संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 16 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम का ऐलान

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एमएसपी; श्रम संहिताएं रद्द करने; न्यूनतम वेतन 26,000; रोजगार गारंटी; ठेकाप्रथा, निजीकरण पर रोक; छोटे-मध्यम किसानों की ऋण माफी; मनरेगा में 200 दिन काम, 600 रुपए दिहाड़ी आदि माँग।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों(सीटीयू)/फेडरेशनों/एसोसिएशनों के संयुक्त मंच द्वारा आगामी 16 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर चक्का जाम का ऐलान किया गया है.

एसकेएम और सीटीयू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया की ” 16 फरवरी को रेल रोको/रास्ता रोको/जेल भरो/ग्रामीण बंद/जुलूस और केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने धरना देते हुए पूरे भारत में श्रमिकों और किसानों की बड़े पैमाने पर लामबंदी का संयुक्त आह्वान किया जायेगा.”

इसके साथ ही उन्होंने छात्रों, युवाओं, शिक्षकों, महिलाओं, सामाजिक आंदोलनों और कला, संस्कृति साहित्य के क्षेत्र के सभी समान विचारधारा वाले आंदोलनों से अनुरोध किया की संयुक्त किसान मोर्चा तथा केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच के संयुक्त अभियानों और अंतिम कार्यों को समर्थन देने की अपील की.

प्रेस वार्ता के दौरान अपनी मांगों को सामने रखते हुए बताया कि ‘ गारंटीशुदा खरीद के साथ सभी फसलों के लिए एमएसपी, श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000/- रुपये प्रति माह, ऋणग्रस्तता से मुक्ति के लिए छोटे और मध्यम किसान परिवारों को व्यापक ऋण माफी की मांगों को पूरा करने, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करें, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी दें.’

साथ ही रेलवे, रक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक उपक्रमों का कोई निजीकरण नहीं, नौकरियों का कोई अनुबंधीकरण नहीं, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन काम और 600/- रुपये दैनिक वेतन के साथ मनरेगा को मजबूत करें, पुरानी पेंशन बहाल करें योजना, एलएआरआर अधिनियम 2013 (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013) को लागू करना.

प्रेस वार्ता के दौरान सीटीयू और एसकेएम ने सत्ताधारी कॉर्पोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ के वर्तमान घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि ‘बेशर्मी से राष्ट्रीय संपत्ति और वित्त को मुट्ठी भर निजी कॉर्पोरेटों को सौंप दिया गया और भारतीय लोकतंत्र की सभी संस्थाओं – संसद, न्यायपालिका, चुनाव आयोग आदि को पंगु बना दिया गया और उन पर कब्जा कर लिया गया है.’

एसकेएम के नेताओं ने बताया कि ‘हम 26 जनवरी, 2024 को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर/वाहन परेड के लिए एसकेएम द्वारा पहले ही दिए गए आह्वान का समर्थन करते हैं और कार्यकर्ताओं से अपने वाहनों के साथ इसमें शामिल होने की अपील करते हैं.’

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता और किसान संयुक्त रूप से पत्रक वितरित करने, मांग पत्र वितरित करने और संघर्षों में बड़े पैमाने पर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 10 से 20 जनवरी 2024 को भारत भर के सभी गांवों में घर-घर जाकर जन जागरण अभियान चलाएंगे.

वर्कर्स यूनिटी से साभार