काकोरी शहादत दिवस 19 दिसंबर कार्यक्रम का व्यापक प्रचार; शहीद राजेंद्र लाहिड़ी की याद में जुलूस

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आज आमजन विकट संकटपूर्ण स्थिति में है, महँगाई-बेरोजगारी बेलगाम है, अमन-चैन तबाह है; तब शहीद अशफ़ाक़-बिस्मिल की साझी शहादत साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक बनकर खड़ा है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। काकोरी एक्शन के अमर शहीदों में से एक राजेंद्र नाथ लाहिड़ी की शहादत दिवस 17 दिसंबर को जागरूकता अभियान चलाया गया और जुलूस निकाला गया। इस दौरान काकोरी के शहीद अमर रहें, बिस्मिल-अशफाक़ की यारी, साझी विरासत है हमारी; अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम; जाति-धर्म में नहीं बाटेंगे, अन्याय के खिलाफ एकजुट लड़ेंगे आदि नारे लगे।

इस कार्यक्रम के तहत मज़दूर सहयोग केंद्र और उससे जुड़ी यूनियनों द्वारा दिन में रुद्रपुर के साईं मंदिर से खेड़ा बस्ती में व्यापक प्रचार अभियान जोर-जोर से चलाया गया।

वहीं दूसरी ओर शाम को 4 बजे से ‘काकोरी शहीद यादगार कमेटी’ के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों, यूनियनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने शहीद राजेन्द्र लाहिड़ी की तस्वीर के साथ शहीद अशफ़ाकउल्ला खां पार्क से खेड़ा कालोनी में एक जुलूस निकाला गया।

इस अभियान के दौरान 19 दिसंबर को काकोरी के अमर शहीदों रामप्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह के शहादत दिवस पर शहीद अशफ़ाकउल्ला खां पार्क खेड़ा में आयोजित हो रहे श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम में व्यापक भागीदारी का आह्वान किया गया।

सघन जन संपर्क अभियान

काकोर के अमर शहीदों से प्रेरणा लेने, उनकी साझी विरासत को आगे बढ़ाने और अमन-चैन व भाई-चारा को मुहिम बनाने के आह्वान के साथ रुद्रपुर में ‘काकोरी शहीद यादगार कमेटी’ के नेतृत्व में पिछले एक सप्ताह से सघन जन संपर्क अभियान चल रहा है। इस दौरान पर्चा वितरण, पोस्टर लगाने के साथ शहीद अशफाक़ पर केंद्रित पुस्तिका को भी लोगों तक पहुंचाया गया।

आयोजकों ने कहा कि भारत का इतिहास आज़ादी के शानदार संघर्षों व बेमिसाल कुर्बानियों से भरा पड़ा है। अन्यायी-अत्याचारी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ने वाले एक से बढ़कर एक महान क्रांतिकारी योद्धाओं ने जन्म लिया। इन महान नायकों में काकोरी ऐक्शन के जांबाज युवा शहीद व हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) के बहादुर सिपाही रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक़ उल्ला खाँ, रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी भी शामिल हैं।

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वक्ताओं ने कहा कि गोरे जोंकों का नाश हुआ, देश आज़ाद हुआ, लेकिन यह आज़ादी मुनाफाखोर पूँजीपतियों, धन्ना सेठों की बनी। देश की मेहनतकश जनता का खून चूसने के लिए काले जोंक देश की सत्ता और पूरे शासन तंत्र से चिपक गए।

आज आरएसएस-भाजपा के राज में मेहनतकश जनता के हालात और तेजी से बिगड़ते गए। मोदीनीत सरकार ने अडाणी-अंबानी जैसे बड़े पूंजीपतियों के इशारों पर मजदूरों-किसानों-छात्रों और आम जनता के खिलाफ काले कानूनों का अंबार लगा दिया और सम्मानजनक रोजगार व शिक्षा, श्रम एवं नागरिक अधिकारों आदि पर भीषण हमले बेलगाम हो गए।

आज जब मेहनतकश विकट संकटपूर्ण स्थिति में है, देश नई गुलामी की जंजीरों में जकड़ा है, अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और आरएसएस-भाजपा ने पूरे देश में तीखी विभाजनकारी स्थितियाँ बना दी हैं, दंगे-फसाद से देश का अमन-चैन तबाह कर दिया है, तब शहीद अशफ़ाक़-बिस्मिल की साझी शहादत साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक बनाकर सामने है।

वक्ताओं ने कहा कि चौतरफा संकट से घिरा हमारा समाज आज एक बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। ऐसे में बिस्मिल, अशफ़ाक, आज़ाद, सराभा, ऊधम सिंह और भगतसिंह जैसे अमर शहीदों की क्रांतिकारी विरासत पर चलकर ही अपने देश को बड़े पूंजीपतियों और फासीवादी ताक़तों के गठजोड़ से बचा सकते हैं।

19 दिसम्बर काकोरी शहादत श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल हों!

आयोजकों ने 19 दिसम्बर कार्यक्रम में व्यापक भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि काकोरी ऐक्शन के महान क्रांतिकारियों और अशफ़ाक-बिस्मिल की अजीम यारी से प्रेरणा लें; उनकी विरासत के सच्चे वाहक बनकर उनकी शहादत दिवसों को सच्चे अर्थों में मनाएं, संकल्पबद्ध हों और अमन-चैन, भाई-चारा व इंसानियत को बचाने की मुहिम के भागीदार बनें!

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