इस धोखाधड़ी पर मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी-अधिकारी आक्रोशित हैं। इसके खिलाफ सरकारी मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षक चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी में हैं।
भोपाल। देशभर में सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिल रहा है पर मध्यप्रदेश के कई विभागों के अधिकारी—कर्मचारी इस लाभ से अभी भी वंचित हैं। राज्य सरकार मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दे तो रही है पर अभी भी कुछ भत्ते पुराने वेतनमान यानि छटवें वेतनमान के आधार पर ही दिए जा रहे हैं. इससे सरकारी कर्मचारी—अधिकारियों को हर माह हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है और वे लगातार नाराजगी भी जता रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों का भी है जोकि सातवां वेतनमान देने समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर हैं।
प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें करीब 2000 चिकित्सा शिक्षक पदस्थ हैं. इन शिक्षकों का कहना है कि एमपी के सभी सरकारी विभागों में सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से दिया गया लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग में सातवां वेतनमान सन 2018 से लागू किया गया। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षकों को नान प्रैक्टिस अलाउंस छठवें वेतनमान के अनुसार ही दिया जा रहा है। इन विसंगतियों को लेकर मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षक संघ की सागर में प्रदेशस्तरीय बैठक हुई जिसमें आंदोलन की रणनीति तैयार की गई।
बैठक में प्रदेश के सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि शामिल हुए। संघ पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार से चिकित्सा शिक्षा विभाग में भी सातवां वेतनमान सन 2016 से लागू करने की मांग की गई है। संघ की दूसरी मांग यह है कि सातवां वेतनमान लागू करने के बाद भी चिकित्सा शिक्षकों को नान प्रैक्टिस अलाउंस छठवें वेतनमान के अनुसार ही दिया जा रहा है। यह अलाउंस पाने वाले चिकित्सा शिक्षकों को इस कारण प्रतिमाह 5000 से लेकर 20000 रुपए तक नुकसान हो रहा है। बैठक में तय किया गया कि इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को दो महीने का वक्त दिया जाए। उसके बाद भी मांगे नहीं मानी जाने पर चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पत्रिका से साभार