सर्व सेव संघ के भवन-संपत्ती विध्वंस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक; 10 जुलाई को सुनवाई

पीएम मोदी पहुंचे थे बनारस। आंदोलनकारियों को मिलने का नहीं दिया समय। सर्व सेव संघ ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन गंगा नदी में किया प्रवाहित। सुप्रीम स्टे पर लोगों में खुशी।
जिस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर थे, उसी दौरान देश की सर्वोच्च अदालत ने अगली सुनवाई तक सर्व सेवा संघ के भवनों पर विध्वंस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई (सोमवार) को सुनवाई करेगी।
बनारस के जिलाधिकारी एस.राजलिंगम ने 27 जून 2023 को सर्व सेवा संघ की समूची संपत्ति को उत्तर रेलवे के हवाले करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया है कि वो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई न करें। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि हम इसे 10 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे।
गांधी जी के विचारों और मूल्यों का प्रचार करने वाली संस्था अखिल भारत सर्व सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट में तब याचिका डाली जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने के इनकार करते याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में अपनी शिकायत दर्ज कराने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत से तत्काल सुनवाई करने और संस्था की इमारत को गिराने के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
बनारस में राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ पर खबर आते ही करतल ध्वनि से स्वागत किया गया। सर्व सेवा संघ में आंदोलन के 48वें दिन 50 से ज्यादा लोगो ने दिन भर उपवास पर रहकर सत्ता के मनमानेपन के खिलाफ चल रहे इस ‘ सविनय अवज्ञा सत्याग्रह’ में एकजुटता प्रदर्शित किया।

यह विचारधारा की लड़ाई है
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण खड़े हुए। उन्होंने कहा कि जेपी, विनोबा, प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू, लालबहादुर शास्त्री आदि की कोशिशों से बनी हुई ऐतिहासिक महत्व की संस्था पर वर्तमान सत्ता और प्रशासन जो कर रहा है वो विधिक स्तर पर न्यायालय में लड़ेंगे ही मगर असल मुद्दा है विचारधारा।
गांधी की विचारधारा को चोट पहुंचाने की ये कोशिश वस्तुतः देश के उस ढांचे पर प्रहार है जिसे आजादी की लड़ाई के दौरान हमारे पुरखों ने बनाया है। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पत्र की प्रति सर्व सेवा संघ की ओर से रेलवे, डीएम और कमिश्नर वाराणसी को दिया गया।

क़ानूनन खरीदी गई और राष्ट्रपति की संस्तुति प्राप्त है
प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि महात्मा गांधी के विचारों और उनके दर्शन का प्रचार करने के लिए आचार्य विनोबा भावे ने साल 1948 में बनारस में सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी। तत्कालीन राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद की संस्तुति के बाद के बाद तत्कालीन रेल मंत्री जगजीवन राम ने जनहित के आधार पर रेलवे की जमीन सर्व सेवा संघ को बेचने की संस्तुति दी थी।
रेलवे ने पूरी कीमत लेकर 12.89 एकड़ जमीन बेची थी। सर्व सेवा संघ के पक्ष में बैनामा बाद में हुआ और जमीनों की कीमत पहले चुकाई गई। सबसे पहले 05 मई 1959 को चालान संख्या 171 के जरिये भारतीय स्टेट बैंक में 27 हजार 730 रुपये जमा किए गए थे। इसके अलावा 750 रुपये स्टांप शुल्क भी अदा किया गया था। 27 अप्रैल 1961 में 3240 रुपये और 18 जनवरी 1968 को 4485 रुपये चालान संख्या क्रमशः 03 और 31 के जरिये स्टेट बैंक में जमा किया गया। उस समय यह रकम बहुत बड़ी थी।
बनारस जिला प्रशासन सर्व सेवा संघ की समूची संपत्ति को उत्तर रेलवे की जागीर बता रहा है। प्रशासन और रेलवे के अफसर इस इमारत को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी कर चुके हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनने से किया था मना
इससे पहले सर्व सेवा संघ ने अपनी 12.898 एकड़ जमीन और उस पर बने भवनों को गिराने के लिए उत्तर रेलवे की नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 जुलाई 2023 को सर्व सेवा संघ को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में इस मामले से संबंधित लंबित वाद में अपनी शिकायत रखनी चाहिए।
इसके बाद 4 जुलाई 2023 को देर रात सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट होने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को खास अहमियत दी और सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी।
पीएम ने मिलने को नहीं दिया समय
वरिष्ठ गांधीजनों ने पीएम मोदी के बनारस आगमन पर उनसे मिलने का समय मांगा था लेकिन न तो पीएम कार्यालय ने और न प्रशासन ने मिलने का कोई समय दिया। शाम 4 बजे तक इंतजार के बाद प्रधानमंत्री को संबोधित चिट्ठी जागृति राही ने पढ़कर सुनाया।
संघ पर सरकार और प्रशासन द्वारा हो रही कार्यवाही से असहमति जाहिर करती हुई इस चिट्ठी का जनसभा ने सर्व सेवा संघ बचाओ, गांधी-जेपी की विरासत बचाओ आदि नारों से समर्थन किया।
सभास्थल पर इस बात पर आक्रोश व्यक्त किया गया कि बीएचयू के वे छात्र जो सर्व सेवा संघ आंदोलन को समर्थन देने के लिए आज राजघाट आ रहे थे, उन्हें पुलिस ने हॉस्टलों में नजरबंद कर लिया। ये लोकतांत्रिक व्यवस्था का अतिक्रमण है। आपातकाल की बरसी मना रहे मोदी जी, छात्रों के सवाल को दबाकर क्या सन्देश देना चाहते हैं? प्रशासन से छात्रों की तत्काल रिहाई की माँग हुई।

ज्ञापन गंगा नदी में प्रवाहित
इसके बाद शाम 5 बजे जुलूस के रूप में परिसर से निकलकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक राम धीरज ने गंगा नदी में प्रवाहित करते हुए आग्रह किया कि पीएम जो अपने आप को आपका पुत्र कहते हैं, उनको यह पत्र पहुंचा दीजिए और उनसे इस मामले में न्यायोचित कार्यवाही करने को कहें।
उल्लेखनीय है कि सर्व सेवा संघ के मामले को लेकर करीब 50 दिनों से सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा है। बनारस में चलाए जा रहे सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड राज्यों से महात्मा गांधी के अनुयायी आ रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने सत्याग्रह में हिस्सा लिया।