हरियाणा में सरकार का विरोध करने वाले 48000 किसानों को पुलिस ने फंसाया

कामगार महापंचायत में किसान विरोधी कानूनों को संसद में औपचारिक रूप से निरस्त करने के बाद किसानों के साथ सरकार से बातचीत करने और किसानों को पूरा समय देने की मांग उठी. दूसरी ओर, किसान आंदोलनों का समर्थन जारी है. मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित शेतकारी कामगार महापंचायत में हजारों किसान शामिल हुए.
मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित शेतकारी कामगार महापंचायत में 100 से ज़्यादा संगठनों ने हिस्सा लिया. इसमें महाराष्ट्र के किसान, मजदूर, खेतिहर मजदूर, महिलाएं, युवा और छात्र-छात्राएं शामिल हुए. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने भी इसमें भाग लिया. यहां कृषि कानूनों को निरस्त करने में किसानों के साल भर के संघर्ष की, भाजपा-आरएसएस सरकार पर ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया गया. यहां उचित एमएसपी और खरीद की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून बनाना, बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, लखीमपुर खीरी के आरोपी अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तार करना, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करना आदि मांग की गई. देश में निजीकरण, डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को आधा करने, मनरेगा के तहत काम के दिनों और मजदूरी को दोगुना करने और इसे शहरी क्षेत्रों में विस्तारित करने की मांग की गई.
27 अक्टूबर को पुणे से शुरू हुई लखीमपुर खीरी शहीदों की शहीद कलश यात्रा ने पिछले महीने महाराष्ट्र के 30 से अधिक जिलों की यात्रा की. शहीद कलश यात्रा ने हुतात्मा चौक का दौरा किया, जो 1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र संघर्ष के 106 शहीदों की याद दिलाता है. इसके बाद आजाद मैदान में महापंचायत के ठीक बाद शाम करीब 4 बजे एक विशेष कार्यक्रम में लखीमपुर खीरी नरसंहार के शहीदों की अस्थियां गेटवे ऑफ इंडिया के पास अरब सागर में विसर्जित की गईं.
मोदी सरकार द्वारा किसानों को बदनाम किए जाने के साजिश की किसानों ने निंदा की. उन्होंने कहा कि पिछले 12 महीनों में अब तक किसान आंदोलन की मांगों को पूरा करने के लिए कम से कम 686 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। हरियाणा के किसान नेताओं का अनुमान है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए लगभग 48000 किसानों को कई पुलिस मामलों में फंसाया गया है, जो गलत है.