दमन के बीच अमेरिका में फिलिस्तीन में नरसंहार के खिलाफ छात्र-छात्राओं के आंदोलन लगातार जारी

Amerika_student_protest

अमेरिका में इजराइली बर्बर हमलों और फिलिस्तीनी जनता के समर्थन में छात्र-छात्राओं का आंदोलन उबाल पर है। बाइडन सरकार की इस्राईल समर्थक नीतियों के बावजूद अमेरिका में फिलिस्तीन का समर्थन लगातार बढ़ रहा है। अमेरिकी मुख्यधारा के विपरीत छात्र-शिक्षक-जन आंदोलन मजबूत हुआ है।

पिछले शैक्षणिक सत्र में अमेरिकी कॉलेज परिसरों में जोरदार प्रदर्शन के साथ आंदोलन जारी रहे थे। नए सत्र में भी आंदोलन जारी है और छात्र संगठनों ने शैक्षिक सत्र के दौरान कक्षा बहिष्कार का ऐलान किया है। यही नहीं छात्र आंदोलन व फिलिस्तीन के समर्थन में शिक्षक और देश के अन्य नागरिक भी उतर रहें हैं।

विद्यार्थियों का कहना है- ‘हम फिलिस्तीनी मुक्ति की लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम विश्वविद्यालय से मांग करते हैं कि वह नरसंहार में सहायता करने सभी संस्थाओं से अलग हो जाए।’ 

शिक्षकों के मुताबिक छात्र अमेरिकी साम्राज्यवादी युद्धों और नस्लीय अन्याय को खत्म करने के लिए लड़ रहे हैं। हर मामले में छात्रों और उनके समर्थकों को दमन, अपराधीकरण और हिंसा का सामना किया है।

छात्र संगठनों का ऐलान

बीते दिनों छात्र संगठन यंग डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट्स ऑफ अमेरिका (YDSA) ने अपने हड़ताल के क्रम में आगामी शैक्षिक सत्र के दौरान कक्षा का बहिष्कार करने की घोषणा की है। YDSA ने कहा है कि छात्र घरों रहकर ही पढ़ाई करेंगे और इस दौरान यूनिवर्सिटी और कॉलेज का बहिष्कार करेंगे।

द फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के वामपंथी डेमोक्रेटिक सोशलिस्टों की युवा और छात्र शाखा YDSA ने पिछले महीने ही नया संकल्प प्रकाशित किया है, जिसमें देशभर के 100 से अधिक विश्वविद्यालय चैप्टर के सदस्यों से “फिलिस्तीन के लिए छात्र हड़ताल” आंदोलन में भाग लेने के लिए आह्वान किया गया है और उनसे शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की शुरुआत में ही विश्वविद्यालयों का बहिष्कार करने की अपील की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्र संगठनों से अपने-अपने शैक्षणिक परिसरों में गाजा में सीजफायर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करने के लिए हड़ताल करने का आह्वान किया गया है। हालांकि, छात्रों को यह स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है कि इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में उनकी हड़ताल कब तक चलती रहेगी।

अमेरिकी विद्यार्थियों का आंदोलन लगातार जारी

अमेरिका के कॉलेज परिसरों में जागरूक छात्र-छात्राओं द्वारा की गई कार्यवाही उनके आंदोलन के घटनाक्रमों में नवीनतम है। ये छात्र संगठन गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायली आक्रमण का विरोध कर रहे हैं और फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए आवाज उठा रहे हैं।

पिछले शैक्षणिक सत्र में भी अमेरिकी कॉलेज परिसरों में छात्रों ने जोरदार आंदोलन चलाए थे। इस दौरान कई विश्वविद्यालयों में हिंसक झड़पें भी हुईं। कोलंबिया और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जबरदस्त प्रदर्शन किए। पिछले सत्र में कोलंबिया यूनिवर्सिटी का कॉलेज परिसर इजरायल पर हमास के हमले के बाद छात्र आंदोलन का केन्द्र बन गया था।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में फलस्तीनी जनता के समर्थन में आंदोलन और पुलिस द्वारा उसका दमन जारी है। इस साल मई माह की शुरुआत में पुलिस ने 40 स्थानों से आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया। ये आंदोलनकारी छात्र-छात्राएं इजरायल के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों के बहिष्कार का आह्वान भी कर रहे थे। उस वक़्त अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों से 2,500 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को गिरफ्तार किया गया था।

इन तमाम दमनपूर्ण कार्रवाइयों के बावजूद अमेरिका में इजराइली बर्बर हमलों के खिलाफ और फलस्तीनी जनता के समर्थन में छात्र-छात्राओं के आंदोलन लगातार जारी हैं।

ये विरोध प्रदर्शन 1960 के दशक की याद दिलाते हैं जब अमेरिका के लोग वियतनाम युद्ध के विरोध में अपने ही देश के ख़िलाफ़ सड़कों पर आ गए थे।

तीन विश्वविद्यालय के प्रमुखों के इस्तीफे

इस बीच तीन-तीन विश्वविद्यालयों के प्रमुख अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय अगला के अध्यक्ष मिनोचे शफीक ने बीते दिनों नया सत्र शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

शफीक से पहले पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय की अध्यक्ष लिज़ मैगिल ने पिछले साल दिसंबर में दो साल से भी कम समय के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दे दिया था। जनवरी में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष क्लॉडाइन गे भी इस्तीफा दे चुके हैं।

अमेरिकी मुख्यधारा के विपरीत आंदोलन मजबूत

प्रदर्शन के भागीदार अमेरिकी शिक्षक का कहना है कि अमेरिका में छात्र आंदोलन की लंबी परंपरा रही है। इसकी शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब मैं छात्र था। तब हमने वियतनाम युद्ध और ब्लैक पैंथर पार्टी के हिंसक दमन का विरोध किया था।

छात्रों का हालिया संघर्ष उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। छात्र अभी भी अमेरिकी साम्राज्यवादी युद्धों और नस्लीय अन्याय को खत्म करने के लिए लड़ रहे हैं। हर मामले में छात्रों और उनके समर्थकों को दमन, अपराधीकरण और हिंसा का सामना किया है।

अमेरिकी मुख्यधारा के विपरीत चल रहे इस छात्र आंदोलन को दबाने के तमाम प्रयास हुए, लेकिन आंदोलन अब भी खड़ा है, और मजबूत हुआ है।