गुजरात व महाराष्ट्र के आदिवासी उतरे सड़क पर, बांध बनाने के विरोध में किया प्रदर्शन

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सात बांधों के निर्माण से लगभग 7,500 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी। करीब 50,000 लोग सीधे प्रभावित होंगे। इससे डांग, वलसाड और तापी जिलों में सैकड़ों आदिवासी विस्थापित होंगे।

वलसाड (गुजरात)। जल, जंगल व जमीन के हक की मांग को लेकर दक्षिण गुजरात के धरमपुर में हजारों आदिवासी सोमवार को सडकों पर उतरे। नर्मदा–तापी रिवर लिंक प्रोजेक्ट व प्रस्तावित पैखड डेम के विरोध में आदिवासियों ने रैली निकाली तथा जमीन अधिग्रहण का विरोध किया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस विरोध प्रदर्शन में गुजरात और पड़ोसी महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के करीब पांच हजार आदिवासी शामिल थे।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पार-तापी-नर्मदा नदियों को जोड़कर बांध बनाने का निर्णय लिया है। इस नदी लिंक परियोजना के क्षेत्र में दक्षिण गुजरात और महाराष्ट्र का नासिक जिला आने वाला है। आदिवासियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन कर स्थानीय ‘मामलतदार’ को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।

रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी गुजरात के वलसाड, दांग, नवसारी जिलों और महाराष्ट्र तथा दादर नगर हवेली से 5 हजार लोगों ने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हालांकि कई स्थानों पर पुलिस ने आदिवासियों को रैली में पहुंचने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे।

Gujrat News: गुजरात में सड़क पर उतरे आदिवासियों ने रैली निकालकर किया बांध  का विरोध, ये है कारण

जमीन होगी जलमग्न, हजारों लोग होंगे प्रभावित

आदिवासी नेताओं ने बताया कि महाराष्ट्र के डांग, वलसाड और नासिक जिले में छह जलाशय विकसित होने से करीब 50,000 लोग सीधे प्रभावित होंगे। इनमें से तीन बांध डांग में, एक वलसाड में और दो महाराष्ट्र में विकसित किए जाएंगे। डांग जिले के वाघई तालुका में बनने वाले तीन बांधों के डूब क्षेत्रों में कम से कम 35 गांव पूरी तरह से जलमग्न हो जाएंगे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार-तापी-नर्मदा नदियों को जोड़ने वाली इस परियोजना के तहत सात बांधों के निर्माण के कारण लगभग 7,500 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी।

आदिवासी नेताओं का कहना है कि उन्होंने नर्मदा योजना, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, उकाई आदि जैसी कई परियोजनाएं देखी हैं, जहां आदिवासियों को उनकी भूमि से विस्थापित होने के लिए मुआवजा दिया जाना बाकी है।

क्या है परियोजना

भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली के अनुसार, पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के तहत पश्चिमी घाट क्षेत्र में उपलब्ध अतिरिक्त जल को सौराष्ट्र और कच्छ के कम जल वाले क्षेत्र में भेजने का प्रस्ताव है। इसके लिए उत्तरी महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में सात जलाशयों के निर्माण की योजना है।

इस नदी लिंक परियोजना के तहत छह जलाशयों का निर्माण गुजरात के वलसाड और दांग जिलों में होना है, जबकि एक जलाशय महाराष्ट्र के नासिक जिले में बनना है। पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में इस परियोजना के लिए बजटीय आवंटन की घोषणा की थी।

पूर्व में भी हुआ था विरोध

इससे पहले साल 2007-2008 में आदिवासियों के कड़े विरोध के बाद यह परियोजना रुक गई थी। आदिवासी नेताओं के अनुसार केंद्र ने नर्मदा योजना की विफलता को छिपाने के लिए परियोजना को डिजाइन किया है। परियोजना के परिणामस्वरूप डांग, वलसाड और तापी जिलों में सैकड़ों आदिवासी विस्थापित होंगे। सागौन और बांस और अन्य लकड़ियों से भरपूर डांग के जंगल जलमग्न हो जाएंगे।

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