बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के साथियों की रिहाई; जोरदार जुलूस से स्वागत, आंदोलन होगा तेज

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प्रशासन को चेतावनी दी की हम फर्जी मुकदमों और गिरफ्तारियों से डरने वाले नहीं है। बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की कल बैठक कर आगामी रणनीति तय करने की योजना बनाई जायेगी।

हनुमानगढ़ (राजस्थान)। बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के गिरफ्तार साथियों को 4 दिन बाद जमानत मिल गई। 28 मई को बहुत बड़ी संख्या में प्रशासन ने क्रूर और अमानवीय कार्यवाही करते हुए नेठराना गांव में आम जनता के सैकड़ों कनेक्शन काटे थे और बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के दो सदस्यों को शैलेन्द्र व संदीप को गिरफ्तार कर लिया था।

प्रशासन ने पहले इनको धारा 151 में पकड़ा था लेकिन जैसे ही 151 में जमानत मिली उनको दोबारा दूसरे मुकदमे में गिरफ्तार कर लिया था।

आज मंगलवार को बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के साथियों को जमानत मिली तो पूरे इलाके में उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो गई। शाम को जैसे ही साथी गांव की सीमा में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण उनके सामने स्वागत के लिए पहुंच गए। गांव के इंदिरा चौक तक शानदार जुलूस का आयोजन किया।

आम जनता का जोश और हौसला काफी उच्च स्तर था। इंदिरा चौक पर लगभग 1500 की संख्या में ग्रामीणों ने आंदोलन को लगातार चलाने पर सहमति दी। प्रशासन को चेतावनी दी की हम फर्जी मुकदमों और गिरफ्तारियों से डरने वाले नहीं है और आगामी दिनों में आंदोलन की तीव्रता को बढ़ाया जाएगा।

कल बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की बैठक कर आगामी रणनीति तय करने की योजना बनाई जायेगी।

https://mehnatkash.in/2022/05/30/dabang-of-rajasthan-government-condemnable-in-power-cuts-arrests-and-fake-cases/

उल्लेखनीय है कि बिजली आंदोलन के गढ़ नेठराना में 28 मई को प्रशासन बहुत बड़े जाप्ते के साथ आया और सैंकड़ों लोगों के बिजली कनेक्शन काट दिए। प्रशासन ने बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के साथी शैलेंद्र और संदीप को भी गिरफ्तार कर लिया।

दरअसल बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति पिछले तीन साल से निजीकरण, ठेकाप्रथा, नाजायज़ कर, नाजायज शुल्कों के खिलाफ मांगों के साथ-साथ आम गरीब लोगों के हितों की माँग उठाते रहे हैं। यह जनहित और जन अधिकार से जुड़ा राजस्थान का एक महत्वरपूर्ण राजनैतिक जन संघर्ष बन चुका है।

इस संघर्ष द्वारा राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार की उदारवादी जनविरोधी नीतियों के विरोध के साथ-साथ बिजली कंपनियों की मनमानी लूट का भी लगातार विरोध किया गया। यही कारण है कि सरकार दमन पर आमादा है।

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