केंद्र सरकार हिमाचल में आए बाढ़ और भू-स्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे -एसकेएम

Himachl_apada

बाढ़ प्रभावित राज्यों में पर्याप्त मुआवजा की मांग। मोदी सरकार की जन-विरोधी वन संरक्षण विधेयक तथा जंगल की लूट में लकड़ी माफिया की मदद के लिए एमपी भाजपा सरकार की निंदा।

दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 जुलाई को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विभिन्न राज्यों में, विशेष रूप से उत्तरी भारत में, हुए भारी बारिश के कारण भू-स्खलन, जल जमाव और बाढ़, जिससे अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, से प्रभावित लोगों के प्रति दुःख व्यक्त की।

हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य है और यहां 80 लोग पहले ही अपनी जान गंवा चुके हैं। सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति और मवेशी का नुक्सान हो चुका है। एसकेएम ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भू स्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे और हिमाचल प्रदेश के लोगों को तुरंत बचाव और राहत भेजे।

12 जुलाई, 2023 को आयोजित बैठक में, एसकेएम की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और असम सहित अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार द्वारा तत्काल और प्रभावी राहत कार्य की मांग की थी।

एसकेएम ने बाढ़ और निरंतर भारी बारिश के कारण पीड़ित लोगों के प्रति केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं जिन्होंने अपनी फसल और मवेशी को खो दिया है।

एसकेएम की माँग-

एसकेएम ने मांग की है कि केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें उन परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दें, जिन्होंने अपने परिजनों को खो दिया है, फसल के नुकसान के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये, प्रति गोजातीय मवेशी के लिए 1 लाख रुपये और प्रति छोटे जुगाली करने वाले जानवर के लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा दे।

एसकेएम ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई प्रभावित राज्यों में प्रधान मंत्री फसल बिमा योजना की विफलता के कारण कृषि और पशुपालन क्षेत्र के लिए कोई प्रभावी बीमा कवरेज नहीं है। प्रशासन को तत्काल और प्रभावी राहत कार्य सुनिश्चित करना चाहिए।

एसकेएम प्रभावित राज्यों में अपने सभी घटक संगठनों से अपील करता है कि उनके कार्यकर्ता राहत कार्य में भाग लें और सभी पीड़ितों की मदद करें।

बुरहानपुर में माफ़ियों की मदद व आदिवासियों के दमन की निंदा

एसकेएम ने मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में 15000 एकड़ जंगल को लूटने के लिए लकड़ी माफिया की मदद, और जंगल लूट का विरोध करने पर निर्दोष आदिवासी परिवारों पर दमन और जागृत आदिवासी दलित संगथन की नेता माधुरी के बुरहानपुर जिले में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक साल के लिए निष्कासन का अजीब और गैरकानूनी आदेश जारी करने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की निंदा की है। इस तरह के सत्तावादी और अलोकतांत्रिक उपाय अत्यधिक निंदनीय हैं और एसकेएम मांग करता है कि मुख्यमंत्री यह शर्मनाक आदेश को तुरंत वापस ले लें।

जनविरोधी वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक लागू न हो!

एसकेएम ने वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक में किए गए जन विरोधी संशोधनों का कड़ा विरोध किया है, जिसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाना है। विधेयक का उद्देश्य मुनाफाखोरी के लिए वन संसाधनों पर कॉर्पोरेट कब्ज़ा करने की सुविधा प्रदान करना और स्थानीय समुदायों विशेषकर आदिवासियों को वन और वन संसाधनों पर अधिकारों से वंचित करना है।

एसकेएम ने मांग की है कि सांसद इस विधेयक को लागू न होने दें।

समझौते के उल्लंघन के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की निंदा

एसकेएम मुंडका पुलिस स्टेशन की एफआईआर 534/2021 के मामले में किसानों को नोटिस भेजकर किसानों के खिलाफ सभी मामले वापस लेने के ऐतिहासिक किसान संघर्ष के दौरान किए गए समझौते के उल्लंघन के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की निंदा करता है।

मीडिया सेल | संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी