वरिष्ठ नागरिकों की रियायत बंद कर रेलवे प्रति दिन कर रहा है 4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई

देशव्यापी कोरोना पाबंदियों के साथ मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं व ट्रांसजेंडर की रियायतें बंद कर दीं, इन चार सालों में रेलवे ने ₹5875 करोड़ की कमाई की। –आरटीआई
मोदी सरकार ने कोरोना के बहाने देशव्यापी अनियोजित लॉकडाउन लगाने के साथ जनता को बेहद मुश्किलों में धकेल दिया था। देशभर में रेल सेवाएं भी ठप्प कर दी थी। इसी के साथ वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं आदि के रेल किराये में रियायतें भी वापस ले ली थीं।
बुजुर्गों को मिलने वाली रियायतें वापस लेने के सरकार के फैसले से रेलवे को हर दिए करोड़ों रुपये की अतिरिक्त कमाई हो रही है। तबसे बीते करीब चार सालों में भारतीय रेलवे ने 5,875 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। यह जानकारी इस संबंध में दायर एक आरटीआई के जवाब में सामने आई है।
पहले मिलती रहीं है रियायत की सुविधा
रेलवे के नियमों के मुताबिक, 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष और ट्रांसजेंडर व 58 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएं वरिष्ठ नागरिक माने जाते हैं।
कोरोना पाबंदियों से पहले, महिला यात्रियों को ट्रेन किराए में 50 फीसदी और वरिष्ठ पुरुष नागरिक व ट्रांस जेंडर यात्रियों को 40 फीसदी की छूट मिलती थी। रेलवे द्वारा रियायत की यह सुविधा वापस लेने के बाद से वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन यात्रा के लिए अन्य यात्रियों के बराबर पूरा किराया देना होता है।
आरटीआई में बुजुर्गों से बम्पर कमाई का हुआ खुलासा
बुजुर्गों को यात्री किराये में दी जाने वाली छूट खत्म होने के बाद की स्थिति के बारे में तस्वीर कुछ आरटीआई आवेदनों पर आए जवाबों से स्पष्ट हुई है।
मध्य प्रदेश स्थित चंद्र शेखर गौड़ ने अलग-अलग समय पर सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत कई आवेदन दायर कर रेलवे से यह जानकारी मांगी थी कि उसे वरिष्ठ नागरिकों का कंसेशन समाप्त करके कितना फायदा हुआ।
चंद्र शेखर गौड़ ने आरटीआई अधिनियम के तहत तीन आवेदन दायर किए थे। पहले आवेदन के जवाब में, रेलवे ने उन्हें 20 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक का अतिरिक्त राजस्व डेटा प्रदान किया। दूसरे आवेदन के जवाब में, 1 अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक का डेटा दिया। उनके द्वारा फरवरी, 2024 में दायर तीसरे आवेदन के जवाब में रेलवे ने 1 अप्रैल, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक का डेटा दिया।
उनके आरटीआई आवेदनों का जवाब देते हुए भारतीय रेलवे ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें वापस लेने के बाद 20 मार्च, 2020 से 31 जनवरी, 2024 तक उसने 5,875 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त राजस्व कमाया है।
कंसेशन खत्म करके रेलवे ने जुटाए ₹5875 करोड़
चंद्र शेखर गौड़ के आरटीआई आवेदनों के जवाब में रेलवे की ओर से मुहैया कराए गए तथ्यों से पता चलता है कि लगभग 4 वर्षों में 13 करोड़ पुरुषों, नौ करोड़ महिलाओं और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेन यात्रा की और उनके द्वारा सामान्य यात्रियों के बराबर पैसे देकर खरीदे गए टिकटों से रेलवे को लगभग 13,287 करोड़ रुपये का कुल राजस्व प्राप्त हुआ।
चंद्र शेखर गौड़ के मुताबिक, महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत और पुरुष और ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिक यात्रियों के लिए 40 प्रतिशत कंसेशन को लेते हुए अगर कैलकुलेशन करें तो रेलवे को 5875 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ।
जनता से छीनकर अडानी-अंबानी को फायदा
दरअसल मोदी सरकार पिछले 10 वर्षों के दौरान देश की आम जनता को मिलने वाली तमाम सुविधाओं व रियायतों को क्रमशः समाप्त करती गई है और नए टैक्स लगाती गई है। इसी दरमियान जनता से छीनकर व लूटकर वह अडानी-अंबानी जैसे देशी व बहुराष्ट्रीय पूँजीपतियों को तरह-तरह की रियायाते बढ़ाने के साथ विभिन्न तरीके से लाभ पहुंचाती रही है।
वरिष्ठ नागरिकों के रेल किराये में छूट खत्म करना मोदी सरकार की उसी बेईमानी का हिस्सा है। वह आम जनता के लिए जनरल व स्लीपर बोगियों को समाप्त करती जा रही है और एसी कोच बढ़ा रही है। सामान्य ट्रेन घटाकर बंदे भारत, एसी कोच, स्पेशल ट्रेन के बहाने रेल भाड़ा बढ़ोत्तरी, स्टेशन पर वेटिंग रूम में 30 रुपए घंटे तक की वसूली जैसे तमाम धंधों से मोदी सरकार की लूट जारी है।