दमन : दिल्ली आँगनवाड़ीकर्मियों की 38 दिनों से जारी हड़ताल पर उपराज्यपाल ने लगाया ‘एस्मा’

सरकार आँगनवाड़ीकर्मियों को सरकारी कर्मचारी ही नहीं मानती तो ‘एस्मा’ कैसे लगा सकती है? यह पूरी तरह से असंवैधानिक और ग़ैर-कानूनी है। -‘दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन’
दिल्ली। कर्मचारी का दर्जा देने, कर्मचारियों के समान वेतन-भत्ते व सुविधाएं देने आदि की माँग को लेकर विगत 38 दिनों से जारी 22000 आँगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल को तोड़ने के लिए दिल्ली के उप राज्यपाल ने ‘एसेंशियल सर्विसेज़ मेण्टेनेंस एक्ट’ (एस्मा) थोप दिया है।
हड़ताल का नेतृत्व कर रही दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन ने इसे असंवैधानिक बताया और इसको अदालत में चुनौती देने का ऐलान करते हुए फिलहाल हड़ताल को स्थगित कर दिया है। साथ ही निगम चुनाव में भाजपा और आप का विरोध करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 31 जनवरी से दिल्ली की 22000 आँगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स की हड़ताल जारी थी। पिछले 38 दिनों में इस हड़ताल ने आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार को ही चुनौती नहीं दी थी, बल्कि समूची पूँजीवादी व्यवस्था को भी बेनक़ाब किया। तीन विशाल रैलियों में आँगनवाड़ीकर्मियों ने दिल्ली की जनता को अपने संघर्ष से वाकिफ़ कराया और उनका समर्थन भी जीता।

एस्मा को बताया असंवैधानिक
एस्मा लगाये जाने पर यूनियन अध्यक्ष शिवानी ने कहा कि हड़ताल से भाजपा की केन्द्र सरकार भी भयाक्रान्त थी और आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार भी। अपनी लाख कोशिशों के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की केजरीवाल की आप सरकार इस हड़ताल को तोड़ने में नाकामयाब रहे। अन्तत:, उन्होंने अपने इस डर में ही आपसी सहमति बनाकर उपराज्यपाल के ज़रिये इस हड़ताल पर ‘एसेंशियल सर्विसेज़ मेण्टेनेंस एक्ट’ के ज़रिये छह महीने की रोक लगा दी है।
यूनियन ने कहा कि यह कानून केवल सरकारी कर्मचारियों पर ही लगाया जा सकता है। लेकिन सरकार तो आँगनवाड़ीकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देती ही नहीं है! वह तो उन्हें स्वैच्छिक कार्यकर्ता मानती है, जो मानदेय पर काम करते हैं! फिर दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय इस पर एस्मा किस प्रकार लगा सकते हैं?
यह कदम पूरी तरह से असंवैधानिक और ग़ैर-कानूनी है। लेकिन हड़ताल से भयभीत आप और भाजपा दोनों किसी भी तरह से जारी हड़ताल को रोकना चाहते हैं। चूँकि दिल्ली में बच्चों व औरतों की देखरेख के कार्य को हानि पहुँच रही है, इसलिए आँगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल पर एस्मा लगाया जा रहा है।
लेकिन ये भूल गये कि ये 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी खुद भी ग़रीब और मध्यवर्ग से आने वाली औरतें ही हैं, जिन्हें खुद भी घर चलाना है। उन्हें छह-साढ़े छह हज़ार (हेल्पर के लिए) और बारह-साढ़े बारह हज़ार (वर्कर के लिए) की ख़ैरात देकर स्वैच्छिक कार्यकर्ता बोलकर काम कराना क्या जायज़ है?
यूनियन ने कहा कि इसकी नींव ही मेहनतकश लोगों की श्रमशक्ति की लूट पर आधारित है। यह स्कीम भी इसलिए चलाई गई थी ताकि मज़दूरों-मेहनतकशों की श्रमशक्ति का मूल्य घट सके और उसके पुनरुत्पादन की लागत को कम किया जा सके और वह भी इन्हीं मज़दूरों-मेहनतकशों के घरों की औरतों के श्रम का दोहन करके।
जब इन औरतों ने इसके खिलाफ़ आवाज़ उठायी तो भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी दोनों ने ही अपने झगड़े भुलाकर साँठ-गाँठ कर ली और उपराज्यपाल के ज़रिये हड़ताल पर छह महीने के लिए एस्मा लगा दिया। वास्तव में, इनके द्वारा आपसी मिलीभगत से एस्मा लगाया जाना इनके डर को दिखलाता है और आँगनवाड़ीकर्मियों के संघर्ष की एक बड़ी राजनीतिक जीत है।
दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन इस अन्यायपूर्ण कदम का पहला जवाब इसे कल ही अदालत में चुनौती देकर देगी। यदि देश की न्यायपालिका वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष है, तो वह इस ग़ैर-कानूनी और असंवैधानिक आदेश को रद्द करेगी और हड़ताल के बुनियादी अधिकार को सुनिश्चित करेगी।
यूनियन ने कहा कि एस्मा लगाये जाने के मद्देनज़र वे हड़ताल को फिलहाल अदालत में मसले का समाधान होने तक स्थगित कर रही है। यदि वहाँ इस निर्णय को न्यायपालिका ने पलटा नहीं तो हम एस्मा को तोड़ते हुए हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे। इसलिए हम केवल हड़ताल को कुछ समय के लिए स्थगित कर रहे हैं।

संघर्ष अब तीन नये रूपों में जारी रहेगा -यूनियन
पहला, अदालत में कानूनी तौर पर इस असंवैधानिक व गैर-कानूनी रूप में एस्मा लगाए जाने को रद्द करवाने के लिए चुनौती दी जाएगी। यदि न्यायपालिका से भी न्याय नहीं मिलता तो एस्मा का भी नागरिक अवज्ञा द्वारा उल्लंघन करके हड़ताल फिर से शुरू होगा।
दूसरा, इस दौरान दिल्ली के नगर निगम चुनावों में 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी और उनके परिवारजन आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों का पूर्ण बहिष्कार करेंगी, उनकी वोटबन्दी करेंगी। पूरे शहर में भाजपा व आप के खिलाफ भण्डाफोड़ आन्दोलन चलाएंगी।
तीसरा, भाजपा और आप के नेताओं को अपने-अपने इलाकों में आँगनवाड़ीकर्मी चुनाव प्रचार के लिए नहीं घुसने देंगी।