अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मार्च व सभा
जन संघर्ष मंच, हरियाणा के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र में सभा
कुरुक्षेत्र (हरियाणा) 8 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जन संघर्ष मंच हरियाणा की ओर से महिलाओं पर बढ़ती यौन हिंसा, गैर बराबरी, सांप्रदायिकता, फासीवादी हमलों, भेदभावपूर्ण धर्म आधारित सी.ए.ए., एन.आर.सी., एनपीआर, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों, हरियाणा सरकार की नई शराब नीति व नशाखोरी के खिलाफ महिला मार्च निकाला गया जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।
थानेसर रेलवे स्टेशन, कुरुक्षेत्र पर इकट्ठा होकर महिलाएं हाथों में महान् क्रान्तिकारी महिलाओं सावित्री बाई फुल्ले, फातिमा शेख, प्रीतिलता वाडेडर, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, समाजवादी नेत्री क्लारा जेटकिन, रोजा लग्जेम्बर्ग के चित्र लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए थानेसर शहर के बाजार से होते हुए पुराने बस स्टैंड थानेसर, कुरुक्षेत्र पर पहुंची और वहां एक जनसभा की गई। प्रदर्शन का नेतृत्व मंच की महासचिव सुदेश कुमारी व महिला नेता ऊषा कुमारी ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए महासचिव सुदेश कुमारी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के संघर्षों का एक प्रतीक है। महिलाओं ने औद्योगिक क्रान्ति के बाद मजदूरी बढ़ाने, काम के घंटे कम करने के लिए संगठित होकर विरोध करते हुए अपनी ताकत का एहसास किया था। महिलाओं ने 1908 में काम के घंटे कम करने के साथ-साथ सार्वजनिक मताधिकार की मांग को एक लेकर एक बड़ा मार्च निकाला था।

उन्होंने कहा कि डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में प्रसिद्ध जर्मन नेत्री क्लारा जैटकिन के जोरदार प्रयासों से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया था और सन् 1911 से हर साल सारी दुनिया में इस दिन को ‘महिलाओं का समानता के लिए संघर्ष’ के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। क्लारा जैटकिन ने यह भी आह्वान किया था कि केवल मताधिकार से ही महिलाओं को पूरी आजादी नहीं मिल सकती बल्कि महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक समानता व शोषण से मुक्ति के लिए मजदूर वर्ग के संघर्षों के साथ जुड़कर पूंजी के राज के खिलाफ समाजवादी क्रान्ति के लिए आगे बढ़ना होगा यानी महिलाओं की मुक्ति मजदूर वर्ग की मुक्ति के साथ सीधे रूप से जुड़ी हुई है।

छात्र संगठन एस.ओ.एस.डी. की संयोजिका कविता विद्रोही ने नागरिकता संशोधन कानून को गैर सवैंधानिक धर्म निरपेक्ष मूल्यों पर हमला करने वाला व मजदूरों, मेहनतकशों, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों के विरोधी बताते हुए कहा कि देश भर में शाहीनबाग की महिलाओं का संघर्ष ऐतिहासिक है। महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली व खुद को मुस्लिम महिलाओं के हिमायती घोषित करने वाली मोदी सरकार एकदम तानाशाही रवैया अपना रही है। महिलाएं सी.ए.ए. जैसे काले कानून के खिलाफ देश भर में सड़कों पर हैं लेकिन मोदी सरकार अपने आँख-कान बंद करके बैठी है। लोगों की आवाज सुनने की बजाय शांतिपूर्ण धरनों व प्रदर्शनों को उठवाने के लिए साम्प्रदायिक दंगों की आड़ ली जा रही है।
बीजेपी नेताओं द्वारा नफरत भरे व धार्मिक उन्मादी भाषणों द्वारा लोगों में साम्प्रदायिकता का जहर फैलाया जा रहा है जिसके लिए मोदी सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार आदि के कोई सुनिश्चित प्रबंध करने की बजाय मोदी सरकार एन.आर.सी., एन.पी.आर. जैसी अनावश्यक व धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाली प्रक्रियाओं को लागू कर रही है। उन्होंने जे.एन.यू., जामिया मिलिया, बनारस हिन्दू यूनिर्वस्टी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिर्वस्टी व अन्य छात्रों पर पुलिस व फासिस्ट हिन्दू संगठनों के नकाबपोश गुंडों द्वारा हमलों पर रोष जाहिर करते हुए कहा कि अपराधी गुंडा तत्वों को पकड़ने की बजाय छात्रों पर झूठे केस दर्ज करके उनकी आवाज को दबाने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि छात्र, नौजवान महिलाएं लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता पर हमले सहन नहीं करेंगे व बीजेपी सरकार के हिन्दुत्ववादी एजेंडे को सफल नहीं होने देंगे।

मंच की जिला उपाध्यक्ष ऊषा कुमारी ने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार लाखों मजदूर महिलाओं, आशा, आंगनवाड़ी वर्कर, मिड-डे मील वर्करों को मजदूर मानने को भी तैयार नहीं हैं। केन्द्र की भाजपा व राज्य सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है पर बजट में महिलाओं के कल्याण के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किया जाता। मनरेगा, निर्माणकार्य मजदूर महिलाओं को मिलने वाली मामूली सुविधाओं से भी वंचित कर दिया है। घरेलू हिंसा की शिकार, विधवा, दलित व तलाकशुदा महिलाओं के लिए भी कोई रोजगार व आवास का भी प्रबंध नहीं है, जिससे महिलाओं का भारी शोषण हो रहा है। ऊपर से हरियाणा सरकार ने नई शराब नीति के तहत घर-घर में शराब रखने की छूट का लाईसेंस एक हजार रुपए में देने की नीति बनाकर तमाम शराब के खुर्दों को कानूनी रूप दे दिया है। रात के तीन बजे तक शराब के बार खुलने, शराब को सस्ती करने, शराब के ठेकों की संख्या बढ़ाकर महिलाओं के लिए असुरक्षित माहौल पैदा कर दिया है व घरेलू हिंसा का पुख्ता प्रबंध कर दिया है।
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों पर मजदूर विरोधी बदलावों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इन बदलावों से मजदूरों, महिलाओं का शोषण और तेज होगा। उन्होंने कहा कि महिलाएं सरकार की इन महिला विरोधी नीतियों को सहन नहीं करेंगी वे इसके खिलाफ एक बड़ा जन-आंदोलन तेज करेंगी।
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सभा को संबोधित करते हुए संतोष सुपरवाईज़र, शिल्पी, हरजिन्द्र कौर, कोमल, संतोष लोहारमाजरा, संतोष फरल, हीना आदि ने कहा कि आज महिलाएं कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं उन्हें अपनी आजादी व समानता के लिए सड़कों पर संघर्ष करना होगा। उन्हें महिलाओं की संघर्ष की विरासत को आगे ले जाते हुए घरों से निकलकर राजनैतिक भागीदारी करनी होगी और अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा, तभी उनकी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस अवसर पर जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रधान फूल सिंह, सह-सचिव सोमनाथ, जिला प्रधान संसार चंद्र व मंच के अन्य नेता भी उपस्थित रहे। महिला मार्च में मीत बारना, मनदीप, नेहा, पूजा, कर्मजोत, अमन, बलजीत कौर, रतन, सोनम पबनावा, ममता आदि ने सक्रिय भागेदारी की।