मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक होगा 27 सितंबर का भारत बंद

एसकेएम ने ट्रेड यूनियनों, राजनीतिक दलों, आम नागरिकों से ‘भारत बंद’ को समर्थन देने तथा “लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों की रक्षा के लिए” किसानों के साथ खड़े होने का आग्रह किया।
हर भारतीय से ‘भारत बंद’ को व्यापक रूप से सफल बनाने की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देश के लोगों से तीन काले कृषि कानूनों, मज़दूर विरोधी लेबर कोड, निजीकरण, महँगाई आदि जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 27 सितंबर को आहूत ‘भारत बंद’ में शामिल होने की अपील की। उधर देश के मज़दूर संगठनों, ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्ट यूनियनें, व्यापारी संघों, छात्र, युवा व महिला संगठनों सहित तमाम राजनीतिक पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है।
एसकेएम ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की अपील की
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, “एसकेएम हर भारतीय से इस देशव्यापी आंदोलन में शामिल होने और ‘भारत बंद’ को व्यापक रूप से सफल बनाने की अपील करता है। विशेष रूप से, हम कामगारों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, कारोबारियों, विद्यार्थियों, युवाओं और महिलाओं तथा सभी सामाजिक आंदोलनों के संगठनों से उस दिन किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की अपील करते हैं।”
एसकेएम ने सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों से भी ‘भारत बंद’ को समर्थन देने तथा “लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों की रक्षा के लिए” किसानों के साथ खड़े होने का आग्रह किया। साथ ही कहा कि उनकी नीति रही है कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एसकेएम मंच साझा नहीं करेंगे।
एसकेएम ने कहा,‘ यह आंदोलन देश के लोकतंत्र को बचाने का आंदोलन बन गया है।’ बयान के मुताबिक बंद में कई किसान संगठनों के साथ-साथ कर्मचारी संघों, कारोबार संघों, कर्मचारियों और छात्र संघों, महिला संगठनों, ट्रांसपोर्टर संगठनों को शामिल किया जा रहा है।
हरियाणा के किसानों ने 27 सितंबर को सभी राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को दस घंटे (सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे) के लिए अवरुद्ध करने का संकल्प लिया है।
मौन नहीं सक्रिय समर्थन चाहिए -एसकेएम
संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे देश के साथ उत्तर प्रदेश में भी इस बंद के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। मोर्चा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में कई व्यापर मंडल, टेंपो एसोसिएशन, वकील संगठनों ने इस बंद को समर्थन देने का ऐलान किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के आशीष मित्तल ने बताया कि भारत बंद पर अमल के लिए कई जिलों में टीमों का गठन किया गया है। भारत बंद में तमाम संगठनों के साथ छात्र और युवा भी शामिल हो रहे हैं। इसके साथ ही संयुक्त मोर्चा ने राजनीतिक पार्टियों से बंद को समर्थन देने की अपील की है।
किसान मोर्चा ने कहा, जो कृषि कानूनों के खिलाफ हैं, बिजली विधेयक 2021 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, एमएसपी के कानूनी अधिकार के लिए किसानों की मांग का समर्थन करते हैं, उन्हें आगे आकर इस बंद का समर्थन करना चाहिए, ना कि मौन समर्थन देना है।
यह बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक चलेगा। अस्पताल, मेडिकल स्टोर, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आवश्यक सेवाओं को बंद से छूट दी जाएगी। मोर्चा ने कहा, ”बंद स्वैच्छिक और शांतिपूर्ण तरीके से लागू किया जाएगा।”
मज़दूर संगठनों से लेकर राजनीतिक दलों का मिला समर्थन
मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) व केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों सहित देश की ज्यादातर यूनियनों ने भारत बंद का समर्थन किया है। वाम दलों सहित गैर भाजपा दलों ने भी समर्थन किया है। बयान में लोगों से किसानों के मुद्दों का समर्थन करने का आग्रह किया गया।
इसी के साथ ट्रांसपोर्ट यूनियनें, व्यापारी संघों, छात्र व युवा संगठनों, महिला संगठनों, लोक अधिकार व मानवाधिकार संगठनों, पेंशनर्स एसोसिएशन सहित तमाम नागरिकों, आदिवासी समुदाय ने सक्रिय समर्थन की घोषणा की है।
संगठनों व दलों ने केंद्र सरकार की हठधर्मिता की निंदा करते हुए मांग की कि नए कृषि कानूनों को तुरंत निरस्त किया जाए, एमएसपी की गारंटी दी जाए, राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन को खत्म किया जाए और श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने भारत बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की। इसके साथ बीमा, शिक्षक संघों सहित तमाम क्षेत्र के कर्मचारियों ने समर्थन दिया है। सर्व कर्मचारी संघ के आह्वान पर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ भारत बंद के समर्थन में है और वे निजीकरण विरोधी दिवस मनाएंगे।
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने ‘भारत बंद’ को समर्थन देते हुए सरकार से किसानों की मांगों पर उसके के साथ फिर से बातचीत शुरू करने और तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया। यूनियन ने एक बयान में कहा कि एआईबीओसी के सहयोगी और राज्य इकाइयां सोमवार को पूरे देश में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के साथ एकजुटता दिखाएंगी।