एमपी: स्टे के बावजूद प्री-नर्सिंग चयन परीक्षा; क्या सरकार ने मनमानी तय कर ली है? -हाईकोर्ट

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प्रवेश परीक्षा तब कराई गई, जब सत्र ही समाप्त हो चुका है। अदालत ने कहा कि स्टे के बावजूद सरकार की मनमानी। ऐसा लगता है कि हमें और सख्त होने की जरूरत है।

हाल ही में मप्र शासन के निर्देश पर सरकारी कॉलेजों में सत्र 2022-23 के लिए आयोजित कराई गई प्री-नर्सिंग चयन परीक्षा काे लेकर मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नाराजगी जताई है। प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस संजीव एस कालगांवकर की डिवीजन बेंच ने कहा- शैक्षणिक सत्र 2022-23 पूरा होने के बाद प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है।

वह भी तब जब इस कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच का आदेश दिया है। क्या सरकार ने ये तय कर लिया है कि जो मन चाहेगा, वह करेंगे। एक बार जब कोर्ट स्टे कर चुकी है, फिर भी सुधार नहीं हो रहा? ऐसा लगता है कि हमें और सख्त होने की जरूरत है। कोई बड़ी बात नहीं कि हमें आपके प्रिंसिपल सेक्रेटरी को या फिर चीफ सेक्रेटरी को बुलाना पड़े। आप लोग कोई ना कोई युक्ति अपनाते हुए कानून की महत्ता को कम करने में लगे हुए हैं।

कोर्ट ने अब इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी को जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। एसोसिएशन की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट स्मृति शर्मा ने कोर्ट को बताया कि पूर्व में इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए नोटिफिकेशन जारी कर बीएससी (नर्सिंग) प्रोग्राम एक अगस्त 2022 से शुरू करने और प्रवेश की अंतिम तिथि 30 सितंबर तय की थी। बाद में काउंसिल ने 9 सितंबर 2022 को एक और नोटिफिकेशन जारी कर प्रवेश की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2022 कर दी। इसके बाद सात से नौ जुलाई तक परीक्षा कराई गई।

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की कुल 1050 सीट के लिए 66 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया। प्रवेश परीक्षा तब कराई गई, जब सत्र ही समाप्त हो चुका है। याचिका के माध्यम से अब 2022-23 सत्र को जीरोे ईयर घोषित करने और भविष्य में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही प्रवेश दिलाने की मांग की गई है।

दैनिक भास्कर से साभार