फैक्ट्री में मृत ठेका मज़दूर का शव गायब; मज़दूरों का हिंसक विरोध, तृणमूल कांग्रेस-पुलिस भागी

पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रेशमी मेटालिक्स में बॉयलर टावर गिरने से एक मज़दूर की मौत, कई घायल। मजदूरों का जुझारू आंदोलन के दबाव में प्रशासन मज़दूरों से बातचीत के लिए हुआ तैयार।
खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)। पश्चिम बंगाल की खड़गपुर में रेशमी मेटालिक्स फैक्ट्री में काम के दौरान बॉयलर टावर गिरने से एक मज़दूर की मौत हो गई और कई घायल हो गए। घटना को छुपाने के लिए फैक्ट्री प्रबंधन ने शव को हटा दिया। जहां घायलों का इलाज चल रहा है वह भी दबा हुआ है।
ऐसे में मज़दूर आंदोलित हुए तो सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के गुंडे और पुलिस हमलावर हो गए। मजदूरों ने तृणमूल कांग्रेस के गुंडों और पुलिस प्रशासन के संयुक्त हमले का विरोध किया। मज़दूरों के आक्रामक और हिंसक जवाबी कार्यवाही के बाद गुंडे और पुलिस भाग गए।
गंभीर घटना, दबाने के प्रयास
खड़गपुर ग्रामीण के गोकुलपुर मौजा में रेशमी मेटालिक्स यूनिट नंबर 4 फैक्ट्री में बुधवार रात काम करते समय बॉयलर टावर गिरने से कई मज़दूर घायल हो गए। एक मज़दूर की मौत हो गई। घटना को छुपाने के लिए फैक्ट्री प्रबंधन ने शव को हटा दिया।
मृत ठेका मजदूर का नाम राहुल कुमार (37) है। बिहार के रहने वाले हैं। 5 और मजदूर घायल हो गए। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि उनका इलाज कहां चल रहा है।
इससे आक्रोशित मज़दूरों का बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। मजदूरों ने फैक्ट्री में काम करने के दौरान मृत और घायल मजदूरों को गुप्त स्थानों पर छिपाने का गंभीर आरोप लगाया है।
खतरनाक परिस्थितियों में काम, लगातार हादसे
फैक्ट्री में मजदूरों की सुरक्षा के लिए न्यूनतम जरूरी सामानों के बुनियादी ढांचे के बिना खतरनाक काम के आरोप लंबे समय से चले आ रहे हैं। इससे पहले पिछले कुछ सालों में आठ से नौ बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
उबलते हुए लोहे के तरल टैंक, कभी-कभी बॉयलर के ढहने से मजदूरों की मृत्यु के कई मामले सामने आए हैं। केवल दो बार मृतकों के शव बरामद किए गए, लेकिन बाकी मामलों में शवों को बॉयलर में फेंक दिया गया और गायब कर दिया गया। शव को हटाने का भी आरोप है।
ऐसी शिकायतें लेकर मजदूर गुरुवार सुबह एकजुट होकर आंदोलन में शामिल हो गए। शव को सामने लाने की मांग की गई। कहां घायलों को रखा गया है उसकी सूचना मांगी। तीन शिफ्टों में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा के लिए सभी प्रकार के बुनियादी ढांचे के इंतजाम की माँग उठी।
मज़दूरों का गुस्सा कैसे फूटा?
यह पहली बार है कि हजारों मजदूरों ने कारखाने में एकजुट होकर तृणमूल की हमलावर गुंडई ताकतों की धमकी को रोककर आंदोलन में भाग लिया। उसके बाद जब मजदूरों की आवाजाही को रोकने के लिए तृणमूल के लोग जब पुलिस के साथ उतरे तो फैक्टरियों के बीच कई दफे टकराव हुआ।
जब प्रदर्शन कर रहे तीन-चार मजदूर घायल हो गए तो सभी मजदूरों का हिंसक विरोध शुरू हो गया। तब मजदूरों ने पुलिस और अपराधियों को घेर लिया। पुलिस और तृणमूल बलों को भागना पड़ा।
मज़दूरों का आरोप
मजदूरों की शिकायत है कि मालिकों से तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता मोटी रकम वसूलती है। बदले में वे मजदूरों के आंदोलनो को मालिक के हित में दबा देते है। इस बार मजदूर इस अन्याय को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
मजदूरों ने मृत मजदूर के परिवारों के लिए मुआवजे और कारखाने के मजदूरों को सुरक्षा और कार्य के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की। आंदोलन के दबाव में आख़िरकार प्रशासन मज़दूरों से बातचीत के लिए तैयार हो गया।
गणशक्ति रिपोर्ट