संघर्ष से जीत: इंटरार्क में अवैध तालाबंदी समाप्त; अंतिम जीत तक आंदोलन रहेगा जारी

बर्खास्त-निलंबित मज़दूरों की कार्यबहाली, माँगपत्रों पर समझौता सहित कई अहम मुद्दों पर संघर्ष के साथ 14 जुलाई को मज़दूर-किसान पंचायत होगी। उधर इंटरार्क मजदूरों के बच्चों ने कथित बाल हनन मुक़दमें पर रोष जताया है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इंटरार्क प्रबंधन द्वारा पंतनगर प्लांट में किए गए अवैध तालाबंदी के खिलाफ मज़दूरों की अहम जीत हुई है। लगातार संघर्ष के बीच प्रबंधन ने सोमवार को अचानक तालाबंदी समाप्त करके बुधवार से मजदूरों को काम पर बुलाने का नोटिस लगा दिया है।
हालांकि प्रबंधन ने प्लांट में तालाबंदी की तरह फिर मनमानी करते हुए यूनियन से इसपर कोई चर्चा नहीं की। बकाया वेतन और अन्य न्यायपूर्ण माँगों की भी कोई चर्चा नहीं की है, जिसपर मज़दूरों में आक्रोश बरकरार है और आंदोलन जारी रहेगा। 14 जुलाई को किच्छा धरना स्थल पर मज़दूर-किसान महा पंचायत की तैयारी भी जोरों पर है।
दूसरी ओर तीखे आंदोलन के बीच बाल पंचायत व बाल सत्याग्रह के नाम पर छोटे बच्चों से धरना प्रदर्शन कराने का कथित मामला बनाकर श्रमिक नेताओं के खिलाफ सहायक श्रमायुक्त द्वारा पंतनगर थाने में मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ मजदूरों के बच्चों ने कुमाऊँ आयुक्त नैनीताल और राज्य के पुलिस प्रमुख से शिकायत दर्ज कराकर न्याय की गुहार लगाई है।

11 महीने से संघर्ष जारी
उल्लेखनीय है कि इंटरार्क बिल्डिंग प्रोड्क्टस प्राइवेट लिमिटेड के पंतनगर व किच्छा प्लांटों के मज़दूर गैरक़ानूनी निलंबन, बर्खास्तगी, माँग पत्रों के समाधान, श्रम कानूनों के अनुपालन और यूनियनों को मान्यता देने आदि माँगों के साथ करीब 11 महीने से दोनों प्लांटों के गेट पर लगातार धरनारत हैं। इस बीच बौखलाए प्रबंधन ने 16 मार्च को पंतनगर स्थित प्लांट में गैरकानूनी तालाबंदी कर दी थी।
मालिक गैरकानूनी तरीके से कच्चे माल व मशीनों को दो नम्बरी तरीके से प्लांट से बाहर भेजकर व कंपनी को बंद कर वहां कार्यरत करीब 1000 मजदूरों को नौकरी से निकालने की साजिश रचता रहा।
इस बीच हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में बीते 30 मई को उत्तराखंड शासन ने इंटरार्क प्रबंधन द्वारा पंतनगर में की गई तालाबंदी को अविधिक घोषित कर दिया था। लगातार संघर्ष और बाल पंचायतों के दबाव में एएलसी ने बकाया वेतन की आरसी काट दी थी, जो अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
कथित बाल हनन के बहाने आंदोलनकारी नेताओं पर मुक़दमा
हक़ के लिए अपने पिता संग संघर्ष में उतरे बच्चों से घबड़ाये प्रशासन ने आंदोलन दबाने का कुचक्र रचा। बाल पंचायत व बाल सत्याग्रह के नाम पर छोटे बच्चों से धरना प्रदर्शन कराने के कथित आरोप में श्रमिक नेताओं के खिलाफ सहायक श्रमायुक्त ने पंतनगर थाने में यह मुकदमा दर्ज कराया है।
एएलसी द्वारा दिए गए इस तहरीर में इल्जाम लगाया गया है कि गत 29 जून को कार्यालय उप श्रम आयुक्त, उधमसिहनगर परिसर में काफी संख्या में लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन, बाल पंचायत, बाल सत्याग्रह किया गया। जिसमे मीडिया के माध्यम से दलजीत सिंह अध्यक्ष इंटरार्क मजदूर संगठन पंतनगर, पान मोहम्मद इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा, कैलाश भट्ट व सुबत कुमार विश्वास का नाम सामने आया है। इनके द्वारा कार्यालय परिसर में बच्चों को सामने रखकर बाल पंचायत व बाल सत्याग्रह कर बच्चों से लम्बे समय तक नारे लगाये और तेज धूप तथा शाम को तेज बारिश के बावजूद बच्चों के हाथ में नारे लिखित तख्तियों देकर उनको खड़ा रखा गया। इन व्यक्तियों द्वारा अपने बालकों का भारसाधक होते हुये इस प्रकार के कृत्य कराये जाना न्यायोचित नहीं है। जिससे बच्चों के मानसिक शारीरिक कष्ट होने से उनके अधिकारों के हनन दिखायी देता है।
हालांकि बाल हनन की बात करने वाला प्रशासन बच्चों की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं है। डीएम से मिलने गए बच्चों से डीएम महोदय मिलना तक मुनासिब नहीं समझे। उलटे आंदोलन के नेतृत्व पर मुकदमा ठोंक दिया।

