उत्तराखंड : छँटनी-बंदी-दमन के खिलाफ संघर्ष में गुजरा साल; 2022 में भी हक़ का संघर्ष जारी

बीते साल माइक्रोमैक्स, एचपी, करोलिया, इंटरार्क, वोल्टास, एलजीबी, गुजरात अम्बुज, बजाज मोटर्स, सत्यम ऑटो, हीरो आदि में मज़दूर संघर्षरत रहे; नए साल में भी संघर्ष जारी है…
साल 2021 एक बार फिर मज़दूरों के संघर्षों के साथ गुजर गया। चाहे वह भगवती-माइक्रोमैक्स के मज़दूर हों, एचपी के मज़दूर हों, चाहे वोल्टास, करोलिया लाइटिंग, एलजीबी, इंटरार्क, गुजरात अम्बुज, बजाज मोटर्स, सत्यम ऑटो, हीरो आदि के मज़दूर हों, कार्यबहाली के लिए मज़दूर पूरे जज्बे के साथ पूरे साल संघर्षों में डटे रहे और कड़कड़ाती ठंड के बीच नए साल में भी इस हौसले के साथ ही संघर्ष में डटे हुए हैं कि- लड़ेंगे-जीतेंगे।
3 साल से जारी भगवती माइक्रोमैक्स मजदूरों का संघर्ष
भगवती प्रोडक्ट्स माइक्रोमैक्स, सिडकुल, पंतनगर के 351 मज़दूर अवैध छँटनी, ले ऑफ, बर्खास्तगी के खिलाफ लड़ रहे हैं। पिछले 3 साल से ज्यादा समय से कार्यबहाली के लिए उनका संघर्ष जारी है।
2 साल से औद्योगिक न्यायाधिकरण से जीत मिलने और उच्च न्यायालय नैनीताल से इसके अनुपालन के आदेश के बावजूद अभी तक मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं हुई है। काफी संघर्षों के बाद साल बीतते, सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर ने 1 माह के भीतर 303 छँटनीशुदा मज़दूरों में से 152 श्रमिकों की कार्यबहाली का आदेश पारित किया।
इसके अनुपालन सहित समस्त 351 मज़दूरों की कार्यबहाली का संघर्ष नए साल में भी जारी है।
अवैध बंदी के खिलाफ एचपी इंडिया के मज़दूरों का संघर्ष
सिडकुल पंतनगर स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी एचपी इंडिया ने अपना प्लांट अचानक गैरकानूनी रूप से बंद कर दिया। अपनी इस षड्यंत्रकारी योजना के तहत उसने पहले श्रमिकों को कोविड-19 छुट्टी देकर सवेतन घर बैठाया। दूसरी ओर वह मज़दूरों को वीआरएस, ट्रांसफर आदि का लालीपाप भी देता रहा।
इसबीच उसने बहुत से ठेका मज़दूरों की छँटनी कर दी। अंततः बचे 185 स्थाई श्रमिक अचानक बंदी के बाद से सड़क पर हैं, लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हल्द्वानी श्रम विभाग में उनका धरना जारी है।
अवैध तालाबंदी से करोलिया के मज़दूर आंदोलित
कारोलिया लाइटिंग पंतनगर में भी यूनियन बनने के बाद पिछले दो साल से ही संघर्ष जारी है। कोविड-19 के विकट दौर में कोरना जांच कराने की मांग करने पर प्रबंधन ने पहले यूनियन के उपाध्यक्ष को निलंबित और बर्खास्त किया और अभी उसी मसले को कथित रूप से बहाना बनाते हुए अचानक 10 मजदूरों की गैरकानूनी गेटबंदी कर दी।
लगातार दमन और माँगपत्र पर प्रबंधन की हठधर्मित के कारण कारोलिया लाइटिंग इम्पालाइज यूनियन ने प्रबंधन को हड़ताल की वैधानिक नोटिस दी। लेकिन 5 जनवरी को प्रबंधन ने समस्त श्रमिकों की अवैध गेटबंदी कर दी। तबसे मज़दूरों का संघर्ष नए चरण में जारी है।
मज़दूर कंपनी में अवैध गेटबंदी खत्म कर समस्त श्रमिकों की कार्यबहाली करने, बर्खास्त यूनियन उपाध्यक्ष सुनील यादव की सवेतन कार्यबहाली, संराधन वार्ता के दौरान 10 श्रमिकों की अवैध गेटबंदी खत्म करने, सारे आरोप पत्र निरस्त करने और माँग पत्र पर समझौता करने की माँग के साथ संघर्ष की राह पर हैं।
इंटरार्क में कार्यबहाली व माँगपत्र का संघर्ष जारी
इंटरार्क कंपनी के उधम सिंह नगर जिले में दो प्लांट- पंतनगर और किच्छा में है। जहां 2018 से 32 मज़दूर गैरकानूनी गेट बंदी के शिकार हैं। तबसे मज़दूरों का वेतन भी नहीं बढ़ा है। जिससे मज़दूर आक्रोशित हैं और कार्यबहाली व मांग पत्र के लिए पिछले लंबे समय से संघर्षरत है।
कंपनी के दोनों गेटों पर मज़दूरों का बेमियादी धरना लगातार जारी है।
वोल्टास मज़दूरों का संघर्ष
