लोकार्पण: स्वास्थ्य के निजीकरण का हाल बताती पुस्तिका ‘बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था : क्या है विकल्प?’

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नब्बे दशक से पहले की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के समाधान के नाम पर उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियाँ लागू करते हुए सरकारों ने स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार के हवाले कर दिया है।

मथुरा। समाजवादी लोक मंच तथा सोशलिस्ट अड्डा के संयुक्त तत्वावधान में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानने और इसकी कमियों को समझते हुए इसे मुनाफा केंद्रित से मानव केंद्रित बनाने के उपायों पर चर्चा करती पुस्तिका ‘बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था : क्या है विकल्प?’ का लोकार्पण 16 दिसंबर को बीएसए कॉलेज के निकट के.डी. क्लासेज़ में हुआ। यह पुस्तिका समाजवादी लोक मंच की पुस्तिका श्रृंखला की कड़ी का ही हिस्सा है।

कार्यक्रम की शुरुआत में दिल्ली से आए धर्मेन्द्र आज़ाद ने इस पुस्तिका के प्रकाशन का औचित्य बताते हुए कहा कि नब्बे के दशक से पहले की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को हल करने के नाम पर उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियाँ लागू करते हुए हमारी सरकारों ने स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार के हवाले कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में साढ़े पाँच करोड़ से अधिक परिवार महंगा इलाज खरीदने के कारण गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं।

समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि देश के संविधान में संशोधन करके स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा की सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत करने की आवश्यकता है।

कौशल्या चुनियाल ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास के क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों की बदहाली के खिलाफ तथा उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाने के समर्थन में चल रहे जन आंदोलन के बारे में विस्तृत बातचीत रखी।

इस कार्यक्रम के माध्यम से समाजवादी लोकमंच ने मांग की है कि दवा उत्पादन इकाईयों एवं निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत सरकार द्वारा विश्व व्यापार संगठन के साथ किए गए पेटेंट कानून जैसे तमाम गैर बराबरी पूर्ण समझौतों को रद्द किया जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इप्टा के जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को मुनाफाखोरी की जकड़ से निकालने के लिए इस तरह के आयोजन किए जाते रहने चाहिए तथा लोगों को एकजुट होकर समाजवादी लोकमंच द्वारा उठाई गई मांगों के समर्थन में आगे आना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन सौरभ इंसान ने किया, सोशलिस्ट अड्डा की ओर से पवन सत्यार्थी, शिल्पी, कुलदीप तथा पंचम सिंह आजाद ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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