मज़दूरों के बच्चों ने अधिकारियों से जताया रोष
इंटरार्क कंपनी के मजदूरों के बच्चे सोमवार को कुमाऊँ आयुक्त नैनीताल से मिले और कहा कि इंटरार्क कंपनी प्रबन्धन द्वारा अवैध कार्यवाहियों तथा अन्याय अत्यचार से पीड़ित मजदूरों के हम बच्चों द्वारा बाल सत्याग्रह किया जा रहा है। जो कि हमारा लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकार है।
किन्तु एएलसी रुद्रपुर व प्रेमलता सिंह आदि द्वारा हम बच्चों के आंदोलन को बदनाम करने और हमारा मनोबल तोड़ने के उद्देश्य से हमारे सहयोगियों के विरुद्ध पन्तनगर थाने में एवं सिडकुल पन्तनगर चौकी में झूठी शिकायत कर झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर एवं खबर को लगातार दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित कर हमें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जा रहा है। जो कि हम बच्चों के बाल अधिकारों का खुला हनन है औऱ घोर मानसिक उत्पीड़न है। यह यूएनसीआरसी (बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र का कन्वेन्शन) के घोषणा पत्र, संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय संधि का भी खुला उल्लंघन है, जिसके प्रति हमारा भारत देश भी प्रतिबद्ध है। साथ ही भारतीय संविधान की भी घोर अवमानना है, जिसमें बच्चों को भी वयस्कों की ही भांति लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त हैं ।
इसके अलावा बच्चों ने सिडकुल पन्तनगर पुलिस चौकी इंचार्ज के माध्यम से पुलिस महानिदेशक (DGP) उत्तराखंड को भी उक्त संदर्भ में ज्ञापन भेजकर तत्काल हस्तक्षेप कर झूठी शिकायत करने वाले लोकसेवको को दंडित करने एवं झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग की।
एसडीएम रुद्रपुर को भी बच्चों ने 6 जुलाई को शायं 5:30 बजे से भगतसिंह चौक, रुद्रपुर में शहीदे आजम भगतसिंह की प्रतिमा के सामने द्वीप प्रज्ज्वलित कर संकल्प सभा की सूचना दी है।
हक़ का संघर्ष रहेगा जारी
इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधम सिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने बताया कि अवैध तालाबंदी खुलने के साथ हमारे संघर्ष से अभी एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है। मज़दूरों के बकाया वेतन भुगतान सहित बाकी मामलों पर तबतक संघर्ष जारी रहेगा जबतक हमारी न्यायपूर्ण सभी माँगें पूर्ण नहीं हो जाती हैं।
यूनियन नेता सौरभ कुमार ने कहा कि 15 दिसंबर 2018 को हुए लिखित समझौते के बावजूद भी 28 बर्खास्त व 4 निलंबित मजदूरों की अब तक भी कार्यबहाली नहीं हुई है। एलटीए व बोनस भी काट दिया गया है। 4 साल से मजदूरों का वेतन भी नहीं बढ़ाया गया है। हमारे माँग पत्रों का समझौता और दोनों प्लांट की यूनियनों की मान्यता का मामला अभी बाकी है।
इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मोहम्मद ने कहा कि विगत तीन माह के भीतर किच्छा प्लांट में 36 मजदूरों को झूठा आरोप लगाकर गैरकानूनी रूप से निलंबित कर दिया गया है। भारी इंजीनियरिंग उद्योग होने के बावजूद किच्छा प्लांट में अवैध रूप से करीब 700 कैजुअल मजदूरों को खतरनाक मशीनों व मुख्य उत्पादन गतिविधियों में नियोजित किया गया है जिससे आये दिन मजदूर विकलांग हो रहे हैं।
बीरेंद्र कुमार ने कहा कि समस्त मज़दूरों की सवेतन कार्यबहाली सहित समस्त विवादित मुद्दों व प्रबंधन की गैरक़ानूनी कृत्यों पर कार्यवाही का संघर्ष अभी जारी है। 14 जुलाई, 2022 को किच्छा प्लांट स्थित धरना स्थल पर विशाल मज़दूर-किसान पंचायत में हक़ की आवाज़ बुलंद होगी।