वोल्टास लिमिटेड पंतनगर में 9 मज़दूरों की गैरकानूनी सेवा समाप्ति का संघर्ष पिछले ढाई सालों से जारी है।
दरअसल यूनियन ने नए वेतन समझौते के लिए मांग पत्र दिया था और प्रबंधन ने दबाव बनाने के लिए यूनियन के अध्यक्ष महामंत्री सहित 9 मज़दूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। प्रबंधन द्वारा तोड़फोड़ करके मज़दूरों के भीतर बिखराव की स्थिति पैदा करने की कोशिशें लगातार जारी है।
गुजरात अंबुजा मज़दूर संघर्षरत
गुजरात अंबुजा सिडकुल सितारगंज के मज़दूर मांग पत्र के लिए जब संघर्ष की राह पर उतरे तो प्रबंधन ने दमनकारी रास्ता अपनाया और मज़दूरों की गैरकानूनी गेटबंदी, निलंबन, बर्खास्तगी का रास्ता अपनाया। अन्याय के खिलाफ 100 से ज्यादा मज़दूर पिछले 2 साल से लगातार संघर्षरत हैं।
एलजीबी में लंबा संघर्ष जारी
एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रास लिमिटेड, पंतनगर में यूनियन बनने के समय 2012 से ही दमन के बीच संघर्ष जारी है। वर्तमान में यूनियन के महामंत्री पूरन चंद पांडे इसलिए बर्खास्त हैं क्योंकि प्रबंधन ने पिछले साल कोविड-19 के दौरान गैरकानूनी रूप से वेतन कटौती की थी और उसके खिलाफ उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी।
लगातार संघर्षरत हैं सत्यम ऑटो मज़दूर
सत्यम ऑटो हरिद्वार के मज़दूर मांग पत्र को लेकर जब संघर्ष में उतरे तो 200 से ज्यादा मज़दूरों को कंपनी ने बाहर कर दिया। पिछले करीब 4 सालों से मजदूरों का संघर्ष जारी है। बीते साल उन्होंने परिवारों के साथ जोरदार संघर्ष चलाया, जो जारी है।
हीरो मोटोकॉर्प सिडकुल हरिद्वार के मज़दूर अरुण कुमार एक साजिश के तहत कंपनी से बाहर हुए और पिछले करीब 4 सालों से उनका संघर्ष जारी है।
इसी तरह कार्यबहाली के लिए सिड़कुल पंतनगर स्थित बजाज मोटर्स, लुकाच टीवीएस आदि के मज़दूर भी संघर्षरत हैं।
संघर्षों में मिली कुछ जीतें
इस साल जहाँ भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों को आंशिक सफलताएं मिलीं, हालांकि कार्यबहाली अबतक नहीं हो सकी। वहीं गुजरात अंबुजा, इंटरार्क कंपनी के मज़दूरों को कुछ क़ानूनी जीतें भी हासिल हुईं।
इसी के साथ बीते साल संघर्षों के बीच राकेट इंडिया, महिंद्रा सीआईई, डेना इंडिया, परफेटी, महिंद्रा एण्ड महिंद्रा, वोल्टास, हेंकेल एडहेसिवस, संसेरा इंजीनियरिंग, ऑटो लाइन, बीसीएच, एंडोरेन्स आदि आदि तमाम कंपनियों में वेतन समझौते भी हुए।
हक़ के लिए संघर्ष जारी
वर्ष 2021 कोरोना महामारी के बावजूद छँटनी-बंदी-बर्खास्तगी-दमन-शोषण के खिलाफ इन मज़दूरों के विकेट संघर्षों के दौर से गुजरा। नया साल उन्हीं संघर्षों को और गति देने के साथ शुरू हुआ है और मज़दूरों के भीतर जीत का जज्बा बरकरार है, अन्याय के खिलाफ न्याय का संघर्ष जारी है।
श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर इसके खिलाफ एकबार फिर एक बड़े आंदोलन के लिए अपने आप को तैयार कर रहा है और 19 जनवरी को एक बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया है।
उल्लेखनीय है कि श्रमिक संयुक्त मोर्चा श्रमिक समस्याओं को लेकर पूरे साल आन्दोलनात्मक गतिविधियां चलाता रहा। मोर्चा नेतृत्व में वोल्टास मज़दूरों के पक्ष में तमाम यूनियनों ने क्रमिक अनशन चलाया, कई छोटी-बड़ी रैली-प्रदर्शन किए, संघर्षों में भागीदारी की और प्रशासन, श्रम अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक ज्ञापन दिया।
इसी के साथ मोर्चा ने मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए तो किसान आंदोलन के समर्थन में बाइक रैली सहित तमाम प्रदर्शन आयोजित किए।
इस साल संघर्षों के बीच मोर्चा नेताओं से लेकर माइक्रोमैक्स, वोल्टास, सत्यम ऑटो आदि संघर्षरत मज़दूरों ने पुलिसिया दमन और फर्जी मुक़दमें भी झेले।