हिसार, टोहाना, सिरसा के बाद करनाल में किसानों की जीत; मिशन यूपी की योजना तैयार

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हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की माँगें मनाने के बाद करनाल लघु सचिवालय का घेराव समाप्त। प्रशासन के लिए सबक, शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।

मिशन यूपी के तहत किसान अड़ानी-अंबानी का विरोध व सभी भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसान-मजदूर समुदाय ने अपने ओलंपिक पदक विजेता युवा नायकों को गर्व से सम्मानित किया।

हरियाणा के किसानों और प्रशासन के बीच हुआ समझौता, जीत के साथ धरना खत्म

हरियाणा के करनाल लघु सचिवालय पर चार दिनों के आंदोलन के बाद किसानों की जीत हुई है। प्रशासन ने एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ न्ययिक जांच करने और किसान सुशील काजल के परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी देने की उनकी मांगों पर सहमति व्यक्त कर दी है। सिर फोड़ने का आदेश देने वाले एसडीएम को छुट्‌टी पर भेज दिया गया है।

एसकेएम द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि भाजपा-जजपा सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मानने के बाद करनाल लघु सचिवालय का 4 दिवसीय घेराओ आज समाप्त हो गया। खट्टर सरकार 28 अगस्त 2021 को किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी आयुष सिन्हा को निलंबित करने के लिए सहमत हुई।

हरियाणा के किसान संगठन और प्रशासन के बीच एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच के लिए समझौता भी हुआ, जो पुलिस हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान की मौत और अनेक किसान घायल हुए थे, में आयुष सिन्हा की भूमिका पर गौर करेंगे। एक महीने के अंदर जांच पूरी कर ली जाएगी। सरकार ने शहीद सुशील काजल के परिवार को मुआवजा देने और परिवार के सदस्यों को दो नौकरियों के रूप में सहायता प्रदान करने पर भी सहमति व्यक्त की।

हिंसा में घायल हुए किसानों को भी मुआवजा दिया जाएगा। ये निर्णय स्थानीय किसान संगठनों के साथ-साथ राज्य के कानूनी विषेशज्ञों के परामर्श से और विश्वास में लेने के बाद लिए गए। इसी के साथ, करनाल लघु सचिवालय का घेराव उसी विजयी अंदाज में समाप्त हुआ, जैसा कि पिछले कई महीनों में हिसार, टोहाना और सिरसा में पिछले धरने हुए थे।

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एसडीएम ने किसानों के “सिर फोड़ने” को कहा था

एसडीएम सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भाजपा द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेने का विरोध कर रहे किसानों के “सिर फोड़ने” के लिए कहा जा रहा था। मुख्यमंत्री ने अधिकारी के आचरण का बचाव किया था।

समझौता और संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस के बाद गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों के बीच आकर मानी गई मांगों की विस्तार से जानकारी दी और चल रहे धरने को समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने किसानों से अब दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर कूच करने को कहा।

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मिशन यूपी : भाजपा-कॉरपोरेट का होगा विरोध, टोलप्लाजा होंगे मुक्त

कल गठित एसकेएम उत्तर प्रदेश इकाई ने पुष्टि की है कि 27 सितंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा और इसमें पूरे यूपी के किसानों की ज़बर्दस्त भागीदारी होगी। मिशन यूपी के तहत किसान सभी भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे, जैसा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में किया जा रहा है। किसान अंबानी-अडानी का भी विरोध करेंगे और पूरे यूपी में टोल प्लाजा मुक्त करेंगे। इस बीच, 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को चंपारण, बिहार से एक किसान मार्च शुरू होगी और 350 किमी की यात्रा कर 20 अक्टूबर को वाराणसी पहुंचेगी।

https://mehnatkash.in/2021/09/08/crowd-of-farmers-gathered-in-karnal-broke-the-blockades-and-camped-at-the-mini-secretariat/

ओलम्पिक पदक विजेताओं का हुआ सम्मान

किसान-मजदूर समुदाय ने अपने युवा नायकों को गर्व से सम्मानित किया। ओलंपिक पदक विजेता और राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को आज हजारों किसानों की गौरवपूर्ण उपस्थिति में हरियाणा के खरखोदा अनाज मंडी में सम्मानित किया गया। किसानों ने भारत के युवा नायकों को सम्मानित कर उन्हें देश का गौरव बतलाया।

https://mehnatkash.in/2021/09/03/lawyers-fury-march-from-supreme-court-to-haryana-bhawan-against-karnal-violence/

पटना में समन्वय समिति द्वारा सम्मेलन आयोजित

पटना, बिहार में आज अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जहाँ पूरे बिहार के दर्जनों किसान संगठन एक साथ आए। किसान नेताओं ने भारत बंद को सफल बनाने और कृषि आंदोलन को राज्य के कोने-कोने तक ले जाने का संकल्प लिया।

भारी बारिश व बाढ़ के बीच गाजीपुर मोर्चे पर किसान डटे हैं

लगातार हो रही बारिश ने गाजीपुर मोर्चा को जलमग्न कर दिया है, जिससे किसानों के शिविरों और उनके राशन को नुकसान पहुंचा है। ऐसी मुश्किलों का सामना करते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने बाढ़ मोर्चा में धरने पर बैठ कर अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया. करनाल हो या दिल्ली मोर्चा, किसान तमाम मुश्किलों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं।

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मोदी सरकार वर्षों से मायावी लक्ष्य का स्वप्न दिखला रही

मोदी सरकार कई वर्षों से “किसानों की आय दोगुनी करने” के मायावी लक्ष्य का स्वप्न दिखला रही है। किसानों की आय छह साल में (यानी 2022 तक) दोगुनी करने के लिए 2016 में किए गए वादे की समय सीमा कुछ ही महीने दूर है। C2 लागत के आधार पर सभी कृषि उत्पादों पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी रूप से गारंटी देने की किसानों की मांग को ठुकराते हुए, मोदी सरकार ने भूमि के मालिक कृषि घरानों के लिए प्रति माह केवल 500 रुपये का प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण करने का विकल्प चुना। इसे भी 2019 के चुनावों के लिए चुनाव पूर्व स्टंट के रूप में किया गया था।

https://mehnatkash.in/2021/09/06/kisan-mahapanchayat-in-karanal-7-september/

50 फीसदी से अधिक कृषि परिवार कर्ज में हैं

अब मोदी सरकार के जुमले पर रिपोर्ट कार्ड से आधिकारिक रूप से स्पष्ट हो गया है। एनएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 50% से अधिक कृषि परिवार कर्ज में हैं, पिछले पांच वर्षों में किसानों के कर्ज में 58% की वृद्धि हुई है। खेती से होने वाली आय में वास्तविक रूप से कमी आई है, अधिकांश कृषि आय, मजदूरी या गैर-कृषि व्यवसाय के रूप में आ रही है।

यह भारत में किसानों को खेतिहर मजदूर बनाने की एक समग्र प्रवृत्ति की पुष्टि करता है। अब समय आ गया है कि मोदी सरकार भारत में किसानों की आय में सुधार के लिए सही मूल्य के मार्ग, जो कि सबसे प्रत्यक्ष और समीपस्थ मार्ग है और सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए कृषि आंदोलन की मांग को पूरा करता है, को अपनाए।

संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस विज्ञप्ति (289वां दिन, 11 सितंबर 2021) के साथ

जारीकर्ता- बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चारुनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।

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