राजस्थान: मंत्रालय कर्मचारी बेमियादी सामूहिक अवकाश पर; 17 अप्रैल को जयपुर में महापड़ाव

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महासंघ ने कहा- सरकार वादाखिलाफी कर रही है। 10 अप्रैल से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश में रहते हुए 17 अप्रैल से एक लाख मंत्रालयिक कर्मचारियों का जयपुर में महापड़ाव डाला जाना है।

जयपुर। अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश आह्वान पर सोमवार से मंत्रालयिक कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। राज्य के सभी जिलों के मंत्रालयिक कर्मचारी अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर रहे।

इस दौरान महासंघ नेताओं ने बताया कि 14 सितंबर 2021 को राज्य सरकार एवं महासंघ के बीच हुए लिखित समझौते की पूर्ण पालना नहीं होने एवं बजट में मंत्रालयिक कर्मचारियों की वित्तीय मांगों की उपेक्षा करने की वजह से कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर हैं।

हड़ताली मंत्रालयिक कर्मचारियो ने जिला कलेक्ट्रेट, तहसील, खंड आदि पर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन दिया।

उपेक्षित रखने से कर्मचारी क्षुब्ध

मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन मे लिखा है कि 14 सितम्बर 2021 को राज्य सरकार एंव महासंघ के साथ हुऐ लिखित समझोते की पूर्ण पालना नही होने एवं 3 फरवरी को बजट पूर्व ध्यानाकर्षण महारैली के माध्यम से मंत्रालयिक कर्मचारियों की पीडा से अवगत कराने के बाबजूद महासंघ की महत्वपूर्ण वित्तीय मांगो को बजट घोषणाओं मे भी उपेक्षित रखने से कर्मचारी महासंघ क्षुब्ध है।

जिस पर महासंघ के आह्वान पर 10 अप्रैल से सभी पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी अनिश्चित कालीन सामूहिक अवकाश पर रहते हुए 17 अप्रैल को जयपुर मे आयोजित महापडाव मे सम्मिलित होगे।

सरकार वादाखिलाफी कर रही है

ज्ञापन में बताया कि वह सचिवालय के कर्मचारियों के समान काम करते हैं। इसके बावजूद उनको समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा भी कई समस्याएं है, जिन पर सरकार वादा खिलाफी कर रही है। पिछली बार बीजेपी की सरकार ने कनिष्ठ लिपिक का जो वेतनमान घटाया था। उसको फिर से बढ़ाया जाने समेत 9 सूत्रीय मांगें हैं।

आप मांगते मांगते थक जाओगे मैं देते-देते नहीं थकूंगा -सीएम

ज्ञापन में लिखा है कि उपरोक्त विषयान्तर्गत महासंघ के मांगपत्र की प्रति परिशिष्ट-1 पर संलग्न कर आपका ध्यान सरकार एवं महासंघ के मध्य हुए लिखित समझौता 14 सितम्बर 2021 (परिशिष्ट-2 ) की ओर कृष्ट कराया जाता है, जिसकी पूर्ण पालना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के पश्चात भी अभी नही हुई है।

उल्लेखनीय है कि महासंघ द्वारा समय-समय पर विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है परन्तु खेद का विषय है कि विगत 25 वर्षों से लंबित मांगों पर भी हित में कोई निर्णय अब तक नहीं लिया गया है।

जबकि समकक्ष संवर्ग बजट घोषणाओं में मंत्रालयिक कर्मचारियों की उपेक्षा से क्षुब्ध होकर महासंघ ने एकबारगी फरवरी में जारी आधे दिन का कार्य बहिष्कार कर इस आशा से स्थगित कर दिया था कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा कई मौकों पर यह वक्तव्य दिया गया है कि आप मांगते मांगते थक जाओगे मैं देते-देते नहीं थकूंगा।

महोदय, यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मंत्रालयिक कर्मचारी कुछ भी अतिरिक्त नही मांग रहा था‌। अपितु केवल अपने संवर्ग के प्रति न्याय मांग रहा था, जिसे भी अनसुना कर दिया गया।

अब आंदोलन ही रास्ता

अतः अब आंदोलन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होने से महासंघ की बैठक दिनांक 19 मार्च 2023 लिये गये निर्णयानुसार प्रदेश के एक लाख मंत्रालयिक कर्मचारियों के आंदोलन की घोषणा है।

मांगें मनवाने के लिए मंत्रालयिक कर्मचारी 16 अप्रैल तक काम का सामूहिक बहिष्कार कर हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 17 अप्रैल को जयपुर में प्रदेशभर के साथियों के साथ महापड़ाव डालेंगे।

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