वैश्विक छँटनी के साथ गूगल ने भारत में भी अपने 453 कर्मचारियों को किया बर्खास्त

रोजगारविहीन विकास का यह ऐसा दौर है, जब वैश्विक मंदी के बहाने छँटनी का सिलसिला लगातार जारी है। गूगल, डेल, ट्विटर, फ़ेसबुक, ज़ूम, अमेजन व तमाम टेक व ई-कॉमर्स कंपनियां इस दौड़ में हैं।
छँटनी, छँटनी, छँटनी! गूगल, फेसबुक, ट्विटर, अमेजन, डेल, जूम समेत तमाम बड़ी फर्मों से कर्मचारियों की ताबड़तोड़ छंटनी जारी है। इस दौड़ में शामिल गूगल ने बीते दिनों वैश्विक स्तर पर 12000 कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया था। अब गूगल ने भारत में अपने 453 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
इससे पूर्व भारत में BYJU’S, अनअकैडमी और वेदांतु जैसी एडटेक कंपनियों के नेतृत्व में लगभग 44 स्टार्टअप्स द्वारा लगभग 16,000 कर्मचारियों की निकाला जा चुका है।
गूगल ने मेल द्वारा दी निकालने की सूचना
बिजनेस टुडे पर छपी बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार 453 भारतीय कर्मचारियों के निकाले जाने की कार्रवाई गुरुवार रात की गई और मेल के जरिए जानकारी दी गई है। इस मेल को गूगल इंडिया के कंट्री हेड और वाइस प्रेसिडेंट संजय गुप्ता की ओर से भेजा गया है।
इस मेल में छंटनी के फैसले पर गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के सीईओ भारतीय मूल के सुंदर पिचाई की सहमति का जिक्र भी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल में छंटनी के कई कारण गिनाए गए हैं और सुंदर पिचाई इन सभी फैसलों की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए सहमत हो गए हैं।
साल की शुरुआत यानी जनवरी 2023 में ही गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई द्वारा भेजे गए नोट में उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका के बाहर गूगल के निकाले गए कर्मचारियों को स्थानीय नियमों के मुताबिक सपोर्ट मिलेगा।
और कितने कर्मियों की होगी छँटनी?
ज्ञात हो कि पिछले महीने ही गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक ने घोषणा की थी कि करीब 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी। ये छंटनी वैश्विक स्तर पर कंपनी के कुल हेडकाउंट का लगभग 6 फीसदी होता है।
लेकिन यह साफ नहीं है कि भारत में 453 कर्मचारियों की गई ये छंटनी भी इसी आंकड़े में शामिल है या फिर देश में कंपनी ने छंटनी का नया दौर शुरू कर दिया है। अभी तक ये भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि वैश्विक स्तर पर कितने कर्मचारी प्रभावित हुए हैं, या होंगे।
ताबड़तोड़ छंटनी का दौर
मंदी के खतरे के बीच कॉस्ट कटिंग का हवाला देते हुए दुनिया की दिग्गज कंपनियों में छंटनी की होड लगी है और इसमें टेक कंपनियां सबसे आगे नजर आ रही हैं। दुनिया भर में कम से कम 853 टेक्नोलॉजी कंपनियों ने बीते वर्ष लगभग 137,492 श्रमिकों की छंटनी की है।
छंटनी की रेस में गूगल के अलावा ट्विटर, फेसबुक, ज़ूम, पेप्सिको, एचपी, माइक्रोसॉफ्ट, ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन, अलीबाबा, वॉलमार्ट समेत अन्य कई नाम शामिल हैं।
गूगल वैश्विक स्तर पर 12000 कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया था। अब भारत में अपने 453 कर्मचारियों की छँटनी की है।
गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट की प्रतिस्पर्धी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने 10,000 कर्मचारियों को बाहर निकालने का ऐलान किया। पेप्सिको में भी 100 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की खबर आई थी।
ट्विटर ने करीब 50% कर्मचारियों को निकाला है, जो लगभग 3500 है।
मेटा प्लेटफॉर्म्स के तहत आने वाले फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप में कर्मचारियों की छंटनी की है। फेसबुक ने पहले 11,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया और अभी भी हजारों कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटकी हुई है।
अमेजन ने अपनी श्रम शक्ति में 18,000 कर्मचारियों की कटौती का फैसला लिया। कम्प्यूटर वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन की करीब 20 हजार कर्मचारियों की छंटनी की योजना है।
लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफ्रैक्चरर एचपी इंक हैवलेट पैकर्ड) लगभग 6,000 श्रमिकों को निकालने की तैयारी में है।
अमेरिकी वीडियो कॉल सेवा प्रदाता टेक कंपनी ज़ूम (Zoom) ने 1300 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है।
यूएस टेक सेक्टर में 73,000 से अधिक कर्मचारियों को निकाला।
भारत में छँटनी का दौर
अभी गूगल ने भारत में अपने 453 कर्मचारियों को निकाल दिया है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर ट्विटर, फेसबुक, ज़ूम, पेप्सिको, एचपी, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, ज़ूम आदि में जारी छँटनी का प्रभाव भी भारत में पड़ा है।
कोविड पाबंदियों के बाद से ऑटो सेक्टर सहित तमाम उद्योगों; ओला, उबर, जोमाइटों आदि विभिन्न क्षेत्र में छँटनी स्थाई रूप लेता जा रहा है। ज्यादातर भर्तियाँ बंद हैं।
भारत में लगभग 16,000 कर्मचारियों की BYJU’S, अनअकैडमी और वेदांतु जैसी एडटेक कंपनियों के नेतृत्व में लगभग 44 स्टार्टअप्स द्वारा निकाला गया है।
भारत में कर्मचारियों की छंटनी करने वाले अन्य टेक स्टार्टअप और यूनिकॉर्न में ओला, कार्स24, मीशो, लीड, एमपीएल, इनोवैकर, उड़ान जैसी कंपनियां शामिल हैं।
इस बीच हजारों संविदा कर्मचारियों को भी निकाल दिया गया है, जो क्रम अभी भी जारी है।
अंध मुनाफी की दौड़ में रोजगारविहीन विकास का यह ऐसा दौर है, जब दुनिया भर में मंदी के बहाने छंटनी का सिलसिला लगातार जारी है।