मानेसर: बेलसोनिका कंपनी में फिर छंटनी की तैयारी; प्रबंधन ने लगाया वीआरएस का नोटिस

Bellsonica-workers

कंपनी में बन चुकी है दो यूनियन। बेलसोनिक इम्पालाइज यूनियन (पुरानी यूनियन) ने रविवार को गुड़गांव मिनी सचिवालय के बाहर इस योजना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

मानेसर, गुड़गांव। लोकसभा चुनाव के बीच अग्रणी कार निर्माता कंपनी मारुति के लिए कंपोनेंट बनाने वाली आईएमटी मानेसर स्थित बेलसोनिका ऑटो प्रा. लि. कंपनी में प्रबंधन ने बुधवार 15 मई को वीआरएस का नोटिस चस्पा कर दिया है।

बेलसोनिका यूनियन 1983 (पुरानी यूनियन) ने इसका विरोध जताया है। यूनियन ने कहा कि प्रबंधन की इस छिपी छंटनी के खिलाफ यूनियन बेलसोनिका मजदूरों का आह्वान करती है कि सभी मजदूर एकजुट होकर प्रबंधन के इस मजदूर विरोधी हमले का विरोध करें।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के समय से ही फ़ैक्ट्री में यूनियन और प्रबंधन के बीच छंटनी को लेकर तीखा संघर्ष जारी है। इस क्रम में तमाम मज़दूर क्रमशः निकले जाते रहे हैं। इसके खिलाफ लगातार संघर्ष के दौरान यूनियन का पंजीकरण रद्द करवाने से लेकर तमाम अगुआ मज़दूरों सहित यूनियन नेता भी बाहर हैं। जबकि इस बीच कंपनी में एक नई यूनियन का पंजीकरण हो गया है।

वीआरएस के पीछे कंपनी का तर्क

प्रबंधन का कहना है कि ‘कंपनी मुश्किल दौर से गुजर रही है। इस स्थिति से उबरने के लिए एक प्रयास के तौर पर हम स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (VRS) लाने का फैसला कर रहे हैं। इसका मुख्य उदेश्य है कि हम अपने संसाधनों का पुनर्संगठित कर सके और जो भी कर्मचारी समय से पहले अपने नौकरी का परित्याग करना चाहते हैं, उनके हितों का भी ध्यान रखा जाये।’

वीआरएस पर पुरानी यूनियन का बयान

बेलसोनिका इम्पालाइज यूनियन 1983 (पुरानी यूनियन) ने फ़ेसबुक पोस्ट के माध्यम से कहा है कि दिनांक 15.05.2024 को बेलसोनिका ऑटो कम्पोनेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जॉइंट वेंचर मारुति सुजुकी के प्रबंधन ने वीआरएस का नोटिस लगाया है। बेलसोनिका यूनियन 1983 बेलसोनिका प्रबंधन की इस वीआरएस रूपी छिपी छंटनी का विरोध करती है।

बेलसोनिका प्रबंधन ने अपने वीआरएस नोटिस दिनांक 15.05.2024 में कंपनी की बढ़ती श्रम लागत, कठिन व्यवसायिक परिस्थितियों, कच्चेमाल और आर्थिक मंदी आदि का हवाला दिया है यह सब हवाले झूठ है। बल्कि सच तो यह है कि मजदूरों की कमाई हुई दौलत से वो उन्हीं मजदूरों की छंटनी करने के लिए महंगे महंगे प्रबंधक की भर्ती करता है, बाउंसरों को देता है, वकीलों को देता है इत्यादि।

फ़ोकट के मज़दूर भर्ती करने के लिए मंदी तो बहाना है

यूनियन का कहना है कि वर्ष 2019 में बेलसोनिका प्रबंधन ने मंदी का बहाना बनाकर लगभग 350 ठेका श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया था। तब से बेलसोनिका प्रबंधन स्थाई श्रमिकों की छंटनी करने के प्रयास कर रहा है। वर्ष 2019 से बेलसोनिका प्रबंधन नीम ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के नाम पर फोकट के मजदूरों की भर्ती कर अथाह मुनाफा कमा रहा है।

