जज्बे के बाद गाजीपुर बार्डर फिर आबाद, सिंघू व टिकारी बार्डरों पर निकली रैली

राकेश टिकैत कि भावनात्मक अपील से बदला माहौल
किसान नेता राकेश टिकैत के अनशन पर बैठने के ऐलान और अपील का वीडियो वायरल होने के बाद गाजीपुर बार्डर पर किसानों का जत्था जुटाने लगा। हालत देख बॉर्डर खाली कराने पहुंची यूपी पुलिस वापस लौटने पर विवश हो गई। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बार्डर और टीकरी बॉर्डर पर सद्भावना रैली निकाली। जबकि जींद-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को ग्रामीणों ने ब्लॉक कर दिया।
बीते दिनों की सजीशाना घटना और दमनपूर्ण कार्रवाइयों के बाद आन्दोलन नए मोड़ पर या गया है। जन विरोधी तीन काले कानूनों की वापसी की माँग और मुखर हो गई है। सरकार की नियत और साफ होने के साथ प्रतिरोध के स्वर नए तेवर लेने लगे हैंl
संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गाजीपुर में प्रदर्शनकारी किसानों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कटौती और आज किसानों को जबरन हटाने के प्रयासों की निंदा की। मोर्चा के नेताओं ने ऐलान किया है कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे हम लोग घर वापस नहीं जाएंगे।
मोर्चा नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने के सरकार के प्रयास जारी है। सुरक्षा बालों की बढ़ती तैनाती से सरकार की घबराहट साफ जाहिर होती है। सरकार बार बार आंदोलन को हिसंक दिखाना चाहती है पर आंदोलन शांतिपूर्ण था और रहेगा।
दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों की निंदा करते हुए नेताओं ने कहा कि हमें ये नोटिस नहीं डरा सकते।
गाजीपुर बार्डर
गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार की शाम को जिला प्रशासन के अधिकारी जब भारी पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स पहुँचने और आधी रात तक धरना स्थल खाली कराने के अल्टिमेटम से तमाम लोगों को लगा कि यह इस आंदोलन की आखिरी रात है। लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने माहौल को एकदम से बदल दिया।

राकेश टिकैत ने अनशन पर बैठने का ऐलान करते हुआ कहा था कि उनका पानी सरकार ने बंद कर दिया है अब जब उनके गांव के लोग पानी लेकर आयेंगे तभी पीऊंगा।
टिकैत के आह्वान पर रातों रात ट्रैक्टरों में भर भरकर गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के जत्थे पहुंचने लगे। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सैकड़ों ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ रात को ही रवाना हो लिए। करीब 700 ट्रैक्टर पंजाब के बठिंडा से रवाना होने की ख़बर चली तो पश्चिमी यूपी से एक हजार ट्रैक्टर किसानों को लेकर निकलने की।
हजारों किसानों के गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचने के बाद पुलिस प्रशासन ने अपने कदम पीछे खींच लिए। गाजीपुर बॉर्डर को खाली कराने गये भारी पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को वापस हटा लिया गया। गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी गई और पानी के टैंकर दिल्ली सरकार ने भेज दिए।

मुजफ्फरनगर
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) अध्यक्ष नरेश टिकैत ने रात एक बजे ट्वीट करके कहा ‘पुलिस रोके, सरकार रोके या कोई और… न रुकना है और न झुकना है और न टूटना है। बाबा टिकैत का एक-एक सिपाही दिल्ली की ओर बढ़ रहा है। कल नई सुबह होगी, नया सूरज निकलेगा।’ सुबह महापंचायत होगी और अब हम इस आंदोलन को निर्णायक स्थिति तक पहुंचा कर ही दम लेंगे।
हरियाणा
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को जबरन उठाने की यूपी पुलिस की रणनीति ने हरियाणा के किसानों को आक्रोशित कर दिया है। कई गांवों में देर रात तक बैठकें जारी हैं। किसानों की योजना है कि बड़ी संख्या में दिल्ली सीमा की तरफ कूच करके सरकार को बता दें कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है।

सिंघू बार्डर। दमन और साजिशों के बीच संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सद्भावना यात्रा निकाली गई। यह मार्च किसानों के बीच एकता की भावना को मजबूत करने के लिए था। किसान नेताओं ने कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद केवल कुछ लोगों की जागीर नहीं है। भारत के जवान, जो किसानी परिवार से है, भी देश की रक्षा करते हैं और किसान भी उतने ही देशभक्त हैं।
सिंधु बॉर्डर विरोध स्थल पर लगभग 16 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली सद्भावना यात्रा में बलबीर सिंह राजेवाल, दलजीत सिंह दलेवाल, डॉ दर्शन पाल, जगमोहन सिंह पटियाला, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, गुरनाम सिंह चढूनी, जंगबीर सिंह, सुरेश खोथ, अमरजीत सिंह और अन्य विभिन्न नेताओं के साथ सभी प्रदर्शनकारी किसानों ने संदेश दिया कि वहाँ बढ़ती पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी से हमे डरने की जरूरत नहीं है।

दूसरी ओर, सिंघु पर दिल्ली पुलिस ने भारी तादाद में अपने जवान तैनात किए हैं। यहां दिल्ली पुलिस ने हरियाणा को जोड़ने वाली सड़क जेसीबी से खोद दी है।
टीकरी बॉर्डर पर भी किसानो ने मार्च आयोजित कर एकता और देशभक्ति दिखाई। बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्राहां की अगुवाई में किसानो ने मार्च निकाले।

जींद। जिले के कंडेला गांव के पास जींद-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को ग्रामीणों ने ब्लॉक कर दिया। किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये को देखते हुए शुक्रवार को खाप पंचायतों की बैठक बुलाई गई है। इसमें आंदोलन कर रहे किसानों की किस तरह से मदद की जाए। ग्रामीण सरकार के कदम से बेहद आहत दिख रहे हैं।