जीत : कार्यबहाली के लिए 3 साल से संघर्षरत माइक्रोमैक्स मज़दूरों को मिला बकाया अर्जित वेतन

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लगातार संघर्ष के बाद मज़दूरों ने दिसंबर 2018 का बकाया वेतन हासिल किया। दिसंबर, 2018 में हुई थी छंटनी, कोर्ट ने बताया था अवैध, लेकिन कार्यबहाली नहीं हुई, जिसका संघर्ष जारी है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड के मजदूरों ने लंबे संघर्ष के बाद दिसंबर 2018 के बकाया अर्जित वेतन की लड़ाई जीती है और श्रम विभाग में श्रम अधिकारियों की निगरानी में प्रबंधन द्वारा अर्जित वेतन का चेक वितरित किया जा रहा है।

भगवती श्रमिक संगठन के नंदन सिंह ने बताया कि अभी यह हम श्रमिकों को एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है। हमारी लड़ाई 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छँटनी, 45 श्रमिकों की गैरकानूनी लेऑफ और यूनियन अध्यक्ष की गैरकानूनी बर्खास्तगी के खिलाफ है। माननीय न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में समस्त श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

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यूनियन महासचिव दीपक सनवाल ने बताया कि भगवती-माइक्रोमैक्स के प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 को गैरकानूनी रूप से 303 श्रमिकों की छंटनी कर दी थी। उसके बाद 47 श्रमिकों को गैरकानूनी लेऑफ के तहत बाहर बैठा रखा है। यूनियन अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट को आंदोलन में भागीदारी के आधार पर पहले निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया। तब से हम मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

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श्रमिक प्रतिनिधि लोकेश पाठक ने कहा कि पिछले तीन सालों से अन्याय के खिलाफ और कार्यबहाली के लिए हम जमीनी और क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस दौरान शासन-प्रशासन, श्रम विभाग और पुलिस की ओर से हम मज़दूर लगातार उपेक्षा झेल रहे हैं। न्याय देने की जगह मामले को लटकाने के साथ हम पीड़ितों का ही उत्पीड़न जारी है।

यूनियन की कार्यकारी अध्यक्ष बन्दना बिष्ट ने कहा कि हमने माननीय औद्योगिक न्यायाधिकरण से जीत हासिल की, माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने भी श्रमिकों के पक्ष में ही अब तक फैसले दिए और करीब 3 साल के संघर्ष के बाद दिसंबर 2018 के बकाया वेतन का संघर्ष हम जीत सके। हम अन्याय के खिलाफ अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे।

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