जोरदार हुई महापंचायत; सीएम को ज्ञापन देने गए इंटरार्क मज़दूरों की गिरफ़्तारी, प्रतिरोध के बाद रिहाई

मंगलवार, को मजदूर-किसान महापंचायत में जोरदार आवाज बुलंद हुई। तो दूसरे दिन मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने गए मज़दूरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर नापाक इरादे जताए।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। जोरदार मजदूर-किसान पंचायत के अगले दिन आज (27 अप्रैल को) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रुद्रपुर आगमन पर ज्ञापन देने जा रहे इंटरार्क मजदूर संगठन पंतनगर के अध्यक्ष सहित 16 श्रमिकों को पुलिस ने बदसलूकी के साथ गिरफ्तार कर रुद्रपुर के रमपुरा चौकी में बंद कर दिया।
इसके विरोध में आनन-फानन में भारी संख्या में मज़दूर परिवारों सहित इंटरार्क धरना स्थल सिड़कुल पंतनगर में एकत्रित हो गए और चेतावनी दी कि यदि तत्काल रिहाई नहीं हुई तो मज़दूर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर देंगे।

मज़दूरों ने कहा कि यह देखो पूरी राजशाही और तानाशाही चल रही है, वे लोकतंत्र की हत्या में लगे हैं। पूरी तरह लोकतंत्र को परवान चढ़ायें हुए हैं। पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद। सूबे की सरकार मुर्दाबाद।
इस दबाव में पुलिस ने सभी मज़दूरों को रात में रिहा कर दिया।
जोरदार रही मज़दूर-किसान महापंचायत

ऊधम सिंह नगर जिले के सिड़कुल, पंतनगर में मंगलवार, 26 अप्रैल को आयोजित मजदूर-किसान महापंचायत में मजदूरों और किसानों की एकजुटता देखने को मिली। हजारों किसान और मजदूर पंचायत में पहुंचे। सिडकुल मजदूर किसान जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। सिख संगठनों की ओर से सिडकुल में लंगर की भी व्यवस्था की गई थी।
इस महापंचायत का आह्वान इंटरार्क मज़दूर संगठन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा, ऊधम सिंह नगर और संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त रूप से किया था। इसमें प्रदेश व देश के तमाम किसान व मज़दूर नेता, सिड़कुल पंतनगर के अलावा हरिद्वार, सितरगंज सहित विभिन्न हिस्सों से भारी मात्रा में मज़दूर, महिलायें, छात्र-छात्राएं, बच्चे और जनतान्त्रिक ताक़तें शामिल रहीं।
सिडकुल स्थित पारले चौक पर आयोजित महापंचायत में आवाज उठी कि सरकार व प्रशासन, श्रमिक समस्याओं का हल निकाले, नहीं तो उग्र आंदोलन के लिए श्रमिक बाध्य होंगे। मज़दूरों के समर्थन में हर किसान व किसान नेता रहेगा।
पंचायत के दौरान प्रमुख सचिव को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजकर ठेका प्रथा खत्म कर श्रमिकों को स्थायी करने, न्यूनतम वेतन 25 हजार करने, बोनस और ओवर टाइम का लाभ सभी वर्ग के श्रमिकों को देने, समान काम समान वेतन लागू करने, श्रमिकों पर लगे मुकदमें वापस करने एवं इंटरार्क श्रमिकों की मांगे पूरी करने की मांग की है।

पारित प्रमुख प्रस्ताव
- किसान यूनियनों की ओर से धरनारत इंटरार्क मजदूरों के लिए राशन जुटाया जाएगा।
- सिडकुल में लगे उद्योगों में भारतीय कानून और संविधान को तत्काल लागू कराए जाए।
- इंटरार्क कंपनी की अवैध तालाबंदी समाप्त कर श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली कराई जाए।
- 20 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे करोलिया लाइटिंग के मजदूरों की प्राण रक्षा करने के लिए शासन-प्रशासन तत्काल कार्यवाही करें।
- भगवती माइक्रोमैक्स, लुकास टीवीएस समेत सभी संघर्षरत मजदूरों की समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाए।
- किसान नेताओं पर लगाए गए मुकदमे तत्काल वापस ली जाए।
- समस्याओं का समाधान नहीं होने पर क्रांतिकारी शहीद सुखदेव के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर मजदूर किसान सत्याग्रह जन जागरण अभियान के तहत पदयात्रा निकालते हुए कलेक्ट्रेट रुद्रपुर तक मार्च होगा।
- 23 मई तक समस्याओं का समाधान ना होने की स्थिति में 24 मई को शहीदे आजम भगत सिंह के गुरु भाई शहीद करतार सिंह सराभा के जन्म दिवस के अवसर पर इंटरार्क मज़दूरों के धरना स्थल पर सामूहिक उपवास और कलेक्ट्रेट तक पदयात्रा निकाली जाएगी और उसके बाद निर्णायक संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

मज़दूर नेताओं ने कहा-
हमारी सोच अखबार की ओर से गाजियाबाद से आए मज़दूर नेता सुभाष दा ने कहा कि यह लड़ाई मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ है। किसानों की तरह मज़दूरों को भी व्यापक एकता का मंच बनाना होगा, इसके लिए अगुआ मज़दूरों को जिम्मेदारी निभानी होगी।
गुड़गांव से आए बेलेसोनिक यूनियन के अजित ने कहा कि हालात मज़दूरों के खिलाफ हैं। आज 8 घंटे काम और स्थाई होने के अधिकार को भी छीना जा रहा है। चार लेबर कोड मज़दूरों को पूरी तरह से अधिकार विहीन बना देगा।
मज़दूर पत्रिका की ओर से दिल्ली से आए संतोष ने कहा कि मज़दूर-किसान पंचायत का संदेश सांप्रदायिकता के खिलाफ भी चुनौती है।
इन्कलाबी मज़दूर केंद्र के कैलाश भट्ट ने कहा कि यह आर-पार की लड़ाई का समय है। यह महापंचयत प्रशासन के लिए चेतावनी है। मौजूदा अधिकारों को हासिल करने के साथ मज़दूर वर्ग की मुक्ति के लिए संघर्ष को तेज करना होगा।
मज़दूर सहयोग केंद्र के मुकुल ने कहा कि मालिक-सरकार का नापाक गठबंधन हर तरह से मज़दूरों पर हमलावर है। माइक्रोमैक्स का उदाहरण देते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं करावा रहा और इंटरार्क मज़दूरों के दमन पर उतारू है।

किसान नेताओं ने कहा-
किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि महंगाई आम जनता की कमर तोड़ रही है। आय बढ़ नहीं रही और महंगाई पर रोक लगाने में सरकार नाकाम है। श्रमिकों को धरना देते 255 दिन हो गए हैं। शर्म की बात है कि यहां गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं। ऐसा रहा तो गाजीपुर जैसा आंदोलन सिडकुल में होगा।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि मोदी राज में असमानता बेइंतेहा बढ़ गई है। मज़दूरों को पशुओं से बदतर कर दिया गया है। यह लड़ाई केवल मज़दूरों की नहीं, किसानों और देश के सभी पीड़ित जन का है। उन्होंने चेताया कि कहीं यह चिंगारी अंगारा न बन जाए।
तजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि आज पेट की भूख से बड़ा धर्म का नशा हो गया है, जो चुनाव में सामने आया। इससे मज़दूरों को सचेत होना होगा।
धर्मपाल ने कहा कि यह लड़ाई कॉरपोरेट के खिलाफ है। अभी बचाने की लड़ाई है तो वे हमलावर हैं, जिसदिन जनता छीनने की लड़ाई लड़ेगी, वे बचाने की लड़ाई लड़ेंगे।

महापंचायत रोकने की कोशिशें हुईं नाकाम
सिडकुल इंटप्रिन्योर वैलफेयर सोसायटी द्वारा मजदूर किसान महापंचायत को सिडकुल पन्तनगर से हटाने की नीयत से नैनीताल हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर 25 अप्रैल को उच्च न्यायालय नैनीताल ने स्थगनदेश देने से मना कर दिया था।
इसके बाद जिला प्रशासन व पुलिस ने इसे रोकने के कई हथकंडे अपनाए। यहाँ तक कि रात में आयोजन स्थल पर टेंट लगाने से भी रोका।
लेकिन मज़दूरों ने अपने जज्बे से सारे तिकड़मों को धता बताते हुए पूरे हौसले से पंचायत को सफल बनाया और संघर्षशील मज़दूर-किसान एकजुटता की मिसाल पेश की, जीत के जज्बे के साथ आंदोलन को गति दी।