हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी पर रोक का आदेश पारित किया। हाईकोर्ट में एएलसी द्वारा 13 अक्तूबर 2023 को जारी नोटिस और लोक अदालत व लेबर कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। लंबे समय से संघर्षरत इंटरार्क मज़दूरों को एक बार फिर एक बड़ी कामयाबी मिली है। इंटरार्क कंपनी के सिडकुल पंतनगर और किच्छा स्थित दोनों प्लांटों से बर्खास्त किए गए सभी 12 मजदूरों की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे पूर्व हाईकोर्ट द्वारा राज्य से बाहर स्थानांतरण पर रोक लगाया जा चुका है।
ज्ञात हो कि लंबे संघर्ष के इंटरार्क कंपनी के सिडकुल पंतनगर और किच्छा जिला उधमसिंह नगर (उत्तराखंड) के दोनों प्लांटों के विवाद के संबंध में उधम संघ नगर जिला प्रशासन की मध्यस्थता में संपन्न त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 15 दिसंबर 2022 को हुआ था, जिसे राष्ट्रीय लोक अदालत की पीठ संख्या -09 और श्रम न्यायालय काशीपुर ने भी अपने आदेशों का भाग बनाया था।
किंतु कंपनी प्रबंधन द्वारा उक्त समझौते और अदालतों के उक्त आदेशों का सम्मान करके समझौते के तहत उत्तराखंड राज्य से बाहर कंपनी की विभिन्न निर्माण साइडों पर 3 माह की OD से वापस लौटे 32 श्रमिकों को उनकी मूल नियोजक कंपनी में बहाल करने के स्थान पर उनका गैर कानूनी रूप से उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण कर दिया। यह कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों में और उत्तराखंड राज्य के मॉडल स्टेंडिंग ऑर्डर के विपरीत था।
इस मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने मजदूरों के राज्य से बाहर किए गए स्थानान्तरण पर रोक लगाते हुए आदेश 25 मई 2023 को पारित किया। इसके पश्चात कंपनी मालिक ने उक्त सभी 32 मजदूरों के उक्त स्थानांतरण पर रोक लगाकर उनकी वर्क फ्रॉम होम के तहत पूर्ण वेतन भुगतान करते हुए कार्यबहाली कर दी गई। उन्हें घर बैठाकर पूरा वेतन तो दिया गया लेकिन कंपनी में कार्य पर बहाल नहीं किया गया।
इसके पश्चात भी कंपनी मालिक की साजिशें जारी रहीं और पीड़ित 32 मजदूरों की घरेलू जांच कार्यवाही के नाम पर नौकरी से बर्खास्त करने की साजिश रची गई। जबकि उक्त त्रिपक्षीय समझौते में साफ साफ लिखा है कि घरेलू जांच के दौरान और पश्चात किसी भी श्रमिक को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जायेगा। राष्ट्रीय लोक अदालत और श्रम न्यायालय के उक्त आदेश भी यही कहते हैं।
इंटरार्क कंपनी मालिक द्वारा शासन प्रशासन के साथ में मिलीभगत से उक्त समझौते और राष्ट्रीय लोक अदालत, हाईकोर्ट उत्तराखंड और श्रम न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए उक्त 12 मजदूरों को घरेलू जांच कार्यवाही के बहाने नौकरी से बर्खास्त कर दिया। यही नहीं, इंटरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह नगर के महामंत्री सौरभ कुमार को पंतनगर थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
दूसरी तरफ आंदोलन के दबाव में सहायक श्रमायुक्त उधम सिंह नगर द्वारा प्रबंधन को 13 अक्तूबर 2023 को नोटिस जारी किया गया और अनुचित श्रम व्यवहार के आरोप में कार्यवाही करने की चेतावनी दी। किंतु फिर भी कंपनी मालिक बाज न आया और श्रमिकों को बर्खास्त करने की कार्यवाही जारी रखी और मजदूरों ने जमीनी व कानूनी लड़ाई जारी है।
कानूनी लड़ाई में फिर मिली जीत
दोनों प्लांटों की यूनियन द्वारा इसके खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट उत्तराखंड में याचिका दाखिल करके मजदूरों के बर्खास्त करने के आदेश पर रोक लगाने और समझौते को लागू कराने की मांग की गई। हाईकोर्ट में सुनवाई जारी थी, इसी बीच प्रबंधन ने एक और श्रमिक को बर्खास्त कर दिया।
11 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट ने सभी 12 मजदूरों की बर्खास्तगी पर रोक लगाकर आदेश पारित किया। हाईकोर्ट में एएलसी द्वारा जारी 13 अक्तूबर 2023 को जारी उक्त नोटिस और लोक अदालत और लेबर कोर्ट द्वारा पारित उक्त आदेशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
दोनों यूनियनों ने कहा कि कहावत है कि सत्य परेशान हो सकता है कि किंतु पराजित नहीं हो सकता है। हमारे मामले में भी यही हुआ है। हमारा न्यायपूर्ण संघर्ष अभी भी जारी है।
यूनियनों ने इस जीत का श्रेय दोनों प्लांटों की यूनियनों से जुड़े हुए संघर्षरत सभी मजदूर साथियों, उनके भाईचारे और प्रेम भाव को; सिडकुल और देश के सभी मजदूर यूनियनों और सामाजिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं को देते हुए सभी बधाई व धन्यवाद दिया।