बेरूत धमाका : विरोध-प्रदर्शनों के बाद PM सहित पूरी सरकार ने दिया इस्तीफा !

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लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब ने 4 अगस्त को हुए धमाके के बाद पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा दे दिया है. कई मंत्री और सांसद प्रदर्शनों के बाद पहले ही इस्तीफा दे चुके थे. दियाब ने कहा है कि वे लेबनान की जनता के साथ हैं।

लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में सरकार के इस्तीफे का ऐलान किया। सोमवार को देश के नाम संक्षिप्त संबंधोन में दियाब ने कहा वह “एक कदम पीछे” जा रहे हैं ताकि वह लेबनान की जनता के “साथ खड़े होकर बदलाव की लड़ाई लड़ सके.” उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “मैं आज अपनी सरकार के इस्तीफे की घोषणा करता हूं. ईश्वर लेबनान की रक्षा करे.” दियाब ने आगे कहा, “आज हम जनता और उनकी मांगों पर ध्यान दे रहे हैं और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराने की मांग को मान रहे हैं.”

दियाब ने पिछले सप्ताह राजधानी बेरूत में घातक विस्फोट के लिए अपने पूर्ववर्तियों को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, “उन्हें (राजनीतिक वर्ग) खुद पर शर्म आनी चाहिए क्योंकि उनके भ्रष्टाचार की वजह से ऐसी त्रासदी हुई जो कई सालों से छिपी हुई थी.” लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन ने सरकार का इस्तीफा मंजूर कर लिया है.

जनता के बढ़ते दबाव के बीच लेबनानी सरकार ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक की थी. 4 अगस्त को राजधानी बेरूत के बंदरगाह पर हुए विस्फोट में 163 लोगों की मौत हो गई थी और 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. दियाब ने देश की हालत के लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “मैंने पहले भी कहा है भ्रष्टाचार हर स्तर पर जड़े जमाए हुए है. मुझे मालूम चल गया है कि भ्रष्टाचार राष्ट्र से भी बड़ा है.” उन्होंने एक खास राजनीतिक वर्ग की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह देश में बदलाव नहीं देखना चाहता और उनकी सरकार को सुधारों को लागू करने के लिए एक मजबूत दीवार का सामना करना पड़ा।

इस बीच फ्रांस ने लेबनान में नई सरकार के “तीव्र गठन” का आग्रह किया है. फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियान ने एक बयान में कहा, “सुधारों और शासन के संदर्भ में लेबनान की जनता द्वारा व्यक्त की गई आकांक्षाओं को सुना जाना चाहिए. ऐसी सरकार के तेजी के साथ गठन की प्राथमिकता होनी चाहिए जो लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सके.”

राष्ट्रपति माइकल आउन ने दियाब की सरकार को कार्यकारी सरकार के रूप में काम करने को कहा है. इसी साल जनवरी में हिजबुल्लाह और उसके सहयोगियों की मदद से दियाब ने प्रधानमंत्री का पद संभाला था. दियाब के इस्तीफे के ऐलान के पहले ही मध्य बेरूत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने संसद भवन के एक गेट पर पथराव किया जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे. 4 अगस्त को बेरूत धमाके के अगले दिन से ही लेबनान में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे. लोग सरकार पर नाकामी का आरोप लगाते आ रहे हैं. लेबनान की जनता का आरोप है कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की वजह से बेरूत में इतना बड़ा धमाका हुआ और सैकड़ों लोग मारे गए.

सरकारी अधिकारियों के अनुसार धमाके के सिलसिले में लगभग 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें लेबनान के सीमा-शुल्क विभाग का प्रमुख भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों समेत कई लोगों से पूछताछ की गई है। धमाके के विरोध में बेरूत में पिछले दो दिन में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई है।

विस्फोट से तबाह हुआ 19वीं शताब्दी का ऐतिहासिक महलः बेरूत के 160 साल पुराने महल ने दो-दो विश्वयुद्ध झेले, उस्मानिया साम्राज्य का सूरज अस्त होते देखा, फ्रांस का कब्जा और फिर लेबनान की स्वतंत्रता का गवाह बना। आजादी के बाद 1975-1990 के खूनी गृहयुद्ध खत्म होने पर 20 साल की मशक्कत से इसकी पुरानी शान बहाल की गई, लेकिन बेरूत में हुए भयानक धमाके में यह तबाह हो गया।

बेरूत में सबसे ज्यादा मंजिलों वाली इमारतों में शामिल इस ऐतिहासिक सुर्सोक महल के मालिक रोडरिक सुर्सोक का कहना है, ‘‘ एक पल में सब कुछ फिर से तबाह हो गया।’’ सुर्सोक महल की ढह चुकी छतों, धूल से भरे कमरों, टूटी फर्श और दरारों से पटी पड़ी दीवारों पर लटक रहे पूर्वजों के पेंटिंग के बीच सावधानी पूर्वक चलते हैं। वह बताते हैं कि भवन की ऊपरी मंजिल की छत पूरी तरह से टूट चुकी है, कुछ दीवारें भी गिरी हैं।

उन्होंने कहा कि इस महल को 15 साल के गृह युद्ध में जितना नुकसान पहुंचा था, उससे 10 गुणा ज्यादा नुकसान बेरूत में पिछले सप्ताह हुए भयानक विस्फोट से हुआ। इस महल का निर्माण 1860 में हुआ था और यह उस्मानिया काल के फर्नीचर, संग मरमर और इटली के बेहतरीन पेंटिंग से सजा था। दरअसल इस भवन से जुड़ा परिवार ग्रीक ऑर्थोडॉक्स परिवार से ताल्लुक रखता है। यह परिवार मूल रूप से बैजंतिया साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया यानी इस्तंबुल का है जो 1714 में बेरूत में बस गया था।

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