मानेसर की बेलसोनिका कंपनी में और 11 मज़दूर बर्ख़ास्त

काम के दौरान पंखे बंद करने के ख़िलाफ़ प्शरतिरोध में शिर्ट के बिना काम करते बेलसोनिका मज़दूर
छंटनी-बंदी का प्रयास, यूनियन पर दमन चरम पर
22 अप्रैल, मानेसर | कल दोपहर 21अप्रैल को बेलसोनिका कंपनी प्रबंधन ने 11 स्थायी मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया। इसके साथ बर्ख़ास्त और निलंबित मज़दूरों की कुल संख्या 30 तक पहुँच गयी है।
आईएमटी मानेसर स्थित बेलसोनिका कंपनी में प्रबंधन पिछले 2 सालों से छंटनी करने की कोशिश में लगी हुई है। फर्जी दस्तावेजों का बहाना बना कर प्रबंधन 10-15 वर्षों से कार्यरत पक्के मज़दूरों और 7-8 सालों से कार्यरत ठेका मज़दूरों को बाहर करना चाहती है। प्रबंधन ने पहले 3 स्थायी मज़दूरों को टर्मिनेट किया, फिर 3 यूनियन पदाधिकारियों की गेट बंदी कर दी, 10 पक्के मज़दूरों को निलंबित किया और 3 ठेका मज़दूरों को टर्मिनेट किया जिन्हें यूनियन ने सदस्यता दी थी। पिछले साल यूनियन को चंद ठेका मज़दूरों को सदस्यता देने के विषय पर कारण बताओ नोटिस भी भेजवाया जा चूका है। इससे पहले प्रबंधन द्वारा मज़दूरों को उत्पीड़ित करने के लिए प्रोडक्शन के समय पंखें बंद कर देना इत्यादि जैसे हथकंडे भी अपनाए जा चुके हैं। यह सभी प्रबंधन और श्रम विभाग की मिलीभगत के यूनियन को तोड़ने की शर्मनाक कोशिशों का हिस्सा है।
छंटनी – बंदी का कहर गुड़गांव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल पूरे औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूर आन्दोलन के सामने विशेष संकट बन कर खड़ा है। इस नीति से मालिक इस क्षेत्र में पक्के मज़दूरों की यूनियनों की बनी ताकत को तोड़कर, क्षेत्र में रोज़गार के पूर्ण अस्थायिकरण के दरवाज़े खोलना चाहते हैं। इसी नीति से प्रबंधन ने रिको धारूहेड़ा, हौंडा, सनबीम, नपिनो जैसे विभिन्न मज़बूत यूनियनों पर अपना प्रहार चलाया है। इस क्षेत्र की संघर्षरत यूनियनों में स्थान रखने वाली बेल्सोनिका यूनियन लगातार मज़दूर अधिकारों के लिए संघर्षरत रही हैं और अन्य आन्दोलनों के समर्थन में भी भागीदारी निभाई है। ऐसे में छंटनी-बंदी के ख़िलाफ़ बेलसोनिका मज़दूरों का संघर्ष पूरे क्षेत्र के मज़दूर आन्दोलन के लिए एक महत्वपूर्ण संघर्ष है।