चंडीगढ़ : निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों की हड़ताल; शहर अंधेरे में, सरकार ने थोपा एस्मा

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चंडीगढ़ अंधेरे में डूबी हुई है। बिजलीकर्मियों की ये हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण कर बिजली का काम निजी कंपनी एमीनेंट को देने के खिलाफ है।

चंडीगढ़। बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 21 फरवरी को अचानक हड़ताल पर गए बिजलीकर्मियों के कारण चंडीगढ़ को ब्लैकआउट हो गया। पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ अंधेरे में डूबी हुई है। कर्मचारियों की ओर से तीन दिन की हड़ताल का आह्वान किया है।

शहर में बिजली के साथ-साथ पानी का भी संकट गहरा गया था। इसने दूरसंचार टावरों को प्रभावित किया है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में बाधा आ रही है।

आनन-फानन मंगलवार को चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में 30 साल बाद एस्मा लगा दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में  हस्तक्षेप किया तो चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया है कि रात 10 बजे तक शहर में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बहाल हो जाएगी।

उधर मीडिया में अअ रही खबर के मुताबिक कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दबाव में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को स्थगित कर दिया है।

निजीकरण के खिलाफ हड़ताल

चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारी विभाग के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। बिजलीकर्मियों की ये हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की फाइल को क्लीयर कर बिजली का काम निजी कंपनी एमीनेंट को देने के खिलाफ है। यूनियन का आरोप है कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर बिजली विभाग का निजीकरण किया है। कर्मचारी इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

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लगाया एस्मा, सेना की मदद

तमाम इलाकों में सोमवार रात 12 बजे गई बिजली नहीं आई थी। प्रशासन और बिजली विभाग स्थिति संभालने में पूरी तरह से नाकाम रहा। न तो बिजली कर्मचारियों को मना सका और न ही कोई बैकअप प्लान तैयार किया था।

मंगलवार की रात शहर में एस्मा लागू करने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने सेना की मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) की मदद लेने का फैसला लिया। हालांकि कुछ स्थानों पर बिजली बहाल हुई तो लोगों ने राहत की सांस ली।

एस्मा लागू होने के बावजूद बिजली कर्मचारी हड़ताल को खत्म करने के लिए राजी नहीं है। कर्मचारियों की हड़ताल अभी भी जारी है।

पंजाब-हरियाणा से नहीं मिली मदद

बिजली संकट से उबरने के लिए प्रशासन ने पंजाब और हरियाणा से प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग की थी। पंजाब ने मदद करने में असमर्थता जाहिर कर दी, जबकि हरियाणा की तरफ से प्रशासन को कोई जवाब नहीं मिला है।

मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी भी प्रभावित

हड़ताल के कारण शहर के कई हिस्सों में बिजली गुल हो गई है। इसने दूरसंचार टावरों को प्रभावित किया है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में बाधा आ रही है। टेलीकॉम ऑपरेटर और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के अभाव में वैकल्पिक स्रोतों की बैटरी, डीजी, सोलर पैनल आदि का उपयोग कर अपनी साइटों, एक्सचेंजों आदि को बिजली प्रदान कर रहे हैं।

हाईकोर्ट ने स्वतः लिया संज्ञान, बनाया दबाव

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा था। बिजली कर्मियों की हड़ताल पर चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट को बताया कि रात 10 बजे तक पूरे शहर की बिजली बहाल कर दी जाएगी। अभी तक 80 प्रतिशत बिजली बहाल की जा चुकी है।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला सीधे तौर पर अवमानना का है, जब मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है तो बिजली विभाग के कर्मचारियों का इस तरह हड़ताल पर जाना पूरी तरह से गलत है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई वीरवार तक स्थगित करते हुए कहा है कि पहले पूरे शहर की बिजली बहाल की जाए आगे के आदेश कल दिए जाएंगे।

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कर्मचारी नेताओं को लिया हिरासत में

हड़ताल को खत्म कराने के लिए प्रशासन ने एस्मा के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। बिजली कर्मचारी संगठनों के 4 नेताओं को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। पुलिस ने नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर के वरिष्ठ सदस्य व इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा के साथ यूटी पावरमैन यूनियन के प्रधान ध्यान चंद व महासचिव गोपाल दत्त जोशी को सेक्टर-22 स्थित सूद धर्मशाला ले जाकर हिरासत में लिया।

गिरफ़्तारी से कर्मचारियों में रोष

जैसे ही इसकी सूचना दूसरे कर्मचारियों को मिली वह भी यहां पहुंचने लगे। चंडीगढ़ के दूसरे कर्मचारी संगठनों के नेता भी यहां एकजुट होने लगे। कोऑर्डिनेशन कमेटी के कन्वीनर अश्विनी कुमार भी यहां पहुंचे। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधी भी पहुंचे।

पुलिस भीड़ जुटते देख यूनियन के मुख्य लीडर को यहां से दूसरी जगह ले गई। यूनियन के प्रतिनिधियों को अंडरग्राउंड कर हड़ताल को तोड़ने की तैयारी की गई है। मुख्य चेहरों को हटाकर बाकी कर्मचारियों को काम पर लाने की कोशिश हो रही है।