उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के निजीकरण की रफ्तार तेज, कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी में

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प्रदेश के 19 डिपो के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी निजी फर्म को देने का फैसला, निजीकरण के खिलाफ काफी समय से मुखर रहे कर्मचारी संगठन एक बार फिर आंदोलित हो उठे हैं।

उधर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के निदेशक मंडल की बैठक में मेरठ समेत प्रदेश के 19 डिपो के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी परिवहन निगम ने प्राइवेट फर्म को देने का फैसला लिया इधर निजीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ काफी समय से मुखर रहे कर्मचारियों के संगठन एक बार फिर आंदोलित हो उठे हैं। परिवहन निगम के कर्मचारी संगठन एकजुट होकर शासन के इस फैसले पर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है।

यूपी रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव एवं क्षेत्रीय अध्यक्ष राजीव त्यागी ने आज यहां कहा कि जल्द ही परिवहन निगम के विभिन्न नियमित और संविदा कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक बुला कर आंदोलन के संबंध में रणनीति तैयार की जाएगी। कर्मचारी नेता ने कहा कि प्रदेश सरकार निगम को निजी हाथों में देना चाहती है। इसलिए लगातार इस तरह के निर्णय लिये जा रहे हैं जिससे की यूपी रोडवेज को धीरे-धीरे खत्म कर उसे पूरी तरह निजी हाथों में दिया जाए। उन्होंने कहा कि परिवहन निगम के निदेशक मंडल द्वारा लिए गए इस निर्णय से रोडवेज़ के 55 हज़ार कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारियों का भी पक्ष सुना जाना चाहिए था।

उन्होनें कहा कि इससे पहले योगी सरकार ने पुराने नियम को बदलते हुए 75 प्रतिशत बसें निजी क्षेत्र की और सरकारी बसें 25 प्रतिशत चलाने का फैसला किया था। पुराने नियम के अनुसार उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में 75 प्रतिशत सरकारी बसें और 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र की बसें चलती रही हैं। हालांकि सरकार को इस संबंध में विशेषज्ञों से राय ली जानी चाहिए थी। लेकिन सरकार ने मनमानी करते हुए निर्णय ले लिया। इसी तरह अब उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के 19 बस डिपो की जिम्मेदारी निजी फर्म के हवाले की जा रहा है। इसमें मेरठ का सोहराब गेट डिपो भी शामिल है।

राजीव त्यागी के अनुसार उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम के कुल 20 रीजन है इनमें से एक रीजन में पहले से ही निजीकरण की व्यवस्था लागू है। अब 19 रीजन के एक-एक डिपो में बसों की मरम्मत की जिम्मेदारी आउटसोर्स के हवाले होगी। यानी अब संबंधित डिपो की बसों का मेंटेनेंस परिवहन निगम के कर्मचारियों के बजाय प्राइवेट कर्मचारी करेंगे। राजीव त्यागी ने बताया कि 2007 में पहली बार रोडवेज को निजी हाथों में सौंपने का सपना पूरा नहीं होने दिया गया। इस बार भी परिवहन निगम की निजीकरण की मंशा पूरी होने नहीं दी जाएगी।

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