हिमांचल : स्थायी नीति की मांग को लेकर 2000 एनएचएम कर्मचारी काम छोड़ो आंदोलन पर
सरकार स्थाईकरण नीति नहीं बनाती तो 7 फरवरी को प्रदेशभर से एनएचएम कर्मचारी शिमला चलो अभियान के तहत राजधानी में प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
शिमला। प्रदेश भर में हड़ताल पर गए एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गईं हैं। एक ओर जहां आज प्रदेश भर में शैड्यूल्ड वैक्सीन नहीं लगी है वहीं आज कोरोना के कितने नए मामले सामने आए हैं इसका डाटा भी नहीं मिलेगा। दरअसल प्रदेश भर में जिला स्तर पर एनएचएम अनुबंध कर्मचारी ही कोरोना टैस्ट व कोविड वैक्सीन लगाने स्वास्थ्य संस्थानों में विभिन्न टैस्ट करना, यहां तक कि कोविड बुलेटिन बनाने तक का सारा काम करते हैं। ये सब काम हड़ताल के चलते पूरी तरह से ठप्प हो गए हैं।
प्रदेश सरकार से स्थायी नीति की मांग को लेकर आज प्रदेश के करीब 2000 एनएचएम कर्मचारी काम छोड़ो आंदोलन पर हैं, जिसके चलते प्रदेशभर में न तो कोई टैस्ट हो रहे हैं और न ही कोरोना केस सैंपल कलैक्ट किए जा रहे हैं। इस आंदोलन को लेकर एनएचएम कर्मचारियों ने पहले ही प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। इससे पहले एनएचएम कर्मचारियों ने 5 जनवरी को प्रदेश सरकार को एक नोटिस दिया था कि 25 जनवरी तक प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लिए कोई स्थायी नीति बनाए लेकिन लगातार आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारियों ने 25 जनवरी के बाद 1 फरवरी तक काले बिल्ले लगाकर अपना रोष प्रदेश सरकार के प्रति व्यक्त किया। इतना सब होने के बाद भी जब प्रदेश सरकार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो आज कर्मचारियों को प्रदेश भर में काम छोड़ो आंदोलन करना पड़ा।
कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल आज हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल से भी मिला व अपनी मांगों से अवगत कराया। राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को लेकर वह सरकार से चर्चा करेंगे। एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमीन चंद ने बताया कि कर्मचारी 6 फरवरी तक काले बिल्ले लगाकर अपना काम कल से जारी रखेंगे और सरकार से स्थायी नीति बनाने की मांग करते रहेंगे। अगर फिर भी प्रदेश सरकार नीति बनाने को लेकर फैसला नहीं लेती है तो 7 फरवरी को प्रदेशभर से एनएचएम कर्मचारी शिमला चलो अभियान के तहत राजधानी में इकट्ठा होंगे और प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।