मध्यप्रदेश: पुरानी पेंशन बहाल करने की माँग पर भोपाल में कर्मचारियों का बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन

कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन, महंगाई भत्ता, महंगाई राहत समेत कई मांगे प्रमुखता से उठाई है। उनका कहना है कि अन्य राज्यों की तर्ज पर जल्द से जल्द पुरानी पेंशन बहाल कर देना चाहिए।
MP में पुरानी पेंशन बहाल करने समेत अन्य मांगों को लेकर एक बार फिर से कर्मचारी सड़क पर हैं। शनिवार को भोपाल में बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन हो रहा है। इसमें प्रदेशभर से कर्मचारी जुटे हैं। प्रदर्शन से पहले सभी जिलों में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे गए।
मध्यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश पेंशनर एसोसिएशन के आह्वान पर यह धरना – प्रदर्शन किया जा रहा है। जहांगीराबाद स्थित नीलम पार्क में यह धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा, केवल बातों से बताशे बनाने वालों का स्वागत नहीं करो। मौसम और सरकार पर भरोसा नहीं करना। वाहन चालक यांत्रिकी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष साबिर खान ने कहा, कर्मचारी सरकार से नाराज हैं। हम गाड़ी चलाएंगे तो न स्पीड ब्रेकर देखेंगे, न गड्ढा, पीछे बैठा अधिकारी आगे आ जाएगा, तब समझ आएगा कि इनकी सुनी नहीं।
धरना-प्रदर्शन को मध्यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश पेंशनर एसोसिएशन का समर्थन है।
इन मांगों को लेकर भी प्रदर्शन
प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय दर एवं केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता दिया जाए।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को महंगाई राहत मिले।
पिछले कई साल के एरियर का बकाया दिया जाए।
सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता, वाहन एवं अन्य भत्ते प्रदाय किए जाए।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का पदनाम कार्यालय सहायक किए जाए।
पेंशनरों को पेंशन राहत प्रदान करने में धारा 49 समाप्त की जाए।
कर्मचारियों की पदोन्नति, समयमान वेतनमान पर फैसला हो।
कर्मचारियों की वेतन विसंगति, टैक्सी प्रथा बंद कर वाहन चालकों की भर्ती की जाए।
संविदा एवं स्थाईकर्मियों को नियमित किया जाए।
सीपीसीटी का बंधन खत्म किया जाए।
1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है। इसके तहत कर्मचारी 10% और इतनी ही राशि सरकार मिलाती है। कर्मचारी संगठन के अनुसार, इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है। इसके चलते कर्मचारियों का भविष्य शेयर मार्केट के ऊपर निर्भर हो गया है। रिटायरमेंट होने पर 60% राशि कर्मचारी को नकद और शेष 40% राशि की ब्याज से प्राप्त राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को दी जाती है। पुरानी पेंशन बहाली संघ के अनुसार, पुरानी पेंशन नीति में सैलरी की लगभग आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। DA बढ़ने पर पेंशन भी बढ़ जाती थी। नई नीति में ऐसा कुछ भी नहीं है।
दैनिक भास्कर से साभार