 जुलाई 2022 को कुरुक्षेत्र में स्थानीय कश्यप राजपूत धर्मशाला में शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के 117 वें जन्मदिवस पर ‘बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी व सामाजिक संकट: समाधान क्या हो?’ विषय पर जन संघर्ष मंच हरियाणा व क्रांतिकारी नौजवान सभा द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के माध्यम से आनेवाले महीनों में इस विषय पर दोनों संगठनों द्वारा साझा जन-अभियान की शुरुआत की गयी।

जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव कॉम. सुदेश कुमारी ने शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनको क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बताया कि उनका जन्म आज के दिन 1906 में मध्य प्रदेश के भावरा गाँव के बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने आप को एक सामान्य मज़दूर से क्रांतिकारी संगठन के कार्यकर्त्ता स्तर तक उठाया और भगत सिंह के संगठन हिसप्रस के कमांडर-इन-चीफ बने। उन्होंने मेहनतकशों के लिए समाज में नेतृत्वकारी भूमिका की मिसाल स्थापित की। उन्होंने कहा कि 1947 में भारत में पूंजीवादी व्यवस्था की स्थापना हुई, यह वह ‘आज़ादी’ नहीं थी जिसकी भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद ने बात की थी। यह ‘आज़ादी’ महज़ पूंजीपतियों के लिए आज़ादी है, जबकी मेहनतकश वर्ग बेरोज़गारी और भुखमरी के नरक में फंसा पड़ा है और सभी उत्पादन साधनों पर पूंजीपति वर्ग कब्ज़ा है।

क्रांतिकारी नौजवान सभा के साथी कॉम खुशीराम ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पूंजीवाद में लगातार बदलाव हो रहे हैं जिसे मज़दूर वर्ग को समझना पड़ेगा। आज हमारे सामने फासीवाद की चुनौती खड़ी है, भाजपा ने देश प्रेम तक की परिभाषा को बदल कर रख दिया है। जो भी हिन्दुत्ववादी फासीवाद के विरुद्ध बोलता है उसको देशद्रोही करार कर जेल में बंद कर दिया जा रहा है। इस परिस्थिति का वर्ग चेतना के बल पर ही सामना किया जा सकता है। हमें शहीदेआज़म भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और उनके साथियों के विचारों को जनता में ले जाने की ज़रुरत है।

मज़दूर सहयोग केंद्र गुड़गांव और साथी रामनिवास ने बताया कि आज नौजवानों को अंध विश्वास में धकेल दिया गया है। आज कावड़ यात्रियों पर फूल बरसाए जा रहे हैं, पर जब यही बेरोज़गार लोग रोज़गार के लिए सड़कों पर उतारते हैं तो इनपर लाठियां बरसाई जाती हैं। निर्माणकार्य मज़दूर मिस्त्री यूनियन के प्रांतीय प्रधान कॉम करनैल सिंह ने कहा कि आज़ादी के संघर्ष में तीन धाराएं थीं — कांग्रेस, सुभाष चन्द्र बोस और भगत सिंह की विचारधारा, जिसमें भगत सिंह और उनके साथियों ने समाज में मज़दूर मेहनतकश किसान आबादी की सत्ता की बात की जो आज भी अति महत्वपूर्ण है। मनरेगा मज़दूर यूनियन के प्रधान कॉम नरेश कुमार ने कहा कि जैसा कि भगत सिंह ने कहा था, आज भारत में गोरी बुराई की जगह काली बुराई भारतीय सत्ता पर आसीन हो गयी है।

जनसंघर्ष मंच के प्रांतीय प्रधान कॉम फूल सिंह ने विचार गोष्ठी के अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह व्यवस्था गरीब मज़दूर किसान पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है। महंगाई और बेरोज़गारी बेतहाशा बढ़ चुकी है। वैसे तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया गया है परन्तु बिना रोज़गार के यह अधिकार क्या मायने रखता है? गरीब आदमी पर टैक्स की मार लगातार चल रही है और अब खाद्य वस्तुओं पर भी जीएसटी लगा दिया गया है। उन्होंने सभी क्रांतिकारी संगठनों की एकजुटता का आह्वान किया और विभिन्न संगठनों से आये सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करते हुए महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ एक तीव्र अभियान की शुरुआत की घोषणा की।
जन संघर्ष मंच हरियाणा, द्वारा ज़ारी प्रेस विज्ञप्ति