मजदूर-किसान पंचायत में काले क़ानूनों के खिलाफ मज़दूरों-किसानों के साझे संघर्ष का ऐलान

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गुड़गांव में सम्पन्न मज़दूर-किसान पंचायत में औद्योगिक मज़दूरों और संघर्षरत किसानों ने तीन काले कृषि कानूनों एवं मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स के विरुद्ध साझे संघर्ष का आह्वान किया।

गुड़गांव। लघु सचिवालय गुड़गांव में 14 नवंबर को बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट इंडिया इम्पालाइज यूनियन, मानेसर द्वारा मजदूर-किसान पंचायत का आयोजन हुआ। पंचायत में औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर संगठनों एवं यूनियन प्रतिनिधियों के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं जोगेंद्र उग्राहन, डॉ दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह एवं जागीर सिंह ने भी अपनी टीम के साथ भागीदारी की।

बेलसोनिका यूनियन के महासचिव जसबीर सिंह ने मजदूर-किसान नेताओं का पंचायत में स्वागत करते हुये कहा कि मोदी सरकार पूंजीपतियों के हितों में देश के मजदूरों और किसानों पर हमलावर है। तीन कृषि कानून और चार लेबर कोड्स मेहनतकश किसानों को उजाड़ने और मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश है।

भारतीय किसान यूनियन, एकता ( उग्राहन) नेता एवं संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधि जोगिंदर उग्राहन ने पंचायत में कहा कि मजदूर और किसान बुनियादी उत्पादक वर्ग हैं। पूंजीपति वर्ग दोनों का ही साझा दुश्मन है। अत: मजदूरों- किसानों को कंधे से कंधा मिलाकर अपनी लडाई को आगे बढ़ाना होगा और व्यवस्था परिवर्तन की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने मजदूरों का आह्वान किया कि 26 नवंबर को किसानों के दिल्ली की सीमाओं पर एक साल पूरा होने के दिन मजदूर दिल्ली की सरहदों पर किसानों के साथ मंच साझा करें।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता एवं संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधि डॉ दर्शन पाल ने पंचायत को संबोधित करते हुये कहा कि किसान आंदोलन अब सिर्फ किसानों का ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता का आंदोलन बन चुका है।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेता श्यामबीर ने कहा कि ये पूंजीवादी व्यवस्था मजदूरों और किसानों दोनों का निर्मम शोषण कर रही है। मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी लेबर कोड्स हों या काले कृषि कानून दोनों ही कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के हितों में लाये गये हैं। इन लेबर कोड्स में मजदूरों के लिए कानूनी हड़ताल के रास्ते बंद कर और गैर कानूनी घोषित हड़ताल में शामिल मजदूरों और उनके समर्थकों पर भारी जुर्मानों और जेल की सज़ा तक का प्रावधान कर मजदूर आंदोलन के अपराधीकरण की साजिश रची गई है।

भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के नेता और संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधि युद्धवीर सिंह ने पंचायत को करते हुये कहा कि मोदी सरकार निर्लज्जता के साथ देश की संपत्ति को पूंजीपतियों पर लुटा रही है। हालत यह है कि रक्षा क्षेत्र तक के कारखानों के भी निजीकरण की इस सरकार ने तैयारी कर ली है। आज सवाल सिर्फ तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कराने का नहीं बल्कि पूरे देश को बचाने का बन चुका है।

पंचायत के अंत में बेलसोनिका यूनियन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने मजदूर-किसान पंचायत में भागीदारी के लिये सभी मजदूरों, मजदूर एवं किसान नेताओं, विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों- पत्रकारों सभी का धन्यवाद अदा किया। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों और यूनियनों का किया कि आंदोलनरत किसानों के कंधे से कंधा मिलाये और मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स के विरुद्ध कमर कसकर संघर्ष के मैंदान में आ जायें।

पंचायत में मजदूर पत्रिका से संतोष, पर्फेटी यूनियन, मानेसर से देवानंद, श्रमिक संग्राम कमेटी के प्रसून चटर्जी, मुंजाल शोवा, मानेसर से संदीप, मजदूर सहयोग केंद्र से खुशीराम, जन संघर्ष मंच, हरियाणा से सतबीर सिंह, संयुक्त किसान मोर्चा,गुड़गांव से संतोख सिंह, वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता हरि सिंह चौहान, एटक से अनिल जनवादी महिला संगठन से उषा सरोहा, गारमेंट यूनियन ग़ाज़ियाबाद से विजेंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी से राणा जाना, मारुति कार प्लांट, मानेसर से अमरेंद्र, मारुति पॉवर ट्रेन यूनियन से दक्ष, मजदूर अधिकार संगठन से नौदीप कौर, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के नितीश एवं वर्कर्स यूनिटी के संदीप राउजी इत्यादि ने भी अपने साथियों के साथ भागीदारी की और सभा को संबोधित किया।