प्रबंधन अपने वीआरएस के नोटिस दिनांक 15.05.2024 में मंदी व घाटे का हवाला दे रहा है जबकि बेलसोनिका फैक्ट्री, मारुति सुजुकी की जॉइंट वेंचर कंपनी के साथ साथ शेयरों में भी हिस्सेदारी है। एक तरफ मारुति सुजुकी फैक्ट्री मुनाफे में है तो दूसरी ओर बेलसोनिका फैक्ट्री कैसे घाटे में हो गई? बेलसोनिका फैक्ट्री में लगातार तीनों शिफ्टों में मजदूर कार्य कर रहे है। दिन-रात फैक्ट्री में उत्पादन हो रहा है और सारा उत्पादित माल मारुति में हाथों हाथ बिक रहा है फिर भी फैक्ट्री घाटे में कैसे? असल में फैक्ट्री में कोई घाटा नहीं है।

बेलसोनिका प्रबंधन स्थाई श्रमिकों की छंटनी कर, उनके स्थान पर नीम ट्रेनिंग, ठेका व स्कीम आदि श्रमिकों को भर्ती कर मजदूरों के श्रम की लूट करना चाहता है। “घाटा मजदूरों का, मुनाफा मालिकों का” बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन के इस विचार का विरोध करती है। बेलसोनिका यूनियन ने प्रबंधन को पहले भी ऐसे सुझाव दिए थे कि अगर बेलसोनिका फैक्ट्री घाटे में है तो फैक्ट्री प्रबंधन व श्रमिकों के वेतन को एक समान किया जाए आदि। लेकिन प्रबंधन के अनुसार “ये नहीं हो सकता।”

प्रबंधन स्वयं कितना मोटा वेतन (एक H. R. जनरल मैनेजर व प्लांट हेड का महीने का वेतन लगभग 5 से 9 लाख है) ले रहा हैं। ऐसे में फिर घाटा मजदूरों के लिए ही क्यों? प्रबंधन इस घाटे में बराबर का सहयोगी क्यों नहीं हो सकता?

2023 से ही छंटनी की तैयारी

असल में मजदूरों की छंटनी करने का प्रबंधन का यह एक तरीका है जो बेलसोनिका यूनियन 1983 लम्बे समय (वर्ष 2020) से मज़दूरों को बताती आई है। जिसका एक और नया रूप उसने दिखा दिया है। मजदूरों की छंटनी की मंशा को पूरा करने के लिए प्रबंधन वर्ष 2021 में कैजुअल/ठेका श्रमिकों की वीआरएस लेकर आया था। वर्ष 2021 में यूनियन व सभी श्रमिकों ने इसका विरोध किया था।

जब प्रबंधन वीआरएस देने में कामयाब नहीं हुआ तो वह फर्जी दस्तावेज़ के नाम पर मजदूरों की छंटनी करने की कोशिश करता रहा। प्रबंधन द्वारा फर्जी दस्तावेजों के नाम पर श्रमिकों के ऊपर हुए छंटनी के हमले का यूनियन ने विरोध किया और यह संघर्ष आज भी जारी है।

पिछले लगभग 3 वर्षो से जारी इस छंटनी की लड़ाई में प्रबंधन ने सभी श्रमिकों की एकता के आगे उसको मुंह की खानी पड़ी और छंटनी से पीछे हटना पड़ा।

ऐसे में प्रबन्धन स्थाई मजदूरों की छंटनी के लिए वीआरएस के रूप कुछ पैसा लेकर आया ताकि मज़दूर उससे सहमत हो जाए और उसकी छंटनी की इस मंशा को स्वयं खुशी से स्वीकार करें और इस पर ताली भी बजाए।

प्रबंधन इस वीआरएस के फायदे मजदूरों को गिनवा रहा है जबकि वह स्वयं कितना मोटा वेतन ले रहा है। अगर यह स्कीम इतनी ही अच्छी है तो मजदूरों को सहमत करवाने और इसके फायदे गिनवाने वाला प्रबंधन और उसके सहयोगी सबसे पहले स्वयं इस वीआरएस के फायदों का लाभ उठाकर मजदूरों के बीच में मिशाल पेश करे।

एकजुट संघर्ष ही इसे निरस्त करने का रास्ता है

यूनियन का कहना है कि मज़दूर एकजुटता के संघर्ष का ही परिणाम है कि प्रबंधन पिछले तीन सालों तक श्रमिकों को फर्जी बताकर छंटनी के प्रयास करता रहा लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया। श्रमिकों की एकता व संघर्ष ने प्रबंधन की जुबान पर ताला लगा दिया और अब वह 10-15 साल से कार्य कर रहे श्रमिकों को फर्जी बताना बंद कर वीआरएस के फायदे गिनवाने लगा है। संघर्ष ने दिखा दिया की एकजुट होकर संघर्ष करने से प्रबंधन को हराया जा सकता है।

अब यह भी मज़दूर साथियों की एकता के ऊपर निर्भर करता है कि बेलसोनिका प्रबंधन अपने इस वीआरएस के तरीके से छंटनी करने में कितना सफल होता है।

बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन की वीआरएस की इस छंटनी का विरोध करती है। अब साथियों के विवेक पर निर्भर करता है कि वे इस कठिन समय में कितना एकजुट होकर प्रबंधन की इस वीआरएस की छंटनी का विरोध करते है।

नई यूनियन ने क्या कहा?

वर्कर्स यूनिटी के अनुसार अभी हाल ही में नई बनी यूनियन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन एक वरिष्ठ अगुवा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी यूनियन न तो वीआरएस का विरोध करती है न ही इसका समर्थन। लेकिन अगर जोर जबरदस्ती होती है तो यूनियन इसका विरोध करेगी।

उन्होंने कहा कि बीते तीन साल में तीन बार टूल डाउन हुआ और एक बार हड़ताल भी हुई लेकिन प्रबंधन से कोई बात नहीं बन पाई। इस बीच कंपनी में मज़दूरों के बीच एकता को देखते हुए कोई ठोस लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती, ऐसा लगता है।

उन्होंने कहा कि बीते कई महीनों से कई मज़दूरों को फर्जी दस्तावेज के नाम पर जांच हुई और कंपनी ने कार्रवाई की है। इसे लेकर श्रम विभाग की ओर से भी विपरीत फैसले आए।

उनके अनुसार, जिन मज़दूरों के कागजात सही हैं, उनपर अगर कंपनी जोर जबरदस्ती करती है तो यूनियन उनके साथ खड़ी है। यूनियन ने प्रबंधन से बात की है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

वीआरएस का खतरनाक प्लान

वर्कर्स यूनिटी के अनुसार कंपनी प्रबंधन अपने वीआरएस प्लान की जानकारी देते हुए कहा है कि ‘यह योजना स्थाई कर्मचारियों के लिए है। पीएफ से सम्बंधित लाभ EPF & MP एक्ट, 1952 और ग्रेच्युटी 1972 के एक्ट क तहत देय होंगे। इसके साथ ही बकाया वेतन, बोनस, बकाया LTA इत्यादि सभी का समाधान किया जाएगा।’

लेकिन इसके साथ ही प्रबंधन ने एक शर्त रखी है कि ‘जो भी मज़दूर इस वीआरएस योजना को अपनाते हैं उनके हस्ताक्षर करते ही सभी सामूहिक लंबित चल रहे मांग पत्रों/शिकायतों जोकि श्रम विभाग न्यायालय, गुरुग्राम या अन्य किसी भी कोर्ट/अथॉरिटी में लंबित हैं उनका भी निपटारा समझा जायेगा और ऐसा माना जायेगा कि कोई भी देय बकाया नहीं है। साथ वो बेलसोनिका ग्रुप की अन्य किसी इकाई में पुनर्नियोजन के लिए दावा नहीं कर सकेंगे।’

इसके साथ ही इस वीआरएस नोटिस में यह भी कहा गया है कि कर्मचारियों को सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए केवल 2.5 महीने की सकल वेतन का भुगतान किया जायेगा। इस प्रकार देखा जाये तो जिस भी कर्मचारी ने कंपनी में 10 वर्ष काम किया है, उसे 7.5 लाख जबकि 20 वर्ष काम करने वाले को 15 लाख रूपए मिलेंगे।

खबर के मुताबिक मज़दूरों ने कंपनी के वीआरएस नोटिस को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है लेकिन उनके ऊपर प्रबंधन द्वारा इसे स्वीकार करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है’।

पुरानी यूनियन ने रविवार को गुड़गांव मिनी सचिवालय के बाहर इस स्कीम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

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