“सेवारत कर्मचारी का अनुभव देखें, निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं”, मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने किया स्पष्ट

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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 25 साल से सेवारत कर्मचारी को निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं होने पर हटाने के आदेश को रद्द कर दिया.

जबलपुर : निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं होने के कारण 25 साल की सेवा के बाद ड्राइवर को पद से हटा दिया गया. इस मामले की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी को राहत दी है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा है “लंबे समय तक कर्तव्यों का निर्वहन से प्राप्त अनुभव अपेक्षित योग्यता के लिए मान्य है”. एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि ड्राइवर पद के लिए शैक्षणिक योग्यता से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसा नहीं है कि इंजीनियर व डॉक्टर की डिग्री प्राप्त करने वाले अच्छे ड्राइवर हों.

मामले के अनुसार राम दयाल यादव ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा “उसे साल 1997 में कलेक्टर दर से शहडोल पॉलिटेक्निक कॉलेज में चालक के पद पर नियुक्ति किया गया था. इसके बाद जनवरी 1998 में उसे ड्राइवर के रिक्त पद पर नियमित नियुक्त प्रदान कर दी गयी. इसके बाद साल 2020 में उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा गया कि उसके पास नियुक्ति के समय पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता नहीं थी. वह सिर्फ 5वीं पास था और पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास थी. प्राधिकारी ने जांच रिपोर्ट में अनुभव के आधार पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का उल्लेख किया था. इसके बावजूद उसे पद से हटाने के आदेश जारी कर दिए गए.

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि नियुक्ति के संबंध में साल 1994 में जारी विज्ञापन में ड्राइवर के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी. यह भी स्पष्ट नहीं था कि यदि किसी ड्राइवर को नियमित किया जाता है तो उसे 8वीं कक्षा उत्तीर्ण और ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिये. एकलपीठ ने कहा कि 25 साल के लंबे समय बाद अचानक नींद से जागने के कारण विभाग द्वारा कार्रवाई शुरू की गई.

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा “नियुक्ति के समय प्रारंभिक शैक्षणिक योग्यता न रखने वाले कर्मचारी कई वर्षों की सेवा के बाद पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे कर्मचारियों को केवल इस आधार पर स्थायीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता कि अपेक्षित योग्यता नहीं है.” एकलपीठ ने सेवा समाप्त किये जाने के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश पारित किया.

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