केंद्र सरकार के द्वारा अब बिजली पर भी जीएसटी वसूलने की तैयारी, यूपी में हुई बैठक

electrisiti_gst

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने यूपी के आधिकारियों के साथ की चर्चा। ज्ञात हो कि पहले ही 5 से 7.5 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के तौर पर वसूल किया जा रहा है। अब जीएसटी से बिजली और भी महंगी हो जाएगी।

पेट्रोल डीजल की तर्ज पर केंद्र सरकार बिजली को भी वस्तु एंव सेवा कर (GST) के दायरे में लाने पर जोरदार कोशिश में लगी हुई है। इस बीच ज्यादातर राज्यों के द्वारा इसका विरोध किया गया। उनका कहना था कि जीएसटी से बिजली और भी महंगी हो जाएगी।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में पहले ही 5 से 7.5 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के तौर पर उपभोक्ताओं से वसूल किया जा रहा है। जीएसटी से बिजली और महंगी होने की संभावना चलते आने से पहले इसका विरोध शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विरोध में पत्र लिखा है।

केंद्र सरकार का बिजली पर जीएसटी का प्रस्ताव तैयार

गौरतलब है कि मौजूदा समय में बिजली उपभोक्ता जीएसटी के दायरे में नहीं हैं। केंद्र सरकार का बिजली को जीएसटी दायरे में लाने वाला प्रस्ताव तैयार है। इस प्रस्ताव का अंतिम रूप देने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ बैठकों का दौर कर रही है और यह राज्य सरकारों से राय ले रही है।

इसी संदर्भ में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सिंह बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये यूपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस प्रस्ताव पर चर्जा की। आधिकारियों ने अपनी आपत्ति जताई। इससे पहले कई राज्य जीएसटी दायरे में बिजली आने से विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार के चलते विरोध दर्ज करा चुके हैं।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने की बैठक

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने 29 मार्च की शाम उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इस दौरान उन्होंने बिजली बिल पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने यूपी के अधिकारियों का मत पूछा और कई विकल्पों पर चर्चा की।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय चाहता है कि पहले चरण में वाणिज्यिक और औद्योगिक सेक्टर के विद्युत उपभोक्ताओं को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इस पर भी राज्यों से राय ली जा रही है।

हालांकि कांफ्रेंस के दौरान उत्तर प्रदेश ने इस प्रस्ताव पर असहमति जताई है। अफसरों ने तर्क दिया है कि विद्युत निगमों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाए। फिर इस पर बात होगी। जीएसटी लगाने के नफा और नुकसान दोनों का मूल्यांकन करना होगा।

हुआ विरोध

दरअसल, बिजली उपभोक्ता पहले से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के तौर पर 5 से 7.5 फीसदी का चर्जा दे रहे हैं। ऐसे अगर बिजली जीएसटी दायरे में आ जाती है तो और अधिक महंगी हो जाएगी, जिस वजह अधिकतर राज्य केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।

जीएसटी से बिजली महंगे की आशंका के चलते उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की। जबकि ऊर्जा विभाग के अफसरों ने तर्क दिया है कि जीएसटी लगाने से पहले सभी निगमों की स्थिति का मूल्यांकन जरूरी है।

ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि केंद्र ने अभी इस विचार पर सुझाव मांगा है। लागू करने की प्रक्रिया लंबी होती है। उपभोक्ताओं की स्थिति बताते हुए इस पर विस्तार से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह भी देखा जाएगा यदि जीएसटी बिजली बिल में शामिल हो गया तो कितना भार पड़ेगा। वसूली न होने की स्थिति में बिजली कंपनियों पर भार बढ़ेगा तो उसकी भरपाई कैसे होगी? इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। इसके बाद ही कोई फैसला होगा।

https://mehnatkash.in/2023/01/12/uttar-pradesh-big-shock-to-consumers-in-the-new-year-proposal-for-bumper-increase-in-electricity-bills/

उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जीएसटी पर विभागीय अधिकारियों द्वारा आपत्ति जताने पर आभार जताया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के जरिए उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा।

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताया है कि प्रदेश के 3.26 करोड़ बिजली उपभोक्ता पांच से 7.59 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी देते हैं। इस वर्ष इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के रूप में 3032 करोड़ रुपये राज्य सरकार को दिया है। ऐसे में केंद्र ने जीएसटी लगाया तो उपभोक्ताओं की स्थिति खराब हो जाएगी।

उन्होंने सुझाव दिया है कि उपभोक्ताओं पर नए कर लगाने के बजाय खर्चे कम किए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि जबरदस्ती जीएसटी लगाने का प्रयास किया गया तो उपभोक्ताओं के हक पर हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

https://mehnatkash.in/2022/06/20/in-yogi-raj-preparations-are-complete-to-make-electricity-expensive-from-the-door-of-the-thief/

योगी सरकार द्वारा बिजली बिल बढ़ाने का प्रस्ताव

योगी सरकार इस साल बिजली की दरों में 18 से लेकर 23 फीसदी तक बढ़ोतरी की तैयारी में है। इस बाबत बिजली कंपनियों ने जनवरी में विद्युत नियामक आयोग को एक प्रस्‍ताव भी सौंपा है, जिसमें बिजली की औसत दर 15.85 फीसदी बढ़ाने का सुझाव दिया है।

बिजली कंपनियों की ओर से सौंपे गए उक्त प्रस्‍ताव में घरेलू उपभोक्‍ताओं की बिजली दरों में 18 से 23 फीसदी की बढ़ोतरी करने, जबकि उद्योगों के लिए 16 फीसदी और खेती-किसानी के लिए 10 से 12 फीसदी बिजली की दर बढ़ाने का सुझाव है। सरकार ने एक किलोवॉट बिजली लोड और हर महीने 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्‍ताओं के लिए दरें 17 फीसदी बढ़ाने की बात कही है।

यही नहीं, मौजूदा समय नई कॉलोनियों में बिजली सप्लाई की व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश में कनेक्शन लेने के लिए ट्रांसफार्मर से लेकर पोल तक का पैसा उपभोक्ताओं को खुद देना पड़ता है। बिल के अलावा सरचार्ज, मीटर चार्ज आदि के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब पर डकैती लगातार बढ़ रही है। अब जीएसटी के बहाने एक और डकैती की तैयारी जोरों पर है।