अडानी अभियोग: प्रमुख हस्तियों का बिजली क्षेत्र में ‘नीतिगत भ्रष्टाचार’ की जांच की मांग की

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द पीपल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर एंड पब्लिक सर्विसेज ने भी सरकार से 6 महीने में संसद में एक व्यापक रिपोर्ट पेश करने की मांग की है।

नई दिल्ली: भारत की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में कथित तौर पर करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी योजना में अडानी ग्रीन सहित कई कंपनियों पर अमेरिका द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद “परेशान करने वाली चिंताओं” को ध्यान में रखते हुए सिविल समाज की प्रमुख हस्तियों ने भारत के बिजली क्षेत्र में सरकार और कॉर्पोरेट कंपनियों में जवाबदेही की मांग की है। उन्होंने यह भी मांग की कि इस पर एक व्यापक रिपोर्ट छह महीने के भीतर संसद के समक्ष रखी जाए।

एक प्रेस विज्ञप्ति में द पीपल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर एंड पब्लिक सर्विस (पीसीपीएसपीएस) ने कहा कि अमेरिका द्वारा ये आरोप “न केवल बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को लेकर है जो स्पष्ट रूप से भारत और यूएसए में व्याप्त है, बल्कि यह भी है कि कैसे केंद्रीय बिजली मंत्रालय द्वारा पसंदीदा व्यावसायिक समूहों के कहने पर अपनाई गई धोखाधड़ी वाली नीतियों ने पूरे देश में बिजली उपभोक्ताओं को धोखा दिया है।”

इसने मांग की कि एक स्वतंत्र न्यायिक निगरानी में, “सीबीआई/ईडी/सीबीडीटी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा यूएस एसईसी/एफबीआई से और अधिक साक्ष्य जुटाने के लिए एक व्यापक जांच का आदेश दिया जाना चाहिए, जिनमें उन परिस्थितियों पर तथ्यात्मक साक्ष्य जो केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को इस तरह की भ्रामक नीतियों को अपनाने और राज्यों को इस तरह के अवैध निर्देश जारी करने के लिए प्रेरित करते हैं, संबंधित भारतीय व्यावसायिक समूहों की भूमिका जिसमें उन्होंने किस हद तक अनुचित लाभ उठाया, पीपीए की एकतरफा प्रकृति, केंद्र और राज्यों में सरकारी पदाधिकारियों की भूमिका और देश में बिजली उपभोक्ताओं को हुए नुकसान शामिल हैं।”

पीसीपीएसपीएस ने कहा कि यदि आरोप सही साबित होते हैं तो संबंधित समूह और उनके प्रमोटरों को भारत के बिजली क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों की काली सूची में डाल दिया जाना चाहिए।

पीपल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर एंड पब्लिक सर्विसेज में प्रख्यात शिक्षाविद, न्यायविद, पूर्व प्रशासक, ट्रेड यूनियनिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं।

न्यूज़क्लि से साभार

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