लुधियाणा: मार्शल मशीन कंपनी ने प्लांट में फोन लाने पर लगाई रोक; मज़दूरों ने लड़कर कराई बहाल

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कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब ने इसे बेहद अन्यायपूर्ण, नाजायज और घृणित फैसला बताया। मज़दूरों के एकजुट विरोध से प्रबंधन को प्लांट में फोन लाने पर रोक का फरमान वापस लेना पड़ा।

लुधियाणा (पंजाब)। मार्शल मशीन लिमिटेड के प्रबंधन ने मज़दूरों को प्लांट में फोन लाने पर रोक लगा दी। जिसका मज़दूरों ने विरोध किया। कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब ने इसे बेहद अन्यायपूर्ण, नाजायज और घृणित फैसला बताते हुए श्रम अधिकारियों से शिकायत की।

यूनियन ने सभी मज़दूरों को इसके विरोध का संदेश जारी किया और आज 17 अप्रैल की सुबह मज़दूरों की मीटिंग की। प्रतिरोध देखते हुए प्रबंधन ने आज गेट पर मज़दूरों का मोबाइल फोन नहीं रोका।

इसी के साथ यूनियन ने श्रम विभाग में लिखित शिकायत दर्ज कराई। लेबर इंस्पेक्टर की एचआर प्रबंधन से फोन पर बात हुई। उसने कहा कि मोबाइल फोन कंपनी ने न ले जाने का आदेश वापिस ले लिया है।

https://mehnatkash.in/2023/03/12/ludhiana-partial-victory-for-marshall-machine-workers-declare-to-continue-the-struggle/

अन्यायपूर्ण, नाजायज और घृणित फैसला

दरअसल मार्शल मशीन लिमिटेड के मज़दूर जब संगठित होकर अपने हक़ की आवाज बुलंद करने लगे तो प्रबंधन ने दमन का रास्ता अपनाया। पिछले दिनों मार्शल मज़दूरों की जीत से प्रबंधन ने परेशान करने का नया जरिया निकाला और प्लांट में मज़दूरों को फोन लाने पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया।

कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब ने कहा कि कंपनी ने बेहद अन्यायपूर्ण, नाजायज और घृणित फैसला मज़दूरों पर थोपते हुए कंपनी में मज़दूरों द्वारा फोन लेकर जाने पर पाबंदी लगाई है। हम इसका विरोध करते हैं।

यूनियन का स्पष्ट व सुसंगत तर्क है कि-

  • यह हमारे बुनियादी अधिकार पर हमला है, नागरिक अधिकार पर हमला है।
  • यह पूरी तरह गैरक़ानूनी है क्यों कि श्रम क़ानूनों/स्टेंडिंग आर्डर्ज़ के तहत कारखानों में मोबाइल फोन ले जाने पर कोई पाबंदी नहीं है। अगर कंपनी मालिक/प्रबंधक ऐसा करते हैं तो पूरी तरह गैर-क़ानूनी तौर पर करते हैं।
  • मोबाइल फोन ले जाने से आज तक कंपनी को मज़दूरों की तरफ़ से कभी कोई परेशानी नहीं आई है। कभी कोई असुरक्षा पैदा नहीं हुई है। कभी कोई काम नहीं रुका है। मज़दूरों की ओर से कभी कोई तस्वीर, जानकारी बाहर लीक नहीं हुई है। असल में मज़दूरों के लिए यह चाह कर भी संभव नहीं है। क्यों कि जिन जानकारियों की दूसरी कंपनियों को जरूरत हो सकती है वो जानकारी मैनेजमैंट या उच्च स्टाफ वाले ही दे सकते हैं। इसलिए कंपनी की टेक्नालॉजी से संबंधित जानकारी की गोपनीयता का अगर कोई मामला है तो मैनेजमैंट के मोबाइल फोन, उनके लैपटॉप आदि पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए। गेट पर उनकी अच्छे से चैकिंग होनी चाहिए!
  • आज डिजीटल जमाना है। हमारे बैंक खाते मोबाइलों से जुड़े हुए हैं। मोबाइल नंबरों की क्लोनिंग करके खातों से पैसे निकलवाने के फ्राड हो रहे हैं। जब हमारे पास फोन होता है तो हमें समय पर पता चल सकता है कि पैसे धोखे से निकाले जा रहे हैं, और हम खाता बलॉक कर सकते हैं। अगर फोन ही नहीं रहेगा हमें कैसे पता चलेगा।
  • हमारे बिजली के बिल, कर्ज की किश्तों की सूचनाएँ और अन्य अलग-अलग प्रकार की सूचनाएँ और काम फोन से जुड़े हुए हैं। फोन पास में न रहने से हमें बड़ी समस्याएँ आएँगी, नुक़सान होंगे।
  • घरों में बीमारी, हादसे आदि तमाम तरह की समस्याएँ आती रहती हैं। जिनके बारे में समय पर हमें पता चल जाए तो बड़ा नुक़सान होने से बचाव हो सकता है। लेकिन लगता है कंपनी मालिक/मैनेजमैंट पूरी तरह अमानवीय हो चुके हैं।
  • कंपनी का कहना है कि मज़दूरों के परिवार वालों को अगर कोई काम है तो वो स्टाफ, सिक्योरिटी आदि वालों के नंबरों पर फोन करके बात कर सकते हैं। स्टाफ वाले या सिक्योरिटी वाले बात करवाएँगे इसका तो कोई भरोसा नहीं है लेकिन हमारे परिवार से लोगों, हमारे घरों की स्त्रियों के फोन नंबर, व्हाट्सएफ नंबर, व्हाट्सएप प्रोफाइल पिक्चर आदि की निजता/सुरक्षा/गोपनीयता ज़रूर भंग हो जाएगी। हमें कंपनी पर इस मामले में जरा भी भरोसा नहीं है।
  • अगर कंपनी को किसी मज़दूर द्वारा कंपनी में फोन इस्तेमाल करने पर कोई शिकायत है, कोई दिक्कत है, कोई नुक़सान हो रहा है तो मज़दूर यूनियन की कमेटी से बात करे। कमेटी समेत तमाम मज़दूर चाहते हैं कि कंपनी अच्छी तरह से चले। अगर कहीं कोई गलतफहमी है, कोई गलती है, उसे समझाने-बुझाने से आराम से हल किया जा सकता है। दिहाड़ी काटना या अन्य प्रकार की सजा देना भी पूरी तरह गलत होगा। अगर कोई बार-बार गलती करता है तो उस पर कमेटी से बातचीत करके कार्रवाई-सजा तय की जा सकती है। लेकिन बिना कोई जागरूकता फैलाए, समझाए बुझाए कार्रवाई करना, सजा देना कतई जायज नहीं होगा।

उपरोक्त तर्कों के साथ मज़दूरों ने कंपनी के फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए माँग की थी कि यह मज़दूर विरोधी फैसला वापिस लिया जाए।

अंततः इस तीखे प्रतिरोध के बाद प्रबंधन पीछे हटा और मज़दूरों को एक और कामयाबी मिली।

https://mehnatkash.in/2023/02/11/ludhiana-the-united-strike-of-the-workers-forced-the-company-to-accept-the-demands/