हिमाचल : पुरानी पेंशन बहाली के लिए बाधाओं से लड़कर कर्मचारियों का शिमला विधानसभा पर धरना

कर्मचारी 23 फरवरी को मंडी से पैदल मार्च कर शिमला पहुंचे और भयावह ठंड व बारिश में पानी की बौछारों के बीच बैरिकेड तोड़कर भारी संख्या में विधानसभा पहुंच गए।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की बहाली को लेकर एनपीएस कर्मचारियों का धरना गुरुवार देर शाम भी जारी है। शिमला में अभी रुक-रुक कर बारिश हो रही। तापमान जमाव बिंदु के आसपास चल रहा है। फिर भी कर्मचारी विधानसभा से हटने को तैयार नहीं है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन कर्मचारियों से मिले बगैर अपने सरकारी आवास ओक-ओवर चले गए हैं।
इससे पहले दोपहर बाद सैकड़ों कर्मचारी तीन जगह पुलिस के बैरिकेड तोड़कर विधानसभा पहुंचे। इस दौरान कर्मचारियों पर हल्का बल प्रयोग किया गया, लेकिन कर्मचारी नहीं रुके और विधानसभा का घेराव करने पहुंच गए। कर्मचारियों का धरना देर शाम भी जारी है। पुलिस ने कई जगह कर्मचारियों को रोकने के लिए अपने वाहन भी सड़क के बीच खड़े किए। इसके बावजूद कर्मचारी नहीं रुके।
पेंशन नहीं देनी तो विधायकों की भी हो बंद
संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कर्मचारी ओपीएस लागू करने पर दृढ़ हैं। इनका कहना है कि या तो विधायकों की पेंशन भी बंद की जाएं या फिर कर्मचारियों की पेंशन को भी बहाल किया जाए। ऐसा न होने सूरत होने की सूरत में कल भी कर्मियों ने विधानसभा के बाहर धरना जारी रखने की चेतावनी दी है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यदि सरकार विधायकों की पेंशन बंद करने का ऐलान करती है तो कर्मचारी आज ही अपनी हड़ताल खत्म करके चले जाएंगे।
सरकार के आला अधिकारी कर्मचारियों को दिनभर बहलाने की कोशिश करते रहे, लेकिन कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल न होने तक हड़ताल स्थगित करने को तैयार नहीं है। इससे भाजपा की जयराम सरकार की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। प्रदर्शन के कारण विधानसभा के बाहर दिनभर तनावपूर्ण माहौल बना रहा।

9 दिन से पदयात्रा निकाल कर्मचारी शिमला पहुंचे
ओपीएस की बहाली के लिए कर्मचारी गत 23 फरवरी से मंडी से शिमला के लिए पैदल मार्च निकाल रहे हैं। बीती शाम ही कर्मचारी शिमला के टूटू पहुंचे। गुरुवार सुबह इन्होंने विधानसभा के लिए कूच किया। दोपहर बाद तमाम चुनौतियों को पार पाते हुए भारी संख्या में कर्मचारी विधानसभा पहुंच गए।
प्रदर्शन रोकने के लिए सरकारी आदेशों से भी नहीं डरे
राज्य सरकार ने कर्मचारियों को धरने में शामिल न होने के निर्देश दे रखे हैं। इसे लेकर बुधवार शाम को भी आदेश जारी किए गए। इसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए छुट्टी न दी जाए। जो कर्मचारी प्रदर्शन में शामिल होते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारियों ने इन आदेशों की भी परवाह नहीं की और पेंशन बहाली की मांग को लेकर विधानसभा पहुंच गए।
सदन के भीतर भी उठी ओपीएस की माँग
सदन के भीतर कांग्रेस और माकपा भी सरकार पर ओपीएस को बहाल करने के लिए दबाव डाल रही हैं। इसको लेकर कांग्रेस और माकपा विधायक ने सदन से वॉ-आउट किया और विपक्ष के कुछ विधायक कर्मचारियों के धरने में शामिल हो गए।
नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार कड़ाके की सर्दी में कर्मचारियों पर पानी डाल रही है, जबकि कर्मचारी सरकार के समक्ष अपनी जायज मांग रख रहे हैं, अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।
ज्ञात हो कि हिमाचल में भी अन्य राज्यों की तर्ज पर 2004 के बाद भर्ती कर्मचारियों की पेंशन बंद है। इससे कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है। कर्मचारियों ने ओपीएस की बहाली के लिए मोर्चे का गठन कर रखा है। मोर्चा 9 दिन से पैदल मार्च निकाल रहा है।
धर्मशाला में भी विधानसभा का घेराव कर चुके हैं कर्मचारी
इससे पहले भी मोर्चा के नेतृत्व में कर्मचारियों ने धर्मशाला में शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया था। उस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आश्वासन के बाद इन्होंने हड़ताल को स्थगित किया, लेकिन अब तक इनकी मांग पूरी नहीं हो सकी। इसलिए कर्मचारियों ने दोबारा हड़ताल का रास्ता अपनाया है।
इसबीच जिला प्रशासन विधानसभा परिसर को हाई-सिक्योरिटी जोन बताकर हट जाने की नसीहत दे रहा है, लेकिन कर्मचारी पेंशन बहाली तक हड़ताल जारी रखने पर दृढ़ हैं।
दैनिक भास्कर से साभार संपादित