मज़दूर नेता पर राजद्रोह का मुक़दम प्रताड़ना का हथियार

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फ़ाइल फोटो

ठेका मज़दूर कल्याण समिति के सचिव अभिलाख सिंह की आवाज़ दबाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने रची साजिश, पंतनगर थाने में दर्ज किया राजद्रोह का मुक़दमा घोर निंदनीय कृत्य

पिछले लम्बे समय से मज़दूर हितों के लिए संघर्षरत और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में ठेका मज़दूरों के लिए सक्रिय कॉमरेड अभिलाख सिंह पर उत्तराखंड पुलिस द्वारा राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज करना घोर निंदनीय कृत्य है। यह जनपक्षधर ताक़तों पर बढ़ते हमले और प्रताड़ना को उजागर करता है।

जहाँ सोशल मिडिया पर भाजपा आईटी सेल के नफ़रत भरे और फर्जी पोस्टों की आंधी बहा रही है, वहीँ मज़दूर हक़ की बात उठाने वालों और सच के लिए बेबाक टिप्पड़ी करने वाले कॉमरेड अभिलाख पर मुक़दमा ठोंकना भाजपा सरकार के एजेंडे के अनुरूप सत्ता तंत्र की कार्य प्रणाली की बानगी मात्र है।

इस पूरे प्रकरण पर इंक़लाबी मज़दूर केंद्र द्वारा जारी अपील हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं-

लॉक डाउन से त्रस्त मज़दूरों पर पुलिस दमन के खिलाफ आवाज उठाने पर साथी अभिलाख सिंह पर  राज द्रोह का मुकदमा दर्ज करने का विरोध करो!

लॉक डाउन के चलते दर दर भटक रहे मज़दूरों पर पुलिस उत्पीड़न का विरोध करने पर इंकलाबी मज़दूर केंद्र के कार्यकर्ता व ठेका मज़दूर कल्याण समिति, पंतनगर के साथी अभिलाख पर पंतनगर (उत्तराखंड) थाने की पुलिस ने राजद्रोह (sedition) का मुकदमा  दर्ज किया है।

गौरतलब है कि साथी अभिलाख सिंह पंतनगर विश्वविद्यालय में नियुक्त कर्मचारी हैं, जो लंबे समय से  ठेका मज़दूर कल्याण समिति, पंतनगर के माध्यम से ठेका मज़दूरों के शोषण के खिलाफ उनके हक अधिकारों की आवाज उठाते रहे हैं। स्थायी कर्मचारी होने के बावजूद अपनी खुद की नौकरी जाने के खतरे को अनदेखा करते हुए वे लगातार ठेका मज़दूरों के हितों के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ लगातार संघर्षरत रहे हैं।

पन्तनगर विश्विद्यालय फार्म के ठेके मज़दूरों के विगत समय में स्वतःस्फूर्त आंदोलन हुए हैं। ठेका मज़दूरों के इन संघर्षों के चलते प्रशासन को पिछले समयों में ठेका मज़दूरों की बहुत सी माँगों को मानने को मजबूर होना पड़ा। ठेका मजदूरों के इन शानदार संघर्षों में ठेका मजदूर कल्याण समिति व अभिलाख की प्रभावी भूमिका रही है।

ठेका मजदूरों की ई.एस.आई.सी. व ई.पी.एफ., स्थायीकरण की माँग पर हाईकोर्ट में याचिका लगाने, हाईकोर्ट से ई.एस.आई.सी लागू कराने के संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आदेश प्राप्त करने  एवं लागू कराने को तलब कराने हेतु कानूनी संघर्ष में साथी अभिलाख की निर्णायक व मुख्य भूमिका रही थी।

इन संघर्षों के चलते ठेका मज़दूर कल्याण समिति के खिलाफ पन्तनगर विश्वविद्यालय प्रशासन, पन्तनगर थाना पुलिस में एक गठजोड़ कायम हो चुका था। विगत समयों में यह गठजोड़ ठेका मज़दूर कल्याण समिति के अग्रणी कार्यकर्ताओं के खिलाफ साज़िशें रचता रहा है लेकिन ठेका मज़दूरों के एकजुट संघर्ष से उनको हर बार पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा है। कुछ समय पहले ठेका मज़दूर कल्याण समिति पन्तनगर के सक्रिय कार्यकर्ता व इंक़लाबी मज़दूर केंद्र के सदस्य ठेका मज़दूर मनोज कुमार को ठेका मज़दूरों के आंदोलन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। न्यूनतम वेतन दिलाने व वेतन भुगतान को यह संघर्ष था जो सफल रहा था। ठेका मजदूरों ने साहस का परिचय देकर साथी मनोज की कार्यबहाली कराई थी। साथी मनोज की कार्यबहाली हेतु ठेका मज़दूरों के संघर्ष में साथी अभिलाख की अग्रणी भूमिका रही थी।

साथी अभिलाख की ठेका मज़दूरों के आंदोलन में सक्रियता व अग्रणी भूमिका से विश्वविद्यालय प्रशासन व पुलिस प्रशासन साथी अभिलाख के प्रति रंजिश रखने लगा था और उन्हें फंसाने के मौके की तलाश में जुट गया था।

24 मार्च को मोदी सरकार द्वारा कोरोना महामारी के चलते किये गए लॉक डाउन ने पूरे देश के स्तर पर मज़दूर मेहनतकशों खासकर असंगठित मज़दूरों को बुरी तरह प्रभावित किया है। यह लॉक डाउन मज़दूरों मेहनतकशों पर कहर बनके टूटा है। रोज खाने कमाने वाले गरीब असंगठित मज़दूर भूख और बेकारी के चलते तमाम बड़े औद्योगिक केंद्रों और दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों से पैदल सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गाँवों को मजबूर हो गए हैं। इन त्रस्त मज़दूरों की सुध लेने, उन्हें राहत पहुंचाने के बजाय पुलिस प्रशासन का व्यवहार इनके प्रति बेहद असंवेदनशील और क्रूरतापूर्ण रहा है। पुलिस द्वारा भूख, प्यास और थकान से त्रस्त इन मज़दूरों, यहां तक कि महिलाओं को क्रूरतापूर्वक पीटने की कई हृदयविदारक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हुए हैं। सरकार का दलाल तथाकथित मुखयधारा के मीडिया द्वारा लॉक डाउन के इस क्रूर तथ्य को कभी जनता के सामने नही लाया गया।

लॉक डाउन के इस संकटपूर्ण  समय में, जो मज़दूरों के लिए सबसे संकटपूर्ण है, साथी अभिलाख हमेशा की तरह भुखमरी की स्थिति में पहुँच चुके मज़दूरों को अपनी टीम के साथ राहत पहुंचाने में तत्पर थे। वे  पुलिस प्रशासन द्वारा भूख व अभाव से त्रस्त मजदूरों की सहायता करने के बजाय उनके प्रति घोर उपेक्षा दिखाने और असंवेदनशीलता की हद तक कुछ स्थानों पर पुलिस द्वारा इन त्रस्त मज़दूरों मेहनतकशों की क्रूर पिटाई से बहुत क्षुब्ध थे। पुलिस के इसी असंवेदनशील व्यवहार व क्रूर पिटाई का विरोध करते हुए साथी अभिलाख ने एक पोस्ट पन्तनगर के सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र की यूनियनों के ग्रुप में डाली थी।

एक कथित मुखबिर की सूचना पर इस सम्बंध में पन्तनगर थाने की पुलिस ने साथी अभिलाख को दिनांक 31 मार्च को थाने बुलाया। 3 घंटे पूछताछ के नाम से उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया गया। उनका मोबाइल जब्त कर लिया। फिर अगले दिन एस.टी. एफ.(उत्तराखंड में नक्सल गतिविधियों की रोकथाम के नाम पर गठित विशेष सुरक्षा बल) द्वारा पूछताछ के नाम पर उन्हें पुनः थाने बुलाया गया। पूछताछ के बाद उनपर धारा 124(A) के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया।

पन्तनगर थाने की पुलिस द्वारा की गई उपरोक्त कार्रवाई पूरी तरह बदले की भावना से की गई है एवम शासन सत्ता के खिलाफ असंतोष को कुचलने की एक साजिश है। अभिव्यक्त के अधिकार का यह खुला उल्लंघन है।

इंक़लाबी मज़दूर केंद्र सभी मज़दूर संगठनों व ट्रेड यूनियनों, जनवादी प्रगतिशील संगठनों जनपक्षधर बुद्धिजीवियों व न्यायप्रिय जनता से अपील करता है कि वे पन्तनगर पुलिस द्वारा साथी अभिलाख सिंह के खिलाफ की गई इस दमनात्मक कार्यवाही का पुरजोर विरोध करें तथा पुलिस प्रशासन के इस मज़दूर विरोधी-जन विरोधी कार्यवाही के खिलाफ मज़दूर वर्ग व व्यापक मेहनतकश जनता की संग्रामी एकजुटता प्रदर्शित करें।

क्रांतिकारी अभिवादन सहित -इंक़लाबी मजदूर केंद्र

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