जीएसटी लागू होने से पहले ही आटा-दाल-चावल-चीनी पर महँगाई की जोरदार मार

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एक सप्ताह के भीतर खाद्य पदार्थों की कीमत में 10 फीसदी की तेजी के साथ रसोई के सामान की कीमतों में भारी इजाफा हुआ। जीएसटी लागू हो जाने के बाद दाम और बढ़ जाएंगे।

लखनऊ। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने से आम आदमी का बजट बिगड़ने लगा है। बीते एक सप्ताह के भीतर खाद्य पदार्थों की कीमत में करीब 10 फीसदी की तेजी देखी गई है। वजह बताई जा रही है कि गैर ब्रांडेड आटा-चावल जीएसटी के दायरे में लाने से जमाखोरी शुरू हो गई है। आवक कमजोर होने के कारण रेट बढ़ गए। व्यापारी रेट बढ़ने की वजह कमजोर उत्पादन बता रहे हैं। हालांकि खाद्य तेलों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ा है।

जीएसटी लागू होने से पहले ही आटा मिलरों ने 100-150 रुपए कुंतल तक दाम बढ़ा दिए हैं। लखनऊ में 2350 से 2500 रुपए प्रति कुंतल मिलने वाला गैर ब्रांडेड आटा बढ़कर 2450 से 2550 कुंतल पर आ गया है। सामान्य चावल के खुदरा दाम में तीन रुपए किलो का उछाल देखा गया है। व्यापारी आशंका जता रहे हैं कि जीएसटी लागू हो जाने के बाद दाम पांच से छह रुपये किलो और बढ़ जाएंगे।

पूर्व से लेकर पश्चिम तक महंगाई का असर है। प्रयागराज में आटा 2500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि मैदा 2550 रुपये हो गया है। गोरखपुर, वाराणसी और कानपुर में भी आटा व सूजी 150 रुपये कुंतल तक महंगा हो गया है। कानपुर में अरहर की दाल भी 8800 रुपये से बढ़कर 9100 रुपये प्रति कुंतल हो गई है।

5500 रुपये कुंतल वाले चावल की कीमत भी 80 से 100 रुपये प्रति कुंतल तक बढ़ गई है। मुरादाबाद में आटे की कीमत लगभग 100 रुपये प्रति कुंतल तक उछल गई है। अमरोहा में आटा बीते तीन दिनों में 200 रुपये तो संभल में 90 रुपये कुंतल तक महंगा हो गया है। गेहूं का दाम जाड़ों तक बढ़ने की आशंका है। रूस और यूक्रेन के युद्ध का असर गेहूं खरीद पर जबर्दस्त पड़ा है।

जमाखोरी पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। सरकार हर खाद्यान्न की लिमिट तय करती है कि कितना खाद्यान्न छोटे से बड़े व्यापारी जमा कर सकते हैं। गेहूं को लेकर अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है। जुलाई 2021 में दाल की जमाखोरी को लेकर केन्द्र सरकार ने छापामारी का अभियान चलाया था। छापेमारी का अभियान केन्द्र सरकार की अधिसूचना के बाद ही चलाया जा सकता है। लिमिट से ज्यादा खाद्यान्न रखने की शिकायत या सूचना पर राज्य सरकार छापा मार सकती है।

लखनऊ दाल एंड मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, भारत भूषण गुप्ता ने कहा कि लखनऊ में दालों की आपूर्ति महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश से होती है। कमजोर फसल व विदेशी स्टॉक कम होने से आपूर्ति घटी है। वहीं लखनऊ व्यापार मंडल, अध्यक्ष, राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि आवक कमजोर होने के कारण दालों के दाम बढ़े हैं। दाल फुटकर में पांच से सात रुपये प्रति किलो महंगी हुई है। जीएसटी लागू होने के बाद दाम और बढ़ेंगे।