यमुना नदी ज़हरीले रसायनों को ढोने वाला बजबजाता नाला बनी हुई है -‘यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान’

यमुना नदी में ज्यादा जल छोड़ा जाए तथा सभी नदियों में बगैर ट्रीटमेंट व साफ किए औद्योगिक कचरा, सीवर का पानी व गंदगी डाले जाने को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए।
मथुरा। समाजवादी लोक मंच के नेतृत्व में चलाये जा रहे ‘यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान’ के सदस्यों ने अपनी पांच राज्यों की छह दिवसीय यात्रा (18-22 मई) की समाप्ति के पश्चात 23 मई को मथुरा के होली गेट अग्रवाल धर्मशाला में प्रेस वार्ता में अपने अभियान के अनुभव प्रेस के साथ साझा किए।

अभियान के सदस्यों ने बताया कि यमुनोत्री के साथ हिमालय की असंख्य धाराओं से मिलकर निकलने वाली यमुना नदी का जल हथिनी कुंड बैराज हरियाणा तक निर्मल और स्वच्छ दिखाई पड़ता है।
22 मई को जब अभियान की टीम ने हथिनी कुंड बैराज का रजिस्टर चैक किया तो जानकारी मिली कि रात्रि के 1 बजे 4575 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया जिसमें से मात्र 352 क्यूसेक पानी ही यमुना के लिए छोड़ा गया। शेष पानी हरियाणा नहर के लिए 3254 क्यूसेक व 969 क्यूसेक सहारनपुर नहर में डाल दिया गया।
यमुना में छोड़े गए पानी को दिल्ली के वजीराबाद में बैराज बनाकर रोक लिया गया है वहां पर इस पानी को फिल्टर करके दिल्ली के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वजीराबाद बैराज के आगे ही बड़े-बड़े नाले उसमें से उड़ते हुए झाग और बर्दाश्त से बाहर बदबू भरा प्रदूषित पानी यमुना में गिरते हुए देखा जा सकता है।
दिल्ली के दूसरे छोर ओखला बैराज से पहले हिंडन नदी के रूप में एक गंदा नाला यमुना में आकर मिल रहा है। वहां के कर्मचारियों ने रजिस्टर तो नहीं दिखाया परंतु बताया कि 352 क्यूसेक पानी आगे के लिए छोड़ा जा रहा है।

जमुना को साफ करने के लिए पिछले 30 वर्षों में खर्च किए गए 7000 करोड रुपयों में से नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत यमुना प्रदूषण खत्म करने के नाम पर आबंटित 3941 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा यमुना नदी में जो औद्योगिक कचरा व सीवर की गंदगी को डाला जा रहा है उनके ट्रीटमेंट में खर्च किया जा रहा है। दिल्ली के बाद यमुना में प्राकृतिक पानी की उपस्थिति लगभग नगण्य हो चुकी है।
अभियान के सदस्यों ने यमुना में छोड़े जा रहे जल को बेहद कम बताते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली कि केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि यमुना नदी में ज्यादा जल छोड़ा जाए तथा समेत देश की सभी नदियों में बगैर ट्रीटमेंट व साफ किए औद्योगिक कचरा, सीवर का पानी व गंदगी डाले जाने को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए।
अभियान के सदस्यों ने यमुना नदी में लगाई जा रही व्यासी जल विद्युत परियोजना में डुबो दिए गए लोहारी गांव के लोगों से मुलाकात की तथा सरकार से उन्हें जमीन व मुआवजा दिए जाने की मांग की।
दल के सदस्यों ने बड़कोट के तिलाड़ी मैदान पहुंचकर 1930 मैं राजा नरेंद्र शाह की गोलीबारी में शहीद हुए तिलाड़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
यमुनोत्री से मथुरा के बीच में 2 दर्जन से भी अधिक सभाएं व पर्चा वितरण कर जनता के साथ व्यापक रूप से जनसंपर्क भी किया।
यमुनोत्री कालसी, पौंटा साहिब, हथिनी कुंड बैराज, दिल्ली के वजीराबाद, ओखला व मथुरा आदि स्थानों से जल के नमूने भी एकत्र किए गए जिन्हें लेबोरेटरी में टेस्ट कराया जाएगा।
मंच के अनुसार आज सच्चाई यह है कि मथुरा तक जो जल यमुना में पहुंच रहा है वह ना तो पीने लायक है और ना ही नहाने लायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने यमुना को शुद्ध बनाए जाने को लेकर जितने भी वादे किए हैं वह सब झूठे साबित हुए हैं।
यमुना नदी के किनारे बसे होने की वजह से मथुरा वासियों व इस नदी के किनारे बसे अन्य बस्तियों के लिये यमुना का प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बना हुआ है।
इस अभियान के तहत इस यात्रा से पहले महीने भर से मथुरा में पर्चे बाँटने, जन सभायें करने के माध्यम से लोगों के बीच यमुना के मुद्दे पर संवाद क़ायम किया गया। इस यात्रा के तहत यमुना को प्रदूषित करने वाले स्रोतों को चिन्हित किया गया। लोगों को एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज़ उठाने को प्रेरित किया गया।
7 हज़ार करोड़ रुपये की धनराशि किसी भी नदी के कायापलट करने के लिये काफ़ी हैं। अगर सरकारों की दृढ़ इच्छा शक्ति होती तो इतने पैसे में यमुना ही नहीं बल्कि और भी कई नदियों को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है। पर यमुना की स्थिति जस की तस बनी हुई है, आज भी यमुना नदी ज़हरीले रसायनों व अन्य गंदगियों को ढोने वाला एक बजबजाता नाला बनी हुई है।
धार्मिक प्रतीकों पर राजनीति करने वाली भाजपा सरकार भी इस नदी को साफ़ करने के नाम पर क़रीब 4 हज़ार करोड़ रुपये स्वाहा कर चुकी है, इस सफ़ाई अभियान के नाम पर करोड़ों रुपये प्रचार के नाम पर खर्च कर चुकी है लेकिन कोई भी सरकार इस प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार कारख़ानों व यमुना में गंदे नाले छोड़ने वाले नगर निकायों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने का कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रही है।
गंगा-यमुना के सफ़ाई के नाम पर ख़ूब वोट बटोरे जाते रहे हैं, इनकी सफ़ाई के नाम पर बड़े बड़े चुनावी वादे किये जाते रहे हैं पर फिर भी ये नदियाँ अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं।इन नदियों पर निर्भर करोड़ों लोगों की आबादी गम्भीर बीमारियों के शिकार हो रही है। इन नदियों के विषैले पानी के सिंचाई के लिये इस्तेमाल करने से उपजाये जाने वाले सब्ज़ियों-फसलों के माध्यम से और भी बड़ी आबादी ज़हर गटकने को मजबूर है।
यमुना प्रदूषण मुक्ति जन-अभियान का उद्देश्य इन मुद्दों को सामने लाकर, इन पर जन गोलबंदी कर, सरकारों पर यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिये उचित कदम उठाने का दबाव बनाना है।
इस अभियान का दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी है कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर खड़े किये गये विवाद को संघ-भाजपा हवा देकर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ना चाहते हैं। वहीं इस अभियान से जुड़े लोग उनके साम्प्रदायिक एजेंडे के बरक्स यमुना प्रदूषण मुक्ति का असल मुद्दा उठाकर जनता को असली मुद्दों के साथ लामबंद करने का प्रयास करेंगे, भाजपा-संघियों के यमुना सफ़ाई के प्रति ग़ैर ज़िम्मेदाराना व्यवहार को जनता के सामने लायेंगे।

पत्रकार वार्ता को समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, महिला एकता मंच की कौशल्या, साइंस फॉर सोसाइटी की सदस्य उषा पटवाल ने संबोधित किया। संचालन अभियान के संयोजक सौरभ चतुर्वेदी ने किया।
मथुरा यमुनोत्री मथुरा तक यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान में उक्त साथियों के अतिरिक्त ललिता रावत, सरस्वती जोशी, राजेंद्र सिंह, उपेंद्र नाथ चतुर्वेदी, योगेश सिंह, गोपाल लोदियाल ने भागीदारी की।