डायडो मजदूर यूनियन नीमराना ने आज दिनाक 22.07.2022 को यूनियन का पंजीकरण हुऐ एक साल पूरा हो जाने पर स्थापना दिवस के रुप में मनाया गया जिसमे मंच संचालन महासचिव अमित कुमार ने किया और सभा की अध्यक्षता रुचिस बेवरेजस यूनियन के उपाध्यक्ष जीएस वर्मा जी ने की । यूनियन की स्थापना और संघर्ष के एक साल पूरे होने पर इलाके के मज़दूर प्रतिरोध और भविष्य में संघर्ष को लेकर विचार विमर्श और मंथन किया गया।

पिछले एक साल के दौरान यूनियन के मांगपत्र और यूनियन की मान्यता को लेकर श्रम विभाग में लगातार द्विपक्षीय वार्ता होने पर भी कोई समाधान नहीं हुआ और श्रम विभाग की मिली – भगत से कंपनी प्रबंधक लगातार मनमर्जी करता रहा और प्रबंधन के इशारे पर स्थानीय पुलिस प्रशासन ने यूनियन के पदाधिकारियों और श्रमिकों के खिलाफ़ कई झूठे केस दर्ज़ किए मगर संघर्षशील साथियों ने हार नहीं मानी।

प्रबंधन यूनियन को तोड़ने के लिए यूनियन में शामिल मज़दूरों को लगातार डराता धमकाता रहा और लालच देता रहा और कुछ बन्दों को छोड़कर किसी का कोई इंक्रीमेंट नहीं किया गया। यूनियन के अध्यक्ष सहित 8 श्रमिकों को मनमाने तरीके से झूठे आरोप लगाकर नौकरी से निकाल दिया गया और अब भी लगातार किसी न किसी यूनियन सदस्य को प्रबंधन झूठे आरोप पत्र दे रहा है। मगर विपरीत परिस्थितियों में भी यूनियन के सदस्य डटे हुए हैं।
इसके साथ साथ नए लेबर कोड पर बात की गई कि कैसे नए लेबर कोड आने पर मजदूरों का और शोषण तेज हो जाएगा, स्थाई नौकरी करना और बचाना, यूनियन बनाना और चलाना मुश्किल हो जाएगा।नीम ट्रेनी, एफटीसी, डीटी और अप्रेंटिस के नाम पर मजदूरों से बंधुआ मज़दूरी करवाई जाएगी। चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि परमानेंट और ठेका मज़दूर की एकता के बिना और इलाक़े के स्तर पर श्रमिकों को संगठित किए बिना और एकता कायम किए बिना एक प्लांट की यूनियन को भी बचा पाना संभव नहीं होगा।

चर्चा में यह बात भी सामने आई कि यूनियन की गतिविधियों में शामिल होने के बाद सभी साथियों की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर, समाज में मजदूरों की भूमिका और योगदान को लेकर, पूंजीवादी व्यवस्था में मुनाफे के षडयंत्र और अपने अधिकारों की लड़ाई को लेकर, सजगता बढ़ी है व समझदारी में विकास हुआ है और पुलिस प्रशासन का बेवजह भय भी कम हुआ है।
सभा में उपस्थित साथियों में अनमोल त्रिपाठी अध्यक्ष ,विजेंद्र सिंह उपाध्यक्ष, प्रवीण कुमार कोषाध्यक्ष, अमित कुमार महासचिव , रूचीस बेवरेज से झूंठा राम सैनी जी, जीएस वर्मा, कैलाश, संजीव ,विकास, मनोज, धनजी, सौरव और सभी साथी मौजूद थे। सभी ने अपने अपने अनुभव से बात रखी और सुझाव दिया कि हम संगठन में रहकर ही कुछ पा सकते हैं और शोषण दमन का सामना कर सकते हैं, यूनियन को कोई दूसरा विकल्प नहीं है इसलिए यूनियन के जरिए अपने श्रम अधिकारों और राजनीतिक अधिकारों की लड़ाई को जारी रखना होगा।