दिल्ली: मारुति, सैमसंग, डॉल्फिन-लुकास टीवीएस, दार्जिलिंग हिल्स चाय बागान श्रमिक संघर्षों से एकजुटता

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दिल्ली। भारत में विभिन्न क्षेत्रो में चल रहे मज़दूरों के संघर्ष – हरियाणा में मारुति सुजुकी, तमिलनाडु में सैमसंग, उत्तराखंड में डॉल्फिन-लुकास टीवीएस और पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग हिल्स टी गार्डन के अनुभव पर ‘दिल्ली फॉर वर्कर्स’ की ओर से 16 अक्टूबर 2024 को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस और एकजुटता बैठक आयोजित हुई।

आयोजकों ने बताया कि हम, दिल्ली में श्रमिक मुद्दों और संघर्षों के लिए एक सपोर्ट समूह के रूम में ‘दिल्ली फॉर वर्कर्स’ के नाम से सक्रिय हैं। इस ग्रुप की ओर से मारुति सुजुकी, सैमसंग, डॉल्फिन-लुकास टीवीएस और दार्जिलिंग हिल्स चाय बागानों में चल रहे श्रमिक संघर्षों और श्रम कानून, मीडिया, समकालीन ट्रेड यूनियन आंदोलन और आज विदेशी और भारतीय पूंजी के साथ श्रमिकों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य से इन संघर्षों के व्यापक निहितार्थों पर यह सभा आयोजित हुई।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस, पत्रकार अनिल चमड़िया, लेखक और पत्रकार अंजलि देशपांडे, मारुति सुजुकी संघर्ष समिति के सतीश, बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट इंडिया कर्मचारी संघ के अजीत, सामाजिक-ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता संतोष और नयनज्योति ने श्रमिक संघर्षों के बारे में महत्वपूर्ण बातें रखीं।

वक्ताओं ने मारुति सुजुकी, सैमसंग, डॉल्फिन-लुकास टीवीएस और दार्जिलिंग हिल्स टी गार्डन में जारी जुझारू मज़दूर संघर्षों के विभिन्न पहलुओं पर ओजपूर्ण विचार रखे, इन संघर्षों के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित की और न्याय हित में इन संघर्षों के साथ खड़ा होने की अपील की।

मारुति सुज़ुकी के श्रमिकों का संघर्ष मानेसर, हरियाणा

मारुति सुज़ुकी मानेसर प्लांट के श्रमिक, जिन्हें 2012 में अवैध रूप से नौकरी से निकाल दिया गया था, 18 सितंबर से मानेसर तहसील पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन और 10 अक्टूबर से क्रमिक अनशन जारी रखे हुए हैं। संघर्ष के मौजूदा चरण की तीन मुख्य मांगें हैं — सभी अवैध रूप से निकाले गए मजदूरों (546 स्थायी और 1800 ठेका मजदूर) की तत्काल बहाली, मारुति सुजुकी के 3 प्लांटों में कार्यरत सभी अस्थायी मजदूरों (संख्या में 20,000 से अधिक, जिनमें ठेका मजदूर, टीडब्ल्यू-1, टीडब्ल्यू-2, एमएसटी, एसएसटी, प्रशिक्षु, अप्रेंटिस आदि शामिल हैं) के लिए उचित वेतन समझौता और स्थायीकरण, और मारुती मजदूरों पर लगाए गए सभी झूठे मामलों को वापस लेना।

मारुति मज़दूरों का संघर्ष आज के भारत में सबसे जुझारू और मज़बूत मजदूर वर्ग के संघर्षों में से एक है, जिसमें उल्लेखनीय तौर पर वर्ग एकता और जुझारू वर्ग कार्रवाई दिखाई देती है – जिसमे  2013 में पूरे सत्ता प्रशासन से संघर्ष करना तथा हरियाणा के गाँवों से लेकर भारत के विभिन्न शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों तक अपना समर्थन आधार बढ़ाना; 2014 में मानेसर प्लांट में यूनियन को खड़ा करना; 2017 में एचआर मैनेजर की आकस्मिक मौत के मामले में हत्या के झूठे आरोप में 13 मज़दूर नेताओं को सेशन कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाए जाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पूरे भारत और देश से बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करना; लम्बी क़ानूनी और ज़मीनी सघर्ष के बाद 2022 तक सभी जेल में बंद साथियों की ज़मानत को सफलतापूर्वक सुनिश्चित करना; और अब अन्य माँगों के अलावा सभी बर्खास्त मज़दूरों की बहाली के लिए सड़कों पर उतरना।

मारुति मज़दूरों का संघर्ष भारत और देश से बाहर मज़दूर वर्ग के लिए संघर्ष, उम्मीद और एकजुटता का एक चमकता हुआ प्रतीक रहा है, और मारुति के साथ-साथ विदेशी और भारतीय पूँजीपति वर्ग और राज्य मशीनरी अपने बड़े प्रयासों के बावजूद इसे कुचलने या मिटाने में विफल रही है। मज़दूर वर्ग का आंदोलन आज एक कठिन दौर से गुजर रहा है, मारुति मज़दूर न्याय के लिए अपने संघर्ष में फिर से सड़कों पर उतर आए हैं, और वे इस मुद्दे के लिए आप सबसे समर्थन चाहते हैं।

तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में सैमसंग की हड़ताल:

सैमसंग इंडिया के मज़दूरों की एक महीने से चल रही हड़ताल तनावपूर्ण दौर में प्रवेश कर गई है। तमिलनाडु पुलिस ने 9 अक्टूबर को सैकड़ों हड़ताली श्रमिकों और नेताओं को गिरफ्तार किया, जिसकी विपक्षी दलों और यहाँ तक कि सत्तारूढ़ डीएमके के सहयोगी दलो ने भी निंदा की है।

हड़ताल का मुख्य मुद्दा यूनियन को मान्यता दिए जाने की माँग है। सैमसंग मैनेजमेंट यूनियन को अनुमति देने से इनकार करता आया है और दावा करता है कि उन्होंने बेहतर तरीक़े से खाने और आने-जाने जैसी अन्य बातों के लिए मान गए है। कर्मचारियों का तर्क है कि ये बुनियादी अधिकार हैं जिनकी 16 वर्षों से उपेक्षा की जा रही थी और जब तक मैनेजमेंट यूनियन बनाने के अधिकार का सम्मान नहीं करता और कर्मचारियों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ बातचीत नहीं करता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

सैमसंग के कर्मचारी सरकार द्वारा खुलकर कंपनी का पक्ष लेने और मज़दूरों के अधिकारों को बनाए रखने में विफल रहने के कारण सरकार की आलोचना कर रहे हैं, और सरकार द्वारा एक ऐसे राज्य की छवि बनाने पर सवाल उठाते हैं जो श्रम कानूनों का पालन नहीं करता है, बल्कि केवल विदेशी निवेश की परवाह करता है। ट्रेड यूनियन नेता भी कर्मचारियों के शोषण, कर्मचारियों की गरिमा, बेहतर काम करने और रहने की स्थिति के बारे में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं जो अब एक वैश्विक मुद्दा है और इसके खिलाफ एक मजबूत लड़ाई की आवश्यकता है।

आज हड़ताल का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सैमसंग मैनेजमेंट और सरकार श्रमिकों के यूनियन बनाने के अधिकार को स्वीकार करेंगे या नहीं, जो कि उनका मौलिक अधिकार है।

उत्तराखंड में डॉल्फिन और लुकास टीवीएस का संघर्ष:

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र में डॉल्फिन और लुकास टीवीएस के श्रमिक महीनों से संघर्ष कर रहे हैं। मारुति और अन्य कंपनियों को ऑटो कंपोनेंट सप्लाई करने वाली डॉल्फिन के 5 प्लांट में करीब 4000 स्थायी श्रमिकों को श्रम कानून का उल्लंघन करते हुए ठेके पर नियुक्त किया जा रहा है और 48 स्थायी श्रमिकों को बिना किसी नोटिस के नौकरी से निकाल दिया गया है। इन फैक्ट्रियों में कानून के अनुसार न्यूनतम वेतन और बोनस भी नहीं दिया जा रहा है। मज़दूरों ने स्थायी नौकरी और पूरे बकाया वेतन के साथ बहाली की मांग को लेकर 28 अगस्त 2024 से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है।

लुकास टीवीएस के मज़दूर करीब एक साल से संघर्ष कर रहे हैं और वे अवैध रूप से निकाले गए मज़दूर नेताओं की बहाली, यूनियन को मान्यता और मांगों के चार्टर का समाधान करने की मांग को लेकर 26 अक्टूबर 2024 से अपना धरना जारी रखे हुए हैं। 10 अक्टूबर 2024 से रुद्रपुर, उधम सिंह नगर में “मजदूर-किसान महापंचायत” में श्रमिकों ने परिवार के सदस्यों के साथ डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, इंटरार्च और करोलिया लाइटिंग मज़दूरों की मांगों के न्यायपूर्ण समाधान के लिए अपने संघर्ष को तेज करने की घोषणा की है।

पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग हिल्स चाय बागान श्रमिकों का संघर्ष:

हाल के महीनों में, दार्जिलिंग हिल्स चाय बागान श्रमिकों ने 20% बोनस, न्यूनतम वेतन, प्रोविडेंट फंड और वेतन में लंबित बकाया राशि की मांगों को उठते हुए उल्लेखनीय एकता और जुझारूपन दिखाया है। दार्जिलिंग हिल-तराई-डूआर्स क्षेत्र के 300 चाय बागानों के लगभग 8 लाख स्थायी एवं अस्थायी श्रमिकों की स्थिति एक्सपोर्ट क्वॉलिटी के लिए प्रख्यात उच्च ब्रांडिंग के बावजूद काफी दयनीय है।

मज़दूरों का दैनिक मेहनताना न्यूनतम मेहनताना से भी कम है, (पिछली बढ़ोतरी के बाद 250 रुपये) 2015 में न्यूनतम मेहनताना पर त्रिपक्षीय समझौते की अनदेखी करते हुए मज़दूरों  के लिए कोई ‘पट्टा’ (भूमि या आवास अधिकार) नहीं है अथवा वेतन, पी.एफ, ग्रेच्युटी के अनियमित भुगतान के साथ-साथ बड़े पैमाने पर ठेकेदारी से श्रमिकों के लिए काम का बोझ बढ़ाया जा रहा है।

एच.पी.ई.यू की सहायता से 300 लॉन्गव्यू चाय बागान श्रमिकों के शानदार संघर्ष की हालिया जीत के बाद सितंबर के आखिर में चाय बागान श्रमिकों का संघर्ष और तेज हो गया और उन्होंने 20% वार्षिक बोनस की मांग की है। बोनस के मुद्दे पर त्रिपक्षीय बैठक के बाहर श्रमिकों के बड़े पैमाने पर गोलबंदी ने 20% से कम किसी भी समझौते के खिलाफ़ भारी दबाव बनाया।

30 सितंबर 2024 को चाय बागानों में हड़ताल तथा बड़े पैमाने पर लामबंदी और सड़क जाम के साथ-साथ एक सफल ‘पहाड़ बंद’ (हिल स्ट्राइक) हुआ। त्रिपक्षीय बैठक अनिर्णीत रहने के कारण सरकार ने एकतरफा 16% बोनस की घोषणा कर दी। श्रमिक इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और 2 अक्टूबर को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। 7 अक्टूबर से लॉन्गव्यू और रिंग्टन चाय बागानों में भूख हड़ताल शुरू हो गई है। दबाव में सरकार को बोनस बैठकें फिर से बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा और संघर्ष जारी है।

आयोजकों ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि श्रम के मुद्दे और परिप्रेक्ष्य, जो किसी भी समाज का एक मुख्य पहलू है, समकालीन समाज में घटनाओं की मुख्यधारा की कवरेज में काफी हद तक हाशिए पर है। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे ये संघर्ष आज श्रमिकों की स्थिति, अधिकारों और संघर्षों पर प्रासंगिक मुद्दों पर जोर देते हैं जिन्हें संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रेस के साथियों और जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया कि वे अपनी पत्रकारिता और सार्वजनिक लेखन के माध्यम से आज की सभा में उठाए गए मुद्दे पर लिखेंगे और संघर्षरत श्रमिकों की आवाज़ को बुलंद करने में मदद करेंगे।

मारुति सुजुकी संघर्ष समिति (मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन) ने 18 अक्टूबर 2024, सुबह 10 बजे (मानेसर तहसील, आईएमटी मानेसर) से ‘चलो आईएमटी मानेसर’ का आह्वान किया है, जिसमें वे चल रहे आंदोलन की मांगों को दोहराते हुए आंदोलन को तेज़ करेंगे